– ग्लोबलबिहारी ब्यूरो
भीकमपुरा (अलवर): आज दुनिया के २७ देशों के ३९ प्रतिनिधियों ने जल संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में कार्यरत जानी मानी संस्था तरुण भारत संघ के मुख्य कार्यालय भीकमपुरा पहुंचकर जलवायु परिवर्तन के खतरो से बचने के लिए पर्यावरणीय प्रभाव को अध्ययन में शामिल करने की जरूरत पर बल दिया। इन पर्यावरणाीय लेखा-जोखा के उच्च अधिकारीओं नें तरूण भारत संघ के कामों को देखा और कहा कि पानी और दुनिया एक है। भारत सरकार के सूचना तंत्र ने दुनिया के ऑडिट करने वाले अधिकारियों को तरूण भारत संघ में भेजा है।
प्रख्यात पर्यावरणविद और जल पुरूष के नाम से मशहूर डॉ राजेन्द्र सिंह ने उन्हें आॅडिट संबंधित पारदर्शी तंत्र बनाने की जानकारी दी। सबसे पहले अफ़ग़ानिस्तान के गुलाम दाऊद शेख ने पूछा कि धरती के अंदर और धरती के ऊपर के जल प्रबंधन को कैसे जोड सकते है और उसके सरकारी लेखे-जोखे के पारदर्शी तंत्र का विकास कैसे किया जा सकता है। इस पर जल पुरूष नें कहा कि दुनियां कि लोकतांत्रिक सरकारों के पास भूजल सर्वेक्षण के बहुत सारे पारदर्शी सर्वेक्षण मौजूद है। उन जानकारिओं के आधार पर सिचाई में वाष्पीकरण कम करने की विधि को सिंचन में सरकारी परियोजनाओं में प्रभाव मूल्याकन में शामिल करना चाहिए। जब भी यह सवाल आॅडिटर अधिकारीओं से पुछना शुरू करेगें तों इंजीनियर अधिकारीओं और ठेकेदारों को इस सवालों के जबाबदेही से गुजरना होगा। इसलिए इसे शामिल करना आवश्यक है।
अर्जिंटीना के एवार्डो क्यूजो एलियाजमरियन ने यह जानना चाहा कि जल संरचनाओं में प्राकृतिक पुनः भरण कैसे हो और इसका मापन करने वाले मान बिन्दु कैसे तय किये जाए। इस सवाल का जबाब देते हुए जल पुरूष नें कहा कि यह बहुत ही सरल है हम जल संरचना के नीचे की जल शोषण करने वाली तकनीक से उसकी मात्रा और भूजल के बढते जलस्तर को देखे और नापे। उससे जलउपलब्धता के संबंध को जोडकर समाधान खोजे।
बोत्सवाना के गिंदोक गोटिंगवे ने परिस्थितिकी को जानने की कोशिश की, बुलगारिया कि शिरिन फरहाद ने पुछा कि हम भारत के इस प्रयोग को अपने देश में कैसे अपना सकतें है? यह सवाल मिस्त्र,इथियोपिया,जाॅर्जिया,गुयाना,लातविया,माॅरीशस,मोरक्को,म्यांमार,श्रीलंका,ताजिकस्तान, और तंजानिया के अधिकतर अधिकारीओं नें जानना चाहा कि वे अपने काम का कैसे पर्यावरण प्रभाव का अध्ययन करतें है। इस पर डॉ सिंह नें कहा कि उनका अध्ययन आंकडो के आधार पर नहीं होता। धरती पर उसका जो प्रभाव है वह उन्हें दिखता है, जैसे बढ़ती हुई पैदावार अन्न व दूध ,चारा और ईधन और शहरों से वापस आए अपने गांव मे लोगों के द्वारा खेती में लगना, यह प्रत्यक्ष प्रभाव गणनाओं के द्वारा वो जानते हैं। काम शुरु करने से पहले की फोटो पॉइंट मॉनिटंिरंग तथा बढ़ती वनस्पतियों और जैव विविधता से यह प्रभाव प्रत्यक्ष ही उन्हें समझ में आ जाता है। इसको वो अपने दस्तावेजों में शामिल कर लेते हैं।
इस चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कॉमनवेल्थ डोमिनिका के मार्लोन रोमैन तथा चिली की क्लाउडिया सैंडोवाल, भारत के विजय कुमार झा,स्लोवक गणराज्य के पीटर पेटको, श्रीलंका के शलिका संजीवनी ने गोपालपुरा गांव में जो देखा उसके बारे में टिप्पणी करते हुए कहा कि हमारी सरकारों को अपने लोगों को विश्वास के साथ इस बात को आगे बढ़ाना चाहिए। त्रिनिदाद और टोबैगो की एल्सपेथ डैड और लिसा जोफ्राब्रहम टर्की की माइन काकीर ने कहा कि यह काम जो उन्होंने देखा इसे बहुत कुछ सीखा और सीख मिली है। उनके देश में सरकारें इस तरीके का काम कर रही हैं। वियतनाम की थु थू हांेंग,जिम्बाब्बे की नमताई ब्राईट चिंबवंदा ने भी कहा कि उनके देश को इस तरह के काम की बहुत जरुरत है वे चाहते हैं कि डॉ सिंह उनके देशों में जाकर उनके लोगों को ऐसा काम करने हेतु प्रेरित करें।
सभी ने तरुण भारत संघ में पिछले ३६ वर्षों के अनुभव को जानने सुनने का आग्रह किया और डॉ सिंह ने जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन और उन्मूलन के प्रभाव दिखाए और समझाए। इन प्रभाव को देखकर पर्यावरणीय लेखा जोखा मूल्यांकन की बहुत सारी विधियों पर प्रकाश डाला।
तदोपरांत सभी डॉ सिंह की जल शांति यात्रा में शामिल हुए। सभी अधिकारियों ने सर्वसम्मति से कहा कि डॉ सिंह की विश्व शांति यात्रा अब जब उनके देशों में आएगी तो वे सरकारी तौर पर उसका स्वागत करेंगे। उन्होंने कहा कि वे इस यात्रा में निजी नैतिक तौर पर आज से शामिल हैं क्योंकि दुनिया को तीसरे विश्वयुद्ध से बचाने के लिए, जो पानी के लिए हो होगा, यह आवश्यक है।