विरासत स्वराज यात्रा 2022: बाढ़ और सुखाड़ विश्व जन आयोग
– डॉ राजेंद्र सिंह*
स्टॉकहोम: 2 सितंबर 2022 को स्वीडन के सबसे बड़े सरकारी संस्थान, केटीएच टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय में यहां के विशेषज्ञों के साथ बाढ़ और सुखाड़ विश्व जन आयोग की शुरुआत की गई। सभी विशेषज्ञों ने सर्वसम्मति से मुझे इस आयोग की अध्यक्षता करने व परिषद का गठन करने की जिम्मेदारी सौंपी।
पिछले दो महीनों से इस जन आयोग के गठन हेतु अलग-अलग व्यक्ति, संघठन और संस्थानों में बात हो रही है। तथा बाढ़ सुखाड़ के जन आयोग के प्रारूप पर चर्चा हो रही है। यह बात निजी तौर पर स्वीडन के किंग काल गुफ्ताब ने भी अपने भाषण में जोर देकर कही। इस विषय पर सरकार और स्वीडन की संस्थाएं व संघठन भी रुचि ले रहे है।
मैंने इस विरासत स्वराज यात्रा में इस विषय में दर्जनों बैठकें वर्ल्ड वॉटर वीक से बाहर अलग अलग संस्थाओं के साथ की है। सभी बैठकों की इस तरह के जन आयोग बनाने की जरूरत को महसूस किया। युवा और महिला संगठनों में भी बाढ़ – सुखाड़ मानव अधिकारों पर हमला है, यह बात कहकर जन आयोग में अपनी भागेदारी निभाने की पेशकश की बाढ़ – सुखाड़ जन आयोग पर युवाओं की गहरी चिंता वाजिब है, क्योंकि आज युवा और महिलाओं का जीवन बाढ़ सुखाड़ के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। आज यह इस संकट को झेल रहे है। आज पूरी दुनिया के युवा इस इसलिए यह बात भी हुई कि , इस कमीशन में युवाओं को भी भागीदारी मिले, महिलाओं की भी भागीदारी मिले, और यह कमीशन अच्छे से आगे बढ़कर काम करें। ऐसा एक खुला अवसर सबको प्राप्त हो। इस दिशा में भी लंबी बातचीत हुई।
इस बाढ़ सुखाड़ जन आयोग का प्रारूप भी 2 सितंबर यहां तैयार हुआ। इस पर वर्ल्ड वाटर वीक में मैंने दुनिया के बहुत सारे वैज्ञानिकों, योजनाकारों, समाजिक कार्यकर्ताओ,जल और नदी संरक्षण के काम में लगे हुए लोगों के साथ मिलकर एक – एक उनकी राय जानी। दुनिया के लगभग 100 से अधिक व्यक्तियों से इस अवसर पर मैंने व्यक्तिसह बात की। आज सभी ने इस आयोग की जरूरत को बहुत महत्वपूर्ण बताया तथा अपनी भागेदारी निभाने की भी सहमति दी।
अंत में मैंने इसका प्रारूप बहुत लोगों के सामने रखा और बहुत लोगों ने इस प्रारूप पर भी अपनी राय रखी। उस राय के मुताबिक यह तय हुआ कि, अगले 2 महीने में पूरी दुनिया से कौन-कौन इसके कमिश्नर होंगे और वह कैसे काम करेंगे? क्या क्या काम करेंगे? कौन किस काम को करेगा? इस पर भी प्राथमिक बात हुई। आगे यह भी बात हुई कि, इस बाढ़ सुखाड़ के कमीशन को पूरी दुनिया के जन आधारित, जन अनुभवों और सरकार के अनुभव सुनकर इस रिपोर्ट को बनना चाहिए। यह रिपोर्ट किसी के दबाव में या किसी के प्रभाव में आए बिना, सब की रिपोर्ट बने ऐसा प्रयास करने के लिए इस आयोग का ढांचा बनना चाहिए।
इस जनआयोग में दुनियाभर से 15 कमिश्नर, 100 से अधिक वैज्ञानिक, विषय विशेषज्ञ और दुनिया में अच्छे काम करने वाले लोग शामिल होंगे। यह जनआयोग बाढ़ और सुखाड़ मुक्ति का काम करने वाले लोगों को ढूंढने और जोड़ने का कार्य करेगा। अगले दो महीनों में विश्व जन आयोग के गठन की प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाएगी और इसकी परिषद बनने के लिए 3 महीने व विश्व की जन परिषद बनने का कार्य 6 महीने में पूरा होगा। यह जन आयोग एक दशक तक कार्य करेगा। तय हुए प्रारूप में आगे संशोधन भी किया जा सकेगा।
इससे पहले 1 सितंबर २०२२ को विरासत स्वराज यात्रा की स्टॉक होम स्वीडन में वर्ल्ड वाटर वीक के समापन दिवस पर 7 सत्रों में भागीदारी रही। इस बार वर्ल्ड वाटर वीक में 100 से ज्यादा संस्थाओं ने भाग लिया और 300 से ज्यादा इसमें सत्र चले है। इस सम्मेलन के अंत में अगले साल के लिए खोज (शोध) विषय तय किया गया।
इस वक्त पूरी दुनिया को बाढ़ और सुखाड़ से मुक्ति दिलाने वाले व्यवहार को अपनाने की जरूरत है। आज की बाढ़ और सुखाड़ मानव निर्मित है,इसका समाधान भी मानव ही कर सकता है। बाढ़ और सुखाड़ के परिदृश्य और चरित्र में आ रहे बदलाव को संयुक्त राष्ट्र संघ और दुनिया की सभी राष्ट्रीय सरकारें मिलकर बाढ़ और सुखाड़ का जन आयोग बना देती तो यह दुनिया में हो रहा विनाश, समझ में आ जाता। तो दुनिया इस विनाश को भी विकास के रास्ते पर चला देती। ऐसा इसलिए नहीं हुआ, क्यों कि दुनिया बाढ़ और सुखाड़ के रास्ते पर अपने लालच के वशीभूत होकर चल रही है और नई शिक्षा की तकनीक व इंजीनियरिंग के केवल बाढ़ और सुखाड़ पर नियंत्रण करना सिखाती है। अब इस पर नियंत्रण करना संभव नहीं है। अब तो मानवीय व्यवहार को बदलकर प्राकृतिक अनुकूलन द्वारा खेती और उद्योगों के साथ नया नजरिया अपनाना होगा तभी बाढ़ और सुखाड़ के साथ इंसान के व्यवहार में मुक्ति का रास्ता सूझेगा।
इस रास्ते को सुझाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की तैयारी नही दिख रही है,इसलिए दुनिया को जनता को मिलकर इसका समाधान खोजने के लिए बाढ़ – सुखाड़ जन आयोग बनाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र संघ से अब यह आशा नहीं करनी चाहिए। बाढ़ – सुखाड़ या जलवायु परिवर्तन से संबंधित जो संयुक्त राष्ट्र संघ या आई पी सी सी से जो रिपोर्ट आ रही है, वह रिपोर्ट नेशनल गवर्मेंट व स्टेट गवर्नमेंट से छलनी में छन कर आती है, इसलिए उनमें वास्तविकता नही बचती, इसी कारण वह व्यवहारिक नही बन पाती।
प्रतीक्षा किए बिना बाढ़ और सुखाड़ का जन आयोग बनाकर दुनिया की जनता व वैज्ञानिकों, अच्छे नेताओं को मिलकर काम करना चाहिए। यह आयोग बाढ़ – सुखाड़ के असली कारणों को बताए तथा बाढ़ – सुखाड़ मुक्ति के उपाय पर काम करवाए। क्यों कि दुनिया में ऐसे बहुत उदाहरण है जहां स्थानीय समुदायों ने अपने परिश्रम से बाढ़ और सुखाड़ मुक्त बना लिया है। दुनिया के ऐसे जन प्रयासों को भी दुनिया के सामने लाना चाहिए।
यह आयोग केवल आईपीसीसी की रिपोर्ट की तरह ना हो बल्कि रिपोर्ट ऐसी हो जो कि, बाढ़ – सुखाड़ से बचने और बचाने के व्यवहारिक उपयोग के काम को बढ़ा सकें। ऐसी रिपोर्ट हर 5 साल तक निकले और 5 साल के बाद जो समय सिद्ध दुनिया के अनुभव होंगे, उनके आधार पर फिर काम आगे बढ़े।
दुनिया की जल सुरक्षा के लिए जल परिशोधन,जल संरक्षण के काम करने की तकनीक, इंजीनियरिंग और विज्ञान को समग्रता से प्रकृति का सम्मान बढ़ाने वाला व्यवहार अपनाना पड़ेगा। जब तक इंसानों का प्रकृति के साथ प्यार का व्यवहार नहीं होगा, तब तक दुनिया बेपानी होती रहेगी। लोगों की आंखों का पानी भी सूख जाएगा और कुछ लोगो की आंखों से बाढ़ की तरह का पानी बहेगा। आज पूरी दुनिया में ऐसे ही बाढ़ – सुखाड़ बढ़ता जायेगा।
*लेखक जलपुरुष के नाम से विख्यात पर्यावरणविद हैं।