जालौन: भारतीय जनता पार्टी में उत्तर प्रदेश में आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर पार्टी के प्रत्याशियों की सूची तो मार्च अप्रैल 2024 में ही जारी हो पाएगी लेकिन प्रदेश में भाजपा में टिकट को लेकर भीषण गुट बाजी व्याप्त हो गई है। इसका ताजा नमूना जालौन खरोठा भोगनीपुर सुरक्षित सीट का है जहां तो भाजपा के दिग्गजों के बीच अभी से तलवारें खिंच गई है जिसके चलते भाजपा की गुटबाजी आज सड़कों पर आ गई है।
मालूम हो कि जालौन गरोठा भोगनीपुर सुरक्षित लोकसभा सीट से भानु प्रताप सिंह वर्मा भाजपा के प्रत्याशी के रूप में पांच बार चुनाव जीत चुके हैं और वर्तमान में वह केंद्रीय राज्य मंत्री हैं। जबकि इस टिकट के प्रबल दावेदार जिला पंचायत के अध्यक्ष डॉ घनश्याम अनुरागी वर्ष 2009 इसी संसदीय क्षेत्र से समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर सांसद चुने गए थे। तब उन्होंने भाजपा के प्रत्याशी वर्मा को हराया था।
पर कहानी में पेंच तो अब आया है जब अनुरागी पिछले दिनों सपा और बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) छोड़कर भाजपा का दामन थाम चुके हैं।
मालुम हो कि घनश्याम अनुरागी हमीरपुर जनपद के एक गांव खेड़ा शिलाजीत के रहने वाले हैं। वे हमीर पुर वर्ष 2000 में हमीरपुर जिले के जिला पंचायत अध्यक्ष भी बन चुके हैं। इस दौरान उन्होंने बड़े अखबारों के दफ्तर कम किराए पर जिला पंचायत परिसर में ही उपलब्ध करवा दिए थे। इससे वह पत्रकारों में काफी लोक प्रिय भी हो गए। लेकिन हमीरपुर में राजनीतिक के चलते हुए हमीरपुर से जालौन आ गए। वे वर्ष 2004 का लोकसभा चुनाव भाजपा प्रत्याशी भानु प्रताप वर्मा से हार गए लेकिन सपा के टिकट पर उन्होंने वर्ष 2009 में भाजपा प्रत्याशी वर्मा को हराकर जालौन के गरौठा, भोगनीपुर सुरक्षित सीट से पहली बार सपा के सांसद बन गए। लेकिन सपा के शीर्ष नेताओं से उनकी जब नहीं बनी तो वह बसपा में शामिल हो गए। लेकिन जब उन्हें वहां भी टिकट नहीं मिला तो वह फिर सत्तारूढ़ दल भाजपा में शामिल हो गए। फिर भाजपा के टिकट पर वर्ष 2021 जिला पंचायत का अध्यक्ष पद का चुनाव लड़े और कांग्रेस की प्रत्याशी उर्मिला खबरी, जो कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भी रहे पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी की धर्म पत्नी हैं, उनको हरा कर भाजपा के जिला पंचायत अध्यक्ष बन गए। अब उनकी इच्छा सत्तारुढ़ दल भाजपा का एक बार सांसद बनने की है। इसके लिए उन्होने गरीबों एवं आम जन के लिए सिर्फ ₹5 में अच्छे भोजन की अपनी रसोई की शुरुआत की जो काफी पापुलर है। उनकी इस योजना से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के कुछ शीर्ष नेता भी प्रभावित हैं।
इसके अलावा अभी कल ही भाजपा के वोट बैंक माने जाने वाले दलित बिरादरी कोरी समाज की नेत्री और रानी लक्ष्मीबाई की फौज में सेनापति की भूमिका करने वाली झलकारी बाई कोरी की जयंती पर उन्होंने एक विशाल कार्यक्रम की योजना की। इसमें कोरी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुंवर जी भाई बावलिया को मुख्य अतिथि बनाया। भाजपा के राज्यसभा के सांसद वरिष्ठ और अपनी ईमानदारी के लिए चर्चित रहे पूर्व आईपीएस अधिकारी बृजलाल को विशिष्ट अतिथि बनाया। इसी तरह राज्य मंत्री मनोहर लाल पंथ को विशिष्ट अतिथि बनाया। इस जयंती सम्मेलन में बड़ी संख्या में कोरी समाज के लोग तथा विभिन्न विद्यालयों के छात्राओं की बड़ी संख्या थी। इस कार्यक्रम का संचालन है क्रमश: डॉ नरेश वर्मा कामता प्रसाद, राजेश वर्मा और युद्ध वीर कंथारिया ने किया । इस दौरान अन्य नेताओं के साथ प्रलुब्भ निरंजन और आशीष मिश्रा चमारी नेता भी प्रमुख रुप से मौजूद थे।
उधर झलकारी बाई की ही जयंती पर केंद्रीय राज्य वर्मा के मुख्य आतिथ्य में राजकीय मेडिकल कॉलेज उरई के ऑडिटोरियम में एक बड़ा सम्मेलन नेशनल शेड्यूल कास्ट और शेड्यूल ट्राइब हब कांक्लेव किया गया जिसमें बड़ी संख्या में अधिकारी कर्मचारी कोरी समाज के लोग और युवा मौजूद रहे। इस कार्यक्रम में भाजपा के सदर विधायक गौरी शंकर वर्मा मौजूद रहे जबकि माधौगढ के भाजपा विधायक मूलचंद निरंजन, डॉ घनश्याम मंदगी के कार्यक्रम में मौजूद रहे लेकिन मंत्री के कार्यक्रम से दूरी बनाई।
उधर डॉक्टर घनश्याम अनुरागी राजनीति की शतरंज की बिसात पर गोट बिछा झलकारीबाई की जयंती कार्यक्रम में जिस तरह से अखिल भारतीय कोरी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष व गुजरात सरकार के कैबिनेट मंत्री कुंवर जी भाई बावलिया को मुख्य अतिथि बनाया तथा भाजपा के राज्यसभा सांसद और और वरिष्ठ पूर्व आईपीएस अधिकारी बृजलाल और प्रदेश के राज्य मंत्री मनोहर लाल पंथ को विशिष्ट अतिथि बनाया, उन्होंने यह संदेश जनता में दे दिया की लोकसभा की टिकट के दौड़ में वह किसी से पीछे नहीं हैं। उनका कमजोर पक्ष है कि वह सपा, बसपा से होते हुए भाजपा में आए हैं और उन पर तमाम तरह के आरोप लगते रहे हैं – चाहे पत्रकार शशिकांत के जेल जाने का मामला हो ,जिसके कारण उसकी पत्नी की मौत हो जाने का मामला हो, या सपा नेता सुदामा दीक्षित के जेल जाने का मामला हो, या फिर उनकी बेटी के आरोप हो, या फिर महिला के रोटी और भाजी का विवादित ऑडियो हो। और वह उन सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते रहे हैं और ऑडियो में अपनी आवाज की जांच कराने की मांग करते रहे हैं।
वैसे भाजपा और संघ के शीर्षपुष्ट सूत्रों की माने तो केंद्रीय राज्य मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा का टिकट कटने की संभावना पर अभी कुछ भी तय नहीं हैं। यदि पार्टी ने उनका टिकट काटकर किसी राज्य का राज्यपाल बना दिया तो फिर इस सुरक्षित लोकसभा सीट को में टिकट डॉक्टर घनश्याम अनुरागी या फिर सदर विधायक गौरी शंकर वर्मा में से किसी एक को मिल सकता है। टिकट को लेकर तनातनी की हालत यह है की कोरी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष और गुजरात राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री कुंवर जी भाई बावलिया जब उरई के लोक निर्माण विभाग के डाक बंगले में पहुंचे, तो वहां उनके नाम पर कमरा आरक्षित नहीं था। जिससे वह नाराज हो गए लेकिन इसी बीच भागते हुए कार्यक्रम के आयोजक डॉक्टर घनश्याम अनुरागी पहुंचे और उन्होंने बताया कि उनके नाम पर कमरा आरक्षण सिंचाई विभाग के डाक बंगले में है। इसी बीच केंद्रीय राज्य मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा और डॉक्टर घनश्याम अनुरागी का आमना सामना जब कोरी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुंवर जी भाई बावलिया के सामने हुआ तो दोनों ने एक दूसरे से बात नहीं की लेकिन सिर्फ राष्ट्रीय अध्यक्ष बावलिया से ही बात करते रहे। इतना ही नहीं मंत्री भानु प्रताप वर्मा ने कोरी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष बावलिया से शिकायत की कि डॉक्टर घनश्याम अनुरागी ने झलकारी बाई के कार्यक्रम के संदर्भ में कोई जानकारी उन्हें नहीं दी। इस पर नाराजगी भरे स्वर में डॉक्टर अनुरागी ने बताया कि उन्होंने हर एक को जानकारी दी थी।
बहरहाल आगामी लोक सभा के चुनाव में टिकट के लिए चालू आपाधापी की यह तो बस एक झलक भर ही है। सारे उत्तर प्रदेश और देश में हो रही इस चुनावी आपाधापी का इससे अंदाज़ा तो लगाया ही जा सकता है।
*वरिष्ठ पत्रकार