एक युग का अंत : हम तो जाते अपने गाँव सबको राम राम राम
– डॉ. राजेन्द्र सिंह*
श्रद्धेय आदरणीय डा.एस.एन. सुब्बाराव जी का शरीर पंचतत्त्व में विलीन हो गया। लेकिन उनकी ऊर्जादायी आत्मा जरूर हम सबको ऊर्जा देती रहेगी और हमें ऊर्जावान बनाएगी। हम यह जानते हैं कि, भाई जी ने अपने गीतों और कामों के माध्यम से सदैव भारत व दुनिया के युवाओं को ऊर्जा दी है। भाई जी, अद्भुत आत्मा थे, वह जहाँ भी, जैसे भी, खड़े होते थे, वहाँ सदैव ऊर्जा देते थे।
भाई जी ने दुनिया के युवाओं को सही रास्ते पर चलाने के लिए सदैव मार्गदर्शन दिया है। इन्होंने गीत-संगीत, अपने काम, चंबल के 654 डाकुओं को आत्मसमर्पण कराने के काम में जो एक प्रेरणादायी, प्रेरक वातावरण निर्माण किया। भाई जी के ‘नौजवान आओ रे, भारत निर्माण, जय-जगत’ सभी गीत बहुत ऊर्जा दायक हुआ करते थे। आज उनकी ऊर्जा और प्रेरणा, पार्थिव शरीर में एक तरह से थक कर अवसान में चली गई है, लेकिन उनका मूल विचार और उनका प्रेरक गीत-संगीत, उनका प्रेरक विमर्श, संगति, यह सब सदैव प्रेरक बनकर प्रेरणा देते रहेंगे।
मुझे याद है कि मैं अगस्त 2015, स्टॉकहोम में उन्हें देखकर आश्चर्यचकित रह गया था, जब उनको पता चला कि मुझे स्टॉकहोम वाटर प्राइज मिल रहा है, तो वह अमेरिका से़ सीधे स्टॉकहोम पहुँचे थे। मैं उन्हें देखकर नतमस्तक हो गया और मैंने अपने आप को धन्य माना कि जिनसे हमने 14 साल की उम्र में प्रेरणा लेना शुरू किया था, वह 87 साल के होने के बावजूद भी, वहां मुझे आशीर्वाद देने पहुँच गए थे।
उनका आशीर्वाद देने का तरीका भी अद्भुत था, आज तक इस प्राइज के प्रोटोकॉल में कभी रात के डिनर में, इस तरह के स्वीकृति भाषण में कोई गीत-संगीत और प्रेरक भाषण नहीं होते हैं। लेकिन मेरे दो शब्द बोलने के बाद, मैंने मंच से कहा कि, मेरे गुरु सुब्बाराव जी इस हाउस में मौजूद हैं, मैं अपनी बात ना कहकर, मैं चाहूंगा कि मेरे गुरु इस बात को कहें। वह मंच पर गए और उन्होंने गाना शुरू किया। यहाँ मेरे साथ भारत के करीब 30 युवा साथी भी गए थे। सभी के सभी मंच पर आ गए और उन्होंने ‘जय जगत-जय जगत’ गीत गाया, फिर ‘वी शैल ओवर कम’ अंग्रेजी में गीत-गाया और पूरे हाउस को चकित कर दिया। वहाँ के महाराजा और कई देश के राष्ट्रपति भी मौजूद थे, वह सब लोग आनंदित हो गए।
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अभी उनकी स्मृतियाँ, मन में घूम रही हैं। 28 अक्टूबर 2021 की शाम 4ः00 बजे स्मृतियां आंसुओं में बदलने लगीं। हमें लगा कि, एक वह शरीर जो मधुर गीत-गाता था, जो 94 साल की उम्र में वैसा ही लगता था, जैसा मैंने उनको जब से देखा था। जब 10 अक्टूबर 2021 को फिर से उनका दर्शन किया था, तो वह बिल्कुल वैसे के वैसे ही थे, अब 27 अक्टूबर को देखा तो चेहरा वैसा ही दिख रहा था। 28 तारीख को भी वैसे ही दिख रहे थे, लेकिन अब वह एक गहरी नींद में सो गए हैं। लेकिन हमें उनकी आत्मिक ऊर्जा हमेशा प्ररेणा देते रहेगी।
*लेखक जलपुरुष के नाम से विख्यात और स्टॉकहोम वाटर प्राइज से सम्मानित पर्यावरणविद हैं।