5 नवम्बर: विश्व सुनामी जागरूकता दिवस 2020
-प्रशांत सिन्हा
सम्पूर्ण विश्व में 5 नवंबर को विश्व सुनामी जागरूकता दिवस मनाया जाता है। दिसंबर 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 5 नवंबर को प्रतिवर्ष विश्व सुनामी जागरूकता दिवस के रूप में मनाने का निश्चय किया था । इसको लेकर दुनिया दुनिया के कई देश एक साथ आए और संयुक्त राष्ट्र से मांग की। जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने विश्व सुनामी जागरूकता दिवस की घोषणा की। संयुक्त राष्ट्र कार्यालय आपदा जोखिम न्यूनीकरण ( यूएनडीआरआर) ने जापान के सेंदाई, मियागी में 14 से 18 मार्च, 2015 तक आयोजित आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर तीसरे संयुक्त राष्ट्र विश्व सम्मेलन में सेंदाई फ्रेमवर्क पर आधारित राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना और दस सूत्री एजेंडे को अपनाया था। इसका उद्देश्य सुनामी के खतरों और इसके प्रभाव को कम करने हेतु चेतावनी प्रणालियों के बारे में जागरूकता पैदा करना है।
समुद्री तूफान को जापानी भाषा में सुनामी बोलते हैं। सुनामी पानी के नीचे उत्पन्न हुई अशांति द्वारा बनी बड़ी लहरों की एक श्रृंखला है। ये लहरें आमतौर पर भूकंप से संबंधित होती हैं जो सागर के आसपास होती है। इसकी गति 420 किलोमीटर प्रति घंटा तक और ऊंचाई 10 से 18 मीटर तक हो सकती है। सुनामी दुनिया के लिए एक भयंकर खतरा है। सुनामी के कई कारण हैं जैसे भूकंप, तटीय पत्थर का टूटना या ज्वालामुखी विस्फोट।
प्रति रक्षात्मक उपायों का फायदा लेने के लिए सुनामी के प्राकृतिक चेतावनी के लक्षणों का पहचानना महत्वपूर्ण है। चूंकि जोरदार भूकंप के कारण सुनामी आ सकती है इसलिए पृथ्वी के झटकों को समझना चाहिए। यदि पानी में जबरदस्त हलचल दिखता है या पानी में कम्पन होता है तो यह सुनामी हो सकता है।
26 दिसंबर 2004 को हिन्द महासागर में आई सुनामी की विनाशकारी लहरों ने अकेले भारत, इंडोनेशिया, श्रीलंका और थाईलैंड में दो लाख तीस हजार लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। बीते सौ सालों के अंदर सुनामी से जापान, इंडोनेशिया, श्रीलंका, भारत और थाईलैंड समेत देश ऐसे रहे जिन्होंने काफी नुक़सान उठाया है इसमें स्वास्थ से लेकर आर्थिक नुकसान तक शामिल है।
अंतर्राष्ट्रीय सुनामी दिवस या कोई भी दिवस जनता को चिंता के मुद्दों पर जागरूक करने और उससे निपटने के बारे में जानकारी देता है और लोगों को प्रेरित करता है ताकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सभी देश एक साथ आकर काम करें। एशियाई मंत्रीस्तरीय सम्मेलन ( यूएनआईएसडीआर ) के अनुसार इस दिन के महत्व को समझने के लिए साल 1854 के उदाहरण को समझना बहुत जरूरी है। 5 नवंबर को ” इनामुरा- नो- हाय ” की प्रसिद्ध जापानी कथा के सम्मान में विश्व सुनामी जागरूकता दिवस के रूप में चुना गया था जिसका अर्थ है ” चावल के झुण्डों को जलाना ” । वर्ष 1854 में एक भूकंप के दौरान एक किसान ने देखा कि समुद्र का ज्वार कम हो रहा है जो कि आने वाली सूनामी का संकेत है। उन्होंने पहाड़ी की चोटी पर जाकर चावलों की ढेर लगा दी थी। जब ग्रामीणों ने इस चावल के ढेर में लगी आग को देखा तो लोग उसे बुझाने के लिए पहाड़ी पर चढ गए। उनके पहाड़ी पर चढ़ने के बाद नीचे गांव में तेज़ सुनामी की लहरें आयीं जिसने पूरी तरह गांव को नष्ट कर दिया। जिस दिन चावलों के ढेर में आग लगाई गई थी विशेषज्ञों ने उसी 5 नवंबर को सूनामी जागरूकता दिवस मनाने फैसला लिया।
पहला विश्व जागरूकता दिवस 5 नवंबर 2016 को पूरे विश्व भर में मनाया गया था। वर्ष 2016 के विश्व सुनामी जागरूकता दिवस का विषय था ” प्रभावी शिक्षा और निकासी ड्रिल “। यह जागरूकता दिवस आपदा जोखिम न्यूनीकरण 2016 के एशियाई मंत्री स्तरीय सम्मेलन और आपदा जोखिम न्यूनीकरण के आपसी सहयोग से भारत सरकार के नेतृत्व में नई दिल्ली में आयोजित किया गया।
इस दिवस का उद्देश्य सुनामी के खतरों और इसके प्रभाव को कम करने हेतु प्रणालियों के बारे में जागरूकता पैदा करना है। वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस ऑन डिजास्टर रिस्क रिडक्शन पर विश्व सम्मेलन के मुताबिक सुनामी के जोखिम से लोगों को रोकने के लिए सबसे स्वीकार्य पद्धति ” प्रारंभिक चेतावनियां ” के माध्यम से आवश्यक जानकारी को तुरंत वितरित और साझा करना है। यह भी महत्वपूर्ण है कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों की सरकार एकजुट हो और महासागरों को पहचानने के लिए सहयोग साझा करे।
भारत में भारतीय सुनामी अग्रिम चेतावनी केंद्र वर्ष 2007 से काम कर रहा है। यह हैदराबाद स्थित भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र के जरिए पूरे हिन्द महासागर क्षेत्र के लिए सूनामी वॉच प्रोवाइडर के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहा है। यह केंद्र हिन्द महासागर क्षेत्र में आने वाले और सुनामी पैदा करने में सक्षम भूकंपों का दस मिनट के भीतर पता लगाने में सक्षम है और संबद्ध अधिकारियों को इसकी चेतावनी 20 मिनट में जारी कर देता है
एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2030 तक की दुनिया की पचास फीसदी आबादी बाढ़, तूफान और सुनामी के संपर्क में रहेगी। इसी दौरान संयुक्त राष्ट्र लोगों को इसके बारे में जागरुक करेगा। सुनामी से निपटने के लिए लोगों को बुनियादी ढांचे, चेतावनी, और प्रशिक्षण दिया जाएगा। अगर लोगों को सुनामी से संबंधित सभी जानकारियां होंगी तो संभवतः काफी जान माल को सुरक्षित रखा जा सकता है।