रविवारीय: दुर्गा पूजा और कोलकाता
– मनीश वर्मा ‘मनु’
दुर्गा पूजा… और वह भी बंगाल का विशेषकर कोलकाता का। एक सपना हुआ करता है भारत के किसी और प्रदेश में रहने वालों के लिए कि वो अपने जीवनकाल में एक बार कोलकाता का दुर्गा पूजा देखे। कोलकात्ता में आप दशहरे में हैं! यह अहसास ही आपको काफी रोमांचित कर जाता है।
” शोरबोरूपे देवी, शोरबोरूपे शोकति” ।
हमारा सपना पूरा होने को है।हम आ पहुंचे हैं कोलकात्ता और वो भी दशहरे में। हर पल एक नयापन का अहसास हो रहा है। यह अहसास ही आपको काफी रोमांचित कर दे रहा है।तो आइए हम सभी मिलकर दशहरा मनाएं और इस पावन अवसर नमन करें, देश की नारी शक्ति को।
आज महालया है और कोलकाता में दुर्गा पूजा की शुरुआत हो चुकी है। पंडालों का बनना काफी पहले से ही शुरू था। अब तो उसे सिर्फ अंतिम स्वरूप दिया जाना बाकी है। यहां के दुर्गा पूजा की खासियत यह भी है कि लगभग सभी पंडाल किसी ना किसी थीम पर बेस्ड बनाए जाते हैं। हर पंडाल की अपनी एक अलग खूबसूरती , भव्यता और पहचान होती है । एक अलग कहानी होती है।
पूजा पंडाल के अधिकारीगण, जैसा कि मैंने शुरुआत में ही कहा यहां के पंडाल थीम बेस्ड होते हैं, वे अंत तक यह गोपनीयता बरकरार रखने की कोशिश करते हैं कि इस बार का उनका थीम क्या है। जब तक उसे अंतिम रूप न दे दिया जाए, संशय की स्थिति बरकरार रहती है।
एक अलग किस्म की प्रतियोगिता रहती है पूजा पंडालों के बीच। हर कोई एक दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ में लगा हुआ। जो होड़ में नहीं हैं वे भी एक सपना देखते हैं अगले साल के लिए।
अमूमन यहां का हर पूजा पंडाल को किसी ना किसी नामचीन और रसूखदार व्यक्ति का संरक्षण प्राप्त रहता है। बीते सप्ताह यहां एरिक फाल्ट जो दिल्ली स्थित यूनेस्को कार्यालय में बतौर निदेशक हैं, उनके नेतृत्व में यूनेस्को की टीम आई थी और उनके दल ने यहां के विभिन्न पुजा पंडालों को देखा। उनकी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराई। यह फैक्टर भी कहीं न कहीं पूजा पंडालों के बीच एक सार्थक प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाता है।
कल पहली पूजा है और यहां के लोगों के ऊपर दुर्गा पूजा की ख़ुमारी सर चढ़कर बोल रही है ।
चेतला अग्रणी क्लब के द्वारा बनाया जाए बेहतरीन पंडाल की बात हो या फिर सुरूचि संघ या फिर नकतला उद्यान संघ। कुमारटुली की पूजा हो या श्रीभूमि लेक टाउन की या फ़िर हम बात करें शहर के पाॅश इलाके में शुमार अलीपुर के अलीपुर सरवोजनिन पूजा पंडाल की या फ़िर कालीघाट मिलन संघ पूजा के पंडाल की। सभी पूजा पंडालों की खुबसूरती और भव्यता देखते ही बनती है। एक से बढ़कर एक। भव्यता दिख रही है इन पंडालों में। उपरोक्त सभी पूजा पंडालों को यूनेस्को की टीम ने सेलेक्ट किया तो ज़ाहिर है प्रतिस्पर्धा इन्हीं के बीच रहनी है।
अरे! इन सब के बीच में मेडॉक्स स्क्वायर के पूजा पंडाल का जिक्र तो छुट ही गया। भव्य पंडाल और बड़े बड़े झूमरों की सजावट के साथ एक बेहतरीन पूजा पंडाल।
आने वाले दस दिन पूरा कोलकात्ता दुर्गा पूजा की मस्ती में सराबोर होने वाला है। खो जाने वाला है वो। पुरा का पुरा शहर एक आर्ट गैलरी की माफिक दिख रहा है। शहर के लगभग प्रत्येक फुटपाथ की बैरिकेडिंग कर दी गई है। ऐसा अमूमन किसी वी आई पी के आने पर होता है और वह भी सिर्फ वहीं तक जहां से उन्हें गुजरना होता है। उन बैरिकेडिंग के ऊपर पुरी तरह से व्यावसायिक होर्डिंग्स लगाए गए हैं। पुरे शहर में कला और अर्थ का एक अद्भुत संगम दिख रहा है। कोलकात्ता में दिख रहा है,क्यों लोग कोलकाता की दुर्गा पूजा की बात करते हैं। क्यों यह सिटी ऑफ जॉय है। आने वाले दस दिनों में यहां की मस्ती और धमाल में आम और ख़ास का फ़र्क मिट जाने वाला है। वैसे ख़ास तो ख़ास ही हैं। कुछ ख़ास तो करना ही होगा खासकर ख़ास लोगों के लिए।
कोलकाता की दुर्गा पूजा विश्व प्रसिद्ध है और यूनेस्को के द्वारा अत्यंत प्राचीन तथा भव्य आयोजन समारोह के लिए मान्यता प्राप्त है।किसी सुंदर चीज की सुंदरता का वर्णन सुंदर ढंग से किया जाये तो वह सोने पर सुहागा चढ़ाना हुआ।मनीश जी का खूबसूरत रिपोर्ट इसी श्रेणी में है।