– अनिल शर्मा*
मुम्बई/गुवाहाटी: महाराष्ट्र विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 288 है। जिसमें एक विधायक की मृत्यु हो चुकी है जबकि एक विधायक अनिल परब एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) की हिराशत में है जबकि पूर्व मंत्री अनिल देशमुख एवं पूर्व मंत्री नबाव मलिक जेल में हैं।
नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के इन 3 विधायकों की गैर मोजूदगी से अब एनसीपी की संख्या बचकर 53 से 50 रह गई है। यानि अब सदन में कुल विधायकों की संख्या 284 रह गई है। इनमें से शिवसेना के 40 विधायक तथा निर्दलीय 12 विधायक यानि कुल 52 विधायक इस समय शिवसेना के बगावती नेता एकनाथ शिंदे के साथ गुवाहाटी में एक होटल में मौजूद थे।
यानि यदि 284 विधायकों में 52 विधायक घटा दिये जाये तो यह संख्या 232 हो जाती है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों की संख्या 106 है जबकि उनके सहयोगी संगठनों के विधायकों की संख्या 07 है। यानि इन दोनों विधायकों को जोड़ दिया जाये तो संख्या जुड़कर 113 हो जाती है।
भाजपा तथा शिवसेना के बगावती नेता एकनाथ शिंदे को सदन में महाविकास अघाड़ी की सरकार गिराने के लिए 117 विधायक चाहिए लेकिन वर्तमान में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के विधायकों की संख्या 113 हैं। इसलिए यदि गुवाहाटी से तगड़ी सुरक्षा के बीच यदि 09 निर्दलीय विधायक मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे और महाविकास अघाड़ी की सरकार को गिराने के लिए आ जाते हैं तो सदन में कुल सदस्यों की संख्या 232 से बढ़कर 241 हो जायेगी।
इसी तरह भाजपा और सहयोगी संगठन के विधायकों की संख्या 113 में यदि 09 निर्दलयी विधायक जोड़ दिए जाये तो इनकी संख्या बढ़कर 122 हो जायेगी। जबकि बहुमत के लिए सिर्फ 121 विधायकों का आंकड़ा चाहिए। यानि यदि गुहावटी से सिर्फ 09 निर्दलयी विधायक वोट देने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा में आ जाते हैं।
जिस तरह से शिवसेना के 55 में से 40 विधायक और निर्दलीय 12 विधायक असम की राजधानी गुवाहाटी शिवसेना के लीडर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में धीरे-धीरे पहुंच गये हैं, इससे साफ है कि अब चाहे शिवसेना के विधायक ना भी लौटे तो भी महाराष्ट्र विधानसभा में यदि सदन में बहुमत का परीक्षण होता है तो भी शिवसेना की फ्लोर टेस्ट में मुख्यमंत्री ऊध्दव ठाकरे की सरकार गिर जाएगी। कम से कम आंकड़े तो यही संकेत देते हैं।
*वरिष्ठ पत्रकार