राजस्थान के जल आकांक्षी क्षेत्र करौली– धौलपुर के कोट , पसेला, मथारा, बागरिया, लुक्कीपुरा आदि गांवों में जब तरुण भारत संघ द्वारा जल संरक्षण के काम शुरू हुए थे, तब गांवों में बहुत ही लाचारी, बेकारी और बीमारी थी। केवल बूढ़े लोग ही गांव में बचे थे और अकाल का विनाश था।
आज भी जब वृद्ध स्त्री – पुरुषों को आंखो के सामने पिछला सूखे का दृश्य याद आता है, जब वे लोग समय की तुलना करते है तो पिछले दिनों की याद करके आंखे भर जाती है। आज के बच्चों को इस बात एहसास नही है कि सूखा या पानी का अकाल क्या होता है -“टाबरां न तो बेरो कोनी में काइयां रहया हां।
लेकिन 12 साल पुराने और अब हो रहे जल संरक्षण में काम से करौली के इस बीहड़ इलाके में बारिश का पानी बहकर बरबाद नहीं होता, बल्कि बांधो, तालाब में इकट्ठा हो जाता है और कुछ पानी रिस कर धरती में चला जाता है, जिससे कुंआ के पानी का स्तर भी बढ़ गया है। जो कुएं गर्मियों में पूरी तरह सूख जाते थे, वे अब सब भरे रहते हैं । यह वरदान साबित हुए हैं। इस परिवर्तन से धरती का रंग हरा बना दिया और लोगों के जीवन में विश्वास, प्रेम, शांति और आनंद आ गया है।
यहां की महिलाएं अब विश्वास और अपनी शक्ति के एहसास का आभास अपने मनमानस पर बनाने लगी हैं। यह परिवर्तन बहुत ही अद्भुत है। इसलिए यहां की महिलाओं का बहुत सबलीकरण हुआ है। महिलाएं अब घर से बाहर निकालकर काम करने लगी हैं। खेती और पशुपालन की आर्थिकी ने महिलाओं की आर्थिकी को बहुत मजबूत किया है । अब वो खुद स्वावलंबी है, पैसों के लिए भी अपने परिवार पर निर्भर नहीं रहती, अब तो पल्लू का पैसा बना गया है।
पानी की उपलब्धि हो जाने से महिला खुशहाल हुई है, उनके पास समय बच गया है। उन्होंने परिवार के स्वास्थ पर ध्यान देना शुरू कर दिया है, घरों में साफ-सफाई बढ़ाई है। बच्चों के कपड़े-लत्ते धुलने लगे हैं, सब लोग रोज नहाने लगे हैं। बच्चों की छोटी-मोटी बीमारियों पर भी मातायें ध्यान देने लगी हैं। घरेलू दवा के साथ-साथ उन्हें डाक्टर के पास भी ले जाने लगी हैं।
महिला घर परिवार और समाज को समर्पित होकर सुख महसूस करती है। पूरे परिवार को खिलाकर, अंत में खुद खाती है। खेती के काम से लेकर, पशुपालन और परिवार के पालन का त्रिदायत्व अब खुद सबली बनाकर निभा रही है।यहां की महिलाएं समाज की रीढ़ की हड्डी बनकर, स्वयं को परिस्थिति के अनुरूप ढाल लेने में सक्षम हो चुकी हैं।
*जल पुरुष के नाम से विख्यात जल संरक्षक