पिछले दस वर्षो में रबी की प्रमुख फसलों कीमत नही हुए दोगुनी तो कैसे बढ़ेगी किसानों की आमदनी? किसानों को उचित लाभकारी मूल्य मिलना उनका अधिकार है लेकिन मुद्रास्फीति दर को नियंत्रित करने के लिए किसानों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
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रबी फसलों की बढ़ी हुई न्यूनतम समर्थन मूल्य (मिनिमम सपोर्ट प्राइस – एमएसपी) से किसानों का केवल लागत खर्च ही निकल सकेगा। पिछले 10 साल में रबी की प्रमुख फसलों का एमएसपी दोगुना भी नहीं हुआ। फिर किसानों की आय दोगुनी कैसे होगी?
गेहूं का दाम 2275 रुपये प्रति क्विंटल होगा, जबकि सरसों का दाम 5650 रुपये प्रति क्विंटल होगा।
हालांकि गेहूं के समर्थन मूल्य में पिछले दस वर्षों में सबसे अधिक वृद्धि हुई है पर चने का एमएसपी इस साल सिर्फ 1.96% बढ़ा है। बढ़ती लागत और घटता मुनाफा खेती को घाटे का सौदा बनाते हैं।
केंद्र सरकार ने कल (विपणन वर्ष 2024-25) न्यूनतम समर्थन मूल्य में सबसे अधिक वृद्धि मसूर (मसूर) के लिए 425 रुपये प्रति क्विंटल, सरसों के लिए 200 रुपये प्रति क्विंटल, गेहूं के लिए 150 रुपये प्रति क्विंटल, जौ के लिए 115 और चने के लिए 105 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है।
भारत सरकार के पास किसानों को लागत पर 50% जोड़कर लाभकारी मूल्य घोषित कर डॉ एम एस स्वामीनाथन को सच्ची श्रद्धांजलि देने का अवसर था जिसे भारत सरकार ने खो दिया है।
*राष्ट्रीय प्रवक्ता, भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक।प्रस्तुत लेख लेखक के निजी विचार हैं।