– धर्मेंद्र मलिक*
नई दिल्ली: कृषि लागत और मूल्य आयोग द्वारा रबी फसलों के मूल्य निर्धारण के फार्मूले में बड़े बदलाव की ज़रुरत है क्योंकि गलत निर्धारण के कारण किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है।
आयोग ने विपणन वर्ष 2024-25 में रबी फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य की सिफारिशों को अंतिम रूप देने से पहले सभी हितधारकों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के अंतर्गत आज किसान संगठनों के साथ बैठक का आयोजन कृषि मंत्रालय में किया था जिसके बाद भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक ने आयोग के चेयरमेन विजय पॉल शर्मा को दिए ज्ञापन में सी2 लागत जोड़ने पर जोर दिया।
सी2 लागत में खेती के वास्तविक खर्च और कृषक परिवार की मज़दूरी (ए2+एफएल) के साथ जमीन के किराए और खेती में लगी स्थायी पूंजी पर ब्याज को भी शामिल किया जाता है। यूनियन के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य (मिनिमम सपोर्ट प्राइस-एमएसपी) तय करने के दो तरीकों ए2+एफएल और सी2 के बीच भी व्यापक अंतर है। इसीलिए सरकार को किसान के नुकसान की भरपाई के नए तरीके निकालने पड़ेंगे।
गेहूं, चना, मसूर, जौ और सरसों रबी की प्रमुख फसलें हैं। यूनियन ने कहा कि रबी फसलों के लिए उपयुक्त बाजार, स्टोर हाउस, और सप्लाई चैन को दुरुस्त किए बिना कृषि संकट से नहीं निपटा जा सकता है। इसीलिए भारत सरकार को अपने कृषि क्षेत्र को बचाने के लिए कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए नए बाजार ढूंढने होंगे।
इस सम्बन्ध में पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन के निम्नलिखित सुझाव दिया:
1. सैंपल सर्वे का आकार बड़ा किया जाय।सर्वे में छोटे किसानों की संख्या बढ़ाई जाए।
2. सर्वे के अनुसार छोटे किसान आज भी निजी साहूकार से कर्ज ले रहे है लेकिन खर्च में केवल ब्याज दर 4% ही जोड़ी जाती है।ब्याज दर तय करते समय निजी व बैंक दिनों का औसत लिया जाए।
3. बैल के खर्च की जगह जुटाई की बाजार दर शामिल की जाय
4. सभी मद में खर्च का डाटा मिलने के बाद खर्च तय करते समय औसत की जगह सबसे अधिक नंबर वाले ,(बल्क लाइन) के खर्च को वास्तविक खर्च माना जाय
5. एमएसपी लागत सी2 का डेढ़ गुना तय किया जाए। क्योकि ए2+एफएल और सी2 के बीच भी व्यापक अंतर है।
6. एमएसपी तय करते समय किसान परिवार के मुखिया को एक मैनुअल मजदूर की तुलना में एक कुशल श्रमिक के रूप में मानकर उसके पारिश्रमिक की लागत जोड़ी जाए।
7. एमएसपी तय करते समय कटाई के बाद के कार्यों जैसे सफाई, ग्रेडिंग, पैकेजिंग और परिवहन लागत को भी इसमें शामिल किया जाये।
8. किसान द्वारा उठाए जाने वाले जोखिमों को एक निश्चित प्रतिशत तक एमएसपी में जोड़ा जाये और इस जोखिम में निर्यात प्रतिबन्ध के जोखिम को भी शामिल किया जाए।
9. न्यूनतम समर्थन मूल्य से वंचित अन्य खरीफ फसलों व मुख्य फलों व सब्जियों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की सूची में सम्मिलित किया जाये। तथा कृत्रिम सिंचाई के कारण साल भर उगाई जाने वाली फसलें जायद फसलें हैं। इन्हें भी न्यूनतम समर्थन मूल्य के दायरे में लाया जाना चाहिए।
10. देशभर के किसानों की आर्थिक सेहत सुधारने के लिए ‘वन नेशन वन एमएसपी’ लागू की जाए, जिससे सभी जगह एमएसपी पर खरीद हो सके।
11. यदि हम अकुशल श्रमिक के लिए तय न्यूनतम मजदूरी को मापदंड बनाते हैं, तो फसल की लागत में फसल चक्र के 90 या 120 दिनों के आधार पर एक श्रमिक की लागत 42,000 से 55,000 रुपये होगी।
12. न्यूनतम समर्थन मूल्य और किसान को मिली कीमत में अंतर की भरपाई के लिए नकद भुगतान की पूरक व्यवस्था को लागू किया जाय।
13. फसलों का न्यूनतम आरक्षित मूल्य निर्धारित हो और सरकारी एजेंसियां इसे सरकारी मंडियों के बाहर भी सुनिश्चित करें। इस व्यवस्था से बाजार पर एमएसपी लागू हो जाएगी। यह न्यूनतम आरक्षित मूल्य व्यवस्था चीनी में लागू है।
*राष्ट्रीय प्रवक्ता, भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक