राजस्थान के मालपुरा उपखंड क्षेत्र में पारंपरिक जल स्रोतों की रक्षा करने एवं पर्यावरण के प्रति जन-चेतना के उद्देश्य से ग्राम विकास नवयुवक मंडल, लापोड़िया की ओर से 6 नवम्बर 2022 से उपखंड क्षेत्र में शुरु हुई ‘धरती जतन’ पद यात्रा का समापन 11 नवम्बर 2022 को हुआ। इस समापन समारोह के अवसर पूरे साल पर्यावरण एवं जल संरक्षण पर उत्कृष्ट कार्य के लिए लोगों को पुरस्कृत करने के लिए मुझे भी आमंत्रित किया गया था। उस दौरान मुझे गाँव भ्रमण का अवसर मिला। गाँव का विकास को देखकर मैंने महसूस किया कि गाँव की समस्या का निवारण स्थानीय समाधान ही है। यह गाँव ग्रामवासियों के सामुहिक प्रयास के बदौलत आशा की किरणें बिखेर रहा है। इसने अपने वर्षों से बंजर पड़े भू – भाग को तीन तालाबों ( देव सागर, फूल सागर, और सागर ) के निर्माण से जल संरक्षण, भूमि संरक्षण और गौ संरक्षण का अनूठा प्रयोग किया है।
ग्रामवासियों ने लक्ष्मण सिंह के नेतृत्व में अपनी सामूहिक बौद्धिक और शारीरिक शक्ति को पहचाना और उसका उपयोग गाँव की समस्या का समाधान निकालने में किया। आज गोचर का का प्रसाद बांटता यह गाँव दूसरे गाँवों को प्रेरणा देने एवं आदर्श प्रस्तुत करने की स्थिती में आ गया है।यहां बताना महत्वपूर्ण है कि लक्ष्मन सिंह की 40 साल के मेहनत के बाद करीब 60 गांव जल क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने हैं।
जब दिल में जज्बा हो तो कांटे भी फूल बन जाते हैं। जयपुर से 80 किलोमीटर दूर राजस्थान का लापोड़िया गाँव और वहां के निवासी लक्ष्मण सिंह ने 40 साल पहले सूखाग्रस्त गाँव की सूरत बदलने की कोशिश जब शुरु की थी तो किसी ने नहीं सोचा होगा कि उसका नतीजा इतना सुंदर होगा। लापोड़िया गाँव और उसके आसपास के 60 से ज्यादा गाँवों का कायाकल्प हो चुका है।
दूदू समेत टोंक जिले की मालपुरा तहसील में जल क्रांति पर लक्ष्मण सिंह का दावा है कि 3 साल तक अकाल पड़ने की स्थिति में ये सभी गांव अन्न, चारा और जल क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने रहेंगे और उन्हें किसी भी प्रकार की सरकारी मदद की जरूरत नहीं होगी। लक्ष्मण सिंह द्वारा ईजाद बिना किसी तकनीकी उपकरणों के पानी सहेजकर ( चौका पद्धति ) माकूल इस्तेमाल कर गांवों को आत्मनिर्भर बनाना वाकई अद्भुत है।
ग्राम विकास नवयुवक मंडल, लापोड़िया के सचिव लक्ष्मण सिंह ने बताया कि संस्था की ओर से पर्यावरण के प्रति जागरुकता के लाने के उद्देश्य से यात्रा का आरंभ 1987 से जयपुर में टोंक जिले में ” ग्राम चेतना यात्रा ‘ के नाम से शुरु की गई लेकिन वर्ष 2000 में इसका नाम बदल कर ” धरती जतन यात्रा ” कर दिया गया। वर्तमान में यह यात्रा राजस्थान के अलावा देश के अन्य राज्यों में भी निकाली जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि पद यात्रा के दौरान पदयात्री एवं ग्रामवासी गावों में रैलियां निकालकर तालाब का पूजन करते हैं तथा पेड़ पौधों पर रक्षा सूत्र बांधकर उनकी रक्षा का संकल्प लेते हैं। इसके अलावा गाँव गाँव पानी को सहेजने के लिए खुद की तरफ से तैयार किए गए चौका पद्धति ( जिसे स्थानीय भाषा में चोगा कहा जाता है ) को लेकर लोगों को जागरुक करते हैं और पानी को व्यवस्थित रूप से इस्तेमाल करते हुए इसे जल प्रसाद समझने की सीख देते हैं।
आज के समय में पूरा विश्व पानी की कमी से जूझ रहा है। लेकिन समय और लगन के साथ कायापलट करने वाले इस गाँव ने एक मिसाल पेश की। कहते हैं कि एक अकेला इंसान चाहे तो पूरे समाज और व्यवस्था को बदल सकता है और बदलाव की यह कहानी लापोड़िया गांव में चरितार्थ हो रही है। सूखाग्रस्त इस गांव में पानी ही पानी है। भरपूर पेयजल एवं सिंचाई के साधन होने की वजह से चारों तरफ हरियाली हो गईं है। गाँव में पहुंचने पर हर घर के सामने पशु धन मौजूद होता है, जो गाँव की खुशहाली का प्रत्यक्ष प्रमाण देता है। ग्राम पंचायत की हर बस्ती में अपना तालाब है। ये तालाब पानी से लबालब हैं।
*लेखक पर्यावरण मामलों के जानकार एवं समाज सेवी हैं।
एक एतिहासिक शुरुआत जो पूरी दुनिया के लिए उदाहरण है. इसी प्रकार अपनी लेखनी से जन जागरण करते रहें.
बहुत ही व्यावहारिक एवं प्रेरणादायक प्रयोग जल संरक्षण तथा ग्राम – विकास की आर्थिक खुशहाली लाने की दिशा में श्री लक्ष्मण सिंह लापोड़िया द्वारा किया गया है जिसकी जितनी प्रशंसा की जाये वो कम होगी । इस देश को ऐसे सामाजिक ग्राम – विकास के कार्य करने वाले लोगों की बहुत अधिक आवस्यकता है। श्री लक्ष्मण सिंह लापोड़िया जी को भारत सरकार द्वारा पद्मविभूषण से उनके कार्यों के लिये सम्मानित किया जाना चाहिये ऐसा मेरा मत है।