मंगोलिया की राजधानी उलान बाटोर
संस्मरण
– डॉ. राजेंद्र सिंह*
पानीदार राष्ट्र मंगोलिया
मंगोलिया उच्च, ठंडा और सूखा है। इसमें लंबे, ठंडे सर्दियों और कम गर्मियों के साथ एक चरम महाद्वीप जलवायु होती है। जिसके दौरान अधिकांश वर्षा होती है। इस देश में दो प्रमुख नदी प्रणालियों ओरखोन नदी ( देश के भीतर मंगोलिया की सबसे लंबी अंतर्देशीय नदी है, जो सेल्गेन नदी से मिलती है) और सेल्गेन नदी ( रूसी में सेलेंगा )।
देश में झीलें ज्यादातर खारी है। वॉल्यूम द्वारा सबसे बड़ी ताजे पानी की झील खोव्सगल, एक प्राकृतिक झील है जो एक संरचनात्मक अवसाद में बनाई गई है। यह दुनिया की दूसरी सबसे पुरानी झील है और मंगोलिया के ताजे पानी का 65 प्रतिशत है।
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यहाँ पलायन तो है लेकिन विस्थापन नहीं है। कई साथियों ने कहा कि हमें अपने देश से अच्छा कोई दूसरा देश दुनिया में दिखाई नहीं देता है। यहाँ के लोगों का आना-जाना तो बराबर है। लेकिन यहाँ से उजड़कर दूसरे देश में जाकर बसने की इच्छा हमारी नहीं है। यहाँ के कबीले एक-दूसरे को बराबर प्यार करते है। यहाँ अन्य देशों के कबीलों के बीच मारा-मारी नही है। इसलिए उजड़कर दूसरे देश में बसने की चाह नहीं है। इसी देश में बने रहने की चाह रहती है। यहाँ की ठंड भी इन्हें ठंडा नहीं बनाती है। हमेशा अपनी जगह पर बने रहने की उष्णता-ऊर्जा यहाँ बनी रहती है।
यहाँ रोजगार, खेती, उद्योग में बढ़ना दूसरे देशों से अलग प्रकार से है। यहाँ अभी भी प्राकृतिक लगाव युवाओं में दिखता है। आर्थिक पैकज की प्रतियोगिता तो है लेकिन अन्य देशों तथा हमारे देश से भी अलग है। युवाओं में साझे भविष्य की साझी चिंता-बातचीत में उभरती हुई दिखाई दी है।
इस देश ने अपने उपलब्ध जल की उपलब्धता को अनुशासित होकर अपनी जल उपयोग दक्षता व कुशलता क्षमता बढ़ाई है। इसलिए यह पानीदार बना हुआ है। इन्होंने अपने नदियों में जल प्रवाह को बनाये रखने का भी प्रयास किया है। इसीलिए इनकी नदियाँ शुद्ध सदानीरा बनी हुई है।
*लेखक जलपुरुष के नाम से विख्यात जल संरक्षक हैं। प्रकाशित लेख उनके निजी विचार हैं।