नयी दिल्ली: आगामी 30 दिसंबर को आंदोलनकारी संयुक्त किसान मोर्चा सरकार के साथ बातचीत को तैयार है। इस सन्दर्भ में भारतीय किसान यूनियन के महा सचिव धर्मेंद्र मलिक ने ग्लोबलबिहारी.कॉम को आज सूचना दी। इससे पहले कल कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में सचिव, संजय अग्रवाल ने मोर्चा के सभी 40 घटक यूनियनों को सम्बोधित एक पत्र के ज़रिये उन्हें 30 दिसंबर को बातचीत के लिए आमंत्रित किया। पत्र में उन्होंने लिखा कि भारत सरकार “साफ़ नियत तथा खुले मन से प्रासंगिक मुद्दों के तर्कपूर्ण समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है” ।
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अग्रवाल ने लिखा कि बैठक में सरकार आंदोलनकारी किसानों द्वारा प्रेषित विवरण के परिप्रेक्ष्य में तीनों कृषि कानूनों एवं एमएसपी की खरीद व्यवस्था के साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आस पास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020 एवं विद्युत संशोधन विधेयक, 2020 में किसानों से सम्बंधित मुद्दों पर विस्तृत चर्चा करेगी।
इससे पहले आंदोलनकारी किसानों ने सरकार से 29 दिसंबर को सशर्त बातचीत की पेशकश की थी।
इस बीच एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए केंद्र सरकार ने 1 जनवरी 2021 से प्याज की सभी किस्मों के निर्यात से प्रतिबंध को हटाने की घोषणा की। इसके साथ ही निर्यातक अब देश से प्याज का निर्यात कर सकता है। केंद्रीय मंत्री पियूष गोयल ने एक ट्वीट के ज़रिये उम्मीद जताई कि इससे देश के कृषि उत्पादों की विदेश तक पहुँच होगी तथा साथ ही किसानों की आय भी बढ़ेगी। हालांकि उनके ट्वीट के जवाब में पर काफी लोगों ने चिंता जताई कि कहीं सरकार ने यह निर्णय आंदोलनरत किसानों को खुश करने के लिए जल्दबाजी में तो नहीं लिया है क्योंकि इस समय घरेलू मार्किट में ही प्याज की कीमत 50 रुपये प्रति किलो के आस पास है और प्याज के निर्यात से इसकी कीमत और भी बढ़ सकती है।
ज्ञात हो कि कुछ वर्ष पहले भी प्याज के निर्यात पर सरकार को रोक लगानी पड़ी थी जब उसकी वजह से घरेलू मार्किट में प्याज की कीमत आकाश छूने लगी थी और और प्याज आम आदमी की पहुँच के बाहर हो गया था। हालांकि कुछ किसानों का यह भी कहना है प्याज निर्यात का यह निर्णय तब आया है जब किसानों के पास अब प्याज का स्टॉक ख़त्म हो चुका है।
इस बीच प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 दिसंबर को 100वीं किसान रेल जो महाराष्ट्र के संगोला से पश्चिम बंगाल के शालीमार तक चलेगी, को झंडी दिखाकर रवाना किया और कहा कि छोटे किसानों को कम खर्च में बड़े और नए बाज़ार देने के लिए, सरकार की नीयत भी साफ है और हमारी नीति भी स्पष्ट है। “हमने बजट में ही इससे जुड़ी महत्वपूर्ण घोषणाएं कर दी थीं। पहली किसान रेल और दूसरी कृषि उड़ान। यानि जब हम ये कह रहे हैं कि हमारी सरकार अपने किसानों की पहुंच को देश के दूर-दराज वाले क्षेत्रों और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक बढ़ा रही है हम हवा में बातें नहीं कर रहे हैं। ये मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि हम सही रास्ते पर हैं।”
उन्होंने ध्यान दिलाया कि शुरुआत में किसान रेल साप्ताहिक थी। कुछ ही दिनों में ऐसी रेल की मांग इतनी बढ़ गयी है कि अब सप्ताह में तीन दिन ये रेल चलानी पड़ रही है। “सोचिए, इतने कम समय में सौवीं किसान रेल! ये कोई साधारण बात नहीं है। ये स्पष्ट संदेश है कि देश का किसान क्या चाहता है। ये काम किसानों की सेवा के लिए हमारी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। लेकिन ये इस बात का भी प्रमाण है कि हमारे किसान नई संभावनाओं के लिए कितनी तेजी से तैयार हैं। किसान, दूसरे राज्यों में भी अपनी फसलें बेच सकें, उसमें किसान रेल और कृषि उड़ान की बड़ी भूमिका है। मुझे बहुत संतोष है कि देश के पूर्वोत्तर के किसानों को कृषि उड़ान से लाभ होना शुरू हो गया है। ऐसी ही पुख्ता तैयारियों के बाद ऐतिहासिक कृषि सुधारों की तरफ हम बढ़े हैं।”
प्रधान मंत्री ने कहा कि किसान रेल से किसान को कैसे नए बाजार मिल रहे हैं, कैसे उसकी आय बेहतर हो रही है और खर्च भी कम हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि नए कृषि सुधारों के बाद, किसान रेल की सुविधा के बाद, किसानों को एक और विकल्प मिला है कि वह अब अपनी उपज देश के उन हिस्सों तक पहुंचा सकता है जहां उसे बेहतर कीमत मिल सकती है। वो फलों और सब्जियों के ट्रांसपोर्ट पर सब्सिडी का भी लाभ ले सकता है।
मोदी ने बताया कि जल्द खराब होने वाले ‘कृषि उत्पादों का भंडारण केंद्र’, रेलवे स्टेशनों के आसपास निर्मित किए जा रहे हैं,जहां किसान अपने उत्पादों का संग्रहण कर सकते हैं। यह प्रयास ज्यादा से ज्यादा संख्या में फलों और सब्जियों को ग्राहकों तक पहुंचाने के क्रम में किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आवश्यकता से अधिक उत्पाद होने की स्थिति में जूस,आचार,चिप्स इत्यादि कोछोटे निर्माताओं तक पहुंचाया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि सरकार की प्राथमिकता संग्रहण से जुड़े ढांचे के निर्माण और कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन संबंधित प्रसंस्करण उद्योग से हैं। उन्होंने कहा कि मेगा फूड पार्क,कोल्ड चेन बुनियादी ढांचा और कृषि प्रसंस्करण क्लस्टर योजनाओं के अंतर्गत 6500 परियोजनाओं को प्रधानमंत्री कृषि संपदा योजना के तहत स्वीकृति दे दी गई है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए 10,000 करोड़ रुपयेकी राशि को मंजूरी प्रदान की गई है। उन्होंने विश्वास जताया कि हाल के कृषि सुधारों से कृषि व्यवसाय, कृषि उत्पादक संगठनों (एफ़पीओ) और सहकारी समूह जैसे महिला स्वयं सहायता समूह को व्यापक पैमाने पर लाभ पहुंचेगा और इन्हें बड़ा विस्तार मिलेगा।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो