सप्ताहांत मुद्दा
-डा. रक्षपालसिंह चौहान*
पूरे देश हर जगह आजकल कोरोना वायरस के चलते सीबीएसई एवं आईसीएसई से संबद्ध अधिकांश प्राइवेट एवं पब्लिक स्कूलों में ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है और इसी बीच स्कूलों के प्रबंधक अभिभावकों पर उनके बच्चों की फीस जमा कराने हेतु दबाव डाल रहे हैं । यह कैसी विडंबना है कि एक ओर सरकार सर्व शिक्षा अभियान चला रही है ,वहीं दूसरी ओर फीस जमा न करने की स्थिति में स्कूलों से बच्चों के नाम काटने की धमकियां अभिभावकों को दी जा रही हैं । सबसे बड़ी मुश्किल इस बात की है कि देश में मार्च 2020 से ही कोरोना महामारी के कारण बड़ी तादाद में प्राइवेट नौकरी पेशा वालों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है और इस वजह से इन अभिभावकों के लिये ना सिर्फ अपने बच्चों की फीस भरना ही सिर्फ दूभर हो गया है बल्कि वे तो जैसे तैसे अपना एवं अपने परिवारीजन का पेट भरपा रहे हैं । ऐसी विषम परिस्थितियों में अभिभावकों पर स्कूल की फीस जमाकरने का दबाव बनाना और न देने की स्थिति में बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा से वंचित कर देना किसी भी दृष्टिकोण से न्याय संगत नहीं कहा जा सकता। इसलिये केन्द्र व राज्य सरकारों को प्राइवेट पब्लिक स्कूल प्रबंधकों की मनमानी पर लगाम लगानी ही चाहिए।
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दरअसल कोरोना वायरस के पैर पसारने से अब तक देश के स्कूल बंद है तथा वहां खेल, सांस्कृतिक एवं अन्य विभिन्न गतिविधियों के संचालित होने का तो प्रश्न ही नहीं उठता है, लेकिन अफसोस है कि स्कूलों के प्रबंध तंत्र ट्यूशन फीस के साथ ही उक्त सारी गतिविधियों की मदों में उल्लिखित शुल्क की वसूली कर रहे हैं। देश के अन्य स्कूलों के साथ ही साथ ऐसा ही एक ताजा मामला वैशाली, गाजियाबादस्थित एक पब्लिक स्कूल का संज्ञान में आया है। सभी अवगत हैं कि देश की विषम परिस्थितियों में हजारों अभिभावक अपनी नौकरियों से हाथ धो बैठें है और विकट आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, लेकिन अफसोस है कि अभिभावकों की जटिल समस्याओं की ओर से सरकार इन साधनहीन अभिभावकों की समस्याओं के प्रति संवेदनहीनता अत्यंत दु:खद है ।
यहां यह उल्लेखनीय है कि गुजरात ,राजस्थान एवं अन्य कुछेक अन्य प्रदेशों की सरकारों ने स्कूल बंद रहने की स्थिति में बच्चों से फीस न लिए जाने का महत्वपूर्ण , सराहनीय एवं अनुकरणीय निर्णय लिया है । देश के वर्तमान असामान्य हालातों के मद्देनजर पब्लिक स्कूलों के प्रबंध तंत्रों को भी गुजरात,राजस्थान सरकारों की भांति कोरोना काल में स्कूलों के बन्द रहने के चलते अन्य प्रदेशों की सरकारों को भी बच्चों से फीस न लिये जाने का निर्णय लेकर गरीब एवं साधनहीन अभिभावकों के प्रति संवेदनशीलता व सहानुभूति का रुख अपनाया जाना चाहिये । ऐसा करने से विद्यार्थियों के अभिभावकों को राहत मिल सकेगी और बच्चों का भविष्य भी बरबाद होने से बच सकेगा।
*प्रख्यात शिक्षाविद एवं डा. बी आर अम्बेडकर विश्व विद्यालय, आगरा शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष।