दुनिया की नदियां – 5
– डॉ. राजेंद्र सिंह*
स्वीडन के लोगों को स्टॉकहोम नदी पर बहुत ही गौरव है
नोबेल प्राईज देने वाला देश स्वीडन प्रकृति का भी बहुत सम्मान करता है। पहला शिखर सम्मेलन 1972 में इसी देश में आयोजित हुआ था। इस शिखर सम्मेलन को आयोजित करने से पहले स्वीडन के महाराजा और सरकार ने मिलकर अपनी नदी स्टॉकहोम (सोदरस्तरोम) को शुद्ध सदानीरा बना दिया था। यह स्टॉकहोम नदी महाराजा के महल और संसद के बीचों-बीच से गुजरती है और मलरेन लेक को बाल्टिक सागर से जोड़ती है।
पहले यह नदी प्रदूषण के कारण बहुत ही दुर्गन्धित और प्रदूषित हो गई थी। इसके किनारे खड़ा होना भी संभव नहीं था। यहाँ के राजा व सरकार ने मिलकर 1972 तक इस नदी को बिल्कुल स्वच्छ बना लिया था। तब तक इस नदी में मछलियाँ पैदा होने लगी थी। 1972 में भारत की प्रधानमंत्री स्व. श्रीमती इन्दिरा गांधी भी इस सम्मेलन में शामिल होने स्टॉकहोम गई थीं और उनको वहाँ के महाराजा ने नदी को दिखाया था। तभी इंदिरा गांधी ने पूछा था कि, आपने इस नदी को कैसे ठीक किया? नदी के स्वस्थ होने का तरीका जानकर उसी अवसर पर इंदिरा ने गंगा को वैसे ही ठीक करने की बात कही थी। उनके जाने के बाद, उनकी इच्छा पूर्ति की दिशा में वह कार्य शुरू भी हुआ था।
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भारत का स्वीडन के साथ सदैव ही बहुत अच्छा रिश्ता रहा है। 2020 में वहांँ के राजा और रानी ने भारत की यात्रा थी। इन्होंने ऋषिकेश में गंगा यात्रा भी की। भारत-स्वीडन का पर्यावरणीय संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के क्षेत्र में बहुत गहरा सक्रीय संबंध बन सकता है। जब वहां के राजा-रानी हमारे देश आये थे, उस अवसर पर पर्यावरण चेतना भारत में जागती तो अच्छा होता। किन्तु हम तो आज भी पर्यावरण के विरुद्ध आर्थिक लाभ ही कमाने की प्रतियोगिता में लगे हुए है।
मैं भी स्टॉकहोम नदी को देखने 1994 से वर्ष 2019 तक बहुत बार स्टॉकहोम गया हूँ। लेकिन जब भी गया तो इस नदी की यात्रा की। यह नदी बहुत लम्बी नहीं है। शहर के बीचों बीच प्रवाहित होने से इस नदी का स्टॉकहोम शहर व स्वीडन का सौन्दर्य बढ़ता है। इसको कायम रखने के लिए स्वीडन देश ने बहुत अच्छे प्रयास किए हैं। स्वीडन सरकार का सदैव प्रकृति और नदियों स्वस्थ्य बनाये रखने के लिए सक्रीयता से सहयोग करने का भाव बना रहता है।
वर्ष 2006 तक यहाँ की सरकार ने भारतीय सामुदायिक प्राकृतिक रक्षण-संरक्षण के कामों को सहयोग करते रहे हैं। यह देश दुनिया का अनोखा देश है जो कि अपने देश के लोगों, समुदायों जैसा ही दूसरे देशों व समुदायों का भी सम्मान करता है। मेरा इस विषय में इस देश के साथ अच्छा लम्बा संबंध रहा है। इसलिए मैं यह बात स्वीडन के बारे में लिख रहा हूँ। यूँ तो यह छोटा सा देश है। हमारे किसी भी बड़े शहर की जनसंख्या से कम जनसंख्या वाला यह देश बहुत ही शांत है। इस देश ने अपनी नदी से व्यापार को बढ़ाने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा पानी का जहाज कई वर्ष पूर्व बनाया था जो कि बनते ही डूब गया था। यहाँ के तत्कालीन राजा इस घटना को अपने जीवन की सबसे बड़ी असफलता मानते थे। उस जमाने में जहाज को बनाने में बड़ा खर्च हुआ था। यूँ तो यह बड़ा अमीर देश है लेकिन जहाज बनाने पर खर्च और स्टॉकहोम नदी में डूबना। इसलिए यहाँ के लोग एक तरफ स्टॉकहोम को समृद्धि मानते है और दूसरी तरफ दुनिया का सबसे बड़ा जहाज डूबने से बर्बादी दिखाने वाली मान्यता है।
यह नदी स्टॉकहोम देश के बीचों-बीच प्रवाहित होती है इसलिए यहाँ के लोगों को इस नदी पर बहुत ही गौरव है। स्टॉकहोम के लोगों ने इसकी बहुत सारी गौरव गाथायें लिखी है। लेकिन इसका सबसे प्रेरक पहलू यह है कि यूरोप की नदियों को सम्पूर्ण रूप से प्रदूषण मुक्त बनाने की पहल इसी नदी से हुई है। पूरे यूरोप की नदियाँ औद्योगिक प्रदूषण के कारण प्रदूषित थी। वर्ष 1972 के पृथ्वी शिखर सम्मेलन के बाद यूरोप ने अपनी अधिकतर नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाया।
इस नदी में प्रदूषण मुक्ति का काम बहुत पहले से ही तेजी से चल रहा था। लेकिन सम्पूर्ण नदी को प्रदूषण मुक्त करके ही इस देश ने पहला शिखर सम्मेलन आयोजित किया। यही प्रेरणा का स्त्रोत रही है। इस नदी की प्रेरणा से हमारी गंगा का काम चालू हुआ था, लेकिन अविरल-निर्मल नहीं बन पायी। लेकिन यूरोप की बहुत सी नदियों को प्रदूषण मुक्त करने वाली स्टॉकहोम नदी सदा शुद्ध नीरा बन कर बहती रहे और हमें हमारी गंगा और देश की अन्य नदियों को भी अविरल-निर्मल बनाने की प्रेरणा देती रहे, ऐसी कामना है।
*लेखक स्टॉकहोल्म वाटर प्राइज से सम्मानित और जलपुरुष के नाम से प्रख्यात पर्यावरणविद हैं। यहां प्रकाशित आलेख उनके निजी विचार हैं।
People of Europe are disciplined and understand the cleanness of river. Indian people need awareness in this respect .They need to be taught through a campaign by voluntary organizations with the help of Government. There is hardly any course or subject being taught on environment or cleanliness in School to the children.There should be a campaign in this direction in India .