-ग्लोबलबिहारी ब्यूरो
अलवर: मानव के पेयजल मापक मानबिन्दुओं में गंगाजल सर्वोत्तम है. इसमें मानवीय रोगाणुओं को नष्ट करने की अद्भुत शक्ति है. यह शक्ति दुनिया के किसी भी दुसरी नदियों के जल से कहीं अधिक है. गंगाजल की इन विशिष्टताओं के विविध आयामों को भारतवर्ष के कोने कोने तक पहुंचाने एवं जन-जन की साक्षरता हेतु आज दीपावली के अवसर पर स्थानीय तरुण आश्रम से अविरल गंगाजल साक्षरता यात्रा का आरम्भ हो रहा है। यह यात्रा पूरे साल चलेगी और इसका समापन आगामी वर्ष के देव उत्थानी (प्रबोधिनी) एकादशी (ग्यारस), 25 नवंबर 2020 बुधवार , को तरुण आश्रम में आयोजित होने वाले गंगाजल सम्मलेन से होगा।
इस यात्रा की जानकारी देते हुए माँ गंगा भक्त परिषद् के चंद्र विकाश ने बताया यह यात्रा किसी संस्था विशेष की परियोजना नहीं है – “इसको चलाने हेतु किसी संस्था विशेष उद्योगपति एवं सरकार पर निर्भरता नहीं रखी गई है। भारत के जल को गंगाजल बनाए रखने का लक्ष्य समूचे भारतीय समाज में सर्वनिहित है।लोगों से आह्वान है कि वे यथा उचित समय श्रम साधन ज्ञान शिक्षा समस्त रूप से दान दें। केवल धन का दान आवश्यक नहीं है। सभी भारतवासी इस यात्रा को अपनी मानकर प्रभावी प्रबंधन करके चलाएं। इसपर बनने वाले बांधों और खनन को शीघ्रतम रुकवाएं तथा इस पवित्र जल में प्रदूषित जल न मिलने दें। माँ गंगा के अविरलता एवं निर्मलता को पुनः जागृत करने हेतु नए बांधों को रोकने का कारगर क़ानून बनवाएं जिससे उनका गंगत्व बचा रहे। इस यात्रा की शुरूआत मां गंगा भक्त परिषद द्वारा की गई है। आप सबसे आह्वान है कि इस पावन यात्रा से जुड़े और मोक्षदायिनी गंगा को अपने साझा भगीरथ प्रयास से फिर से पावन निर्मल एवं अविरल बनाएं।”
विकाश ने बताया कि इस यात्रा का उद्देश्य संवाद से जन को जल से जोड़ना है। यह देश के सभी राज्यों जिलों नगरों एवं गांवों में जाएगी। यह समय-समय पर विभिन्न धाराओं में चलेगी। सभाओं, संगोष्ठी, सम्मेलनों, जल संरचनाओं के पुनर्निर्माण वाले श्रमदान शिविरों के रूप में क्रियान्वित होगी। यह विद्यालयों, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय, सरकारी एवं सामाजिक सभी के साथ मिलकर सबको जल के महत्वपूर्ण विषय से जोड़ेगी। इसके मुख्य बिंदु होंगे:
- जल और मानवीय स्वास्थ्य के सम्बन्ध
- खनन और नदी
- प्रदूषित और वर्षा जल को अलग अलग रखना
- जलीय विद्युत और सौर ऊर्जा की आज की उपलब्धता
- नदी और मानवाधिकार का संबंध
- पेड़ और पानी
- जल जंगल और जमीन के संबंध
इन विषयों पर संगोष्ठी, सम्मेलन एवं कार्यशाला आयोजित होंगी और बताया जाएगा कि नए पुराने जल संबंधित प्रबंधन, जल संकट समाधान से जलवायु परिवर्तन अनुकूलन एवं उन्मूलन संभव है। श्री विकाश से बताया यात्रा ऐसे गहन विषयों को छूते हुए भारत में फसल चक्र और वर्षा चक्र संबंधों को भी उजागर करेगी। उन्होंने कहा:”यह यात्रा भारत के भूजल भंडारों के पुनर्भरण की प्रत्यक्ष विधियों को सिखाने के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए भारत की मां गंगा की हर तरह बीमारी का निदान और उपचार पर भी गहनता से चर्चा करते हुए गंगा की अविरलता एवं निर्मलता हेतु वातावरण निर्माण करेगी।”
तरुण आश्रम को यात्रा रूपी सत्याग्रह का आरंभ और समापन का केंद्र बनाने की वजह बताते गए उन्होंने कहा कि जिस समाज ने गंगाजल का प्रवाह बढ़ाने हेतु अपनी धरती माँ के भूतल को पानी से भर कर अपने सूखे कुओं एवं तालाबों को पानीदार बनाया है, वही समाज पूरे भारतवर्ष में आज से ही अपने कुओं, बावड़ियों, तालाबों, पालों, सालों एवं झीलों की पूजा यानी इनकी महत्ता को समझने, सहेजने, समझाने हेतु “अविरल गंगाजल साक्षरता यात्रा” का शुभारम्भ और समापन राजस्थान के अलवर स्थित तरुण आश्रम से कर रहा है।
यहीं गंगाजल की विशिष्टताओं को प्रोफेसर जी डी अग्रवाल (स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद) ने तरुण भारत संघ के सभी कार्यकर्ताओं से संवाद करते हुए उन्हें समझाने का अथक प्रयास किया था. उनकी प्रेरणा से उन कार्यकर्ताओं में भी आध्यात्मिक-वैज्ञानिक-व्यवहारिक चेतना बढ़ी. यही स्थान अनुपम मिश्र जी द्वारा प्रतिपादित तालाब संस्कृति के पुनः उद्गम की प्रयोगशाला भी रही थी। “इसके अलावा यह जगह विगत 37 वर्षों के जल पुरुष से सम्मानित डॉ राजेन्द्र सिंह के प्रयोग क्षेत्र की सफलताओं के इस सिद्ध स्थल से ही इस यात्रा को आरंभ करना सर्वोचित है,” विकाश ने कहा।
ज्ञात हो कि डॉ सिंह ने अप्रैल 1982 में बोरोदा में रहकर बंजारों की ढाणी रामपुरा का तालाब श्रमदान से निर्माण कराया था। यह गांव अलवर जिले की सीमा से जुड़ा गाँव है। यहां जल का बहुत संकट था. बोरोदा में पहला बंजारों का तालाब निर्माण का विश्वास ही निकट के गाँव गोपालपुरा में काम आया। गोपालपुरा गांव का काम सफल हुआ। आज यह उजाड़ क्षेत्र एक पानीदार समृद्ध क्षेत्र बन गया है जिसकी ख्याति देश और विदेश में भी हुई है।