फोटो सौजन्य : I4net
– चंद्र मौली*
असली नायक की छवि दिखती थी दिलीप कुमार में
दिलीप कुमार जैसा अभिनेता न पहले कभी हुआ है और न होगा, ये शब्द आज नम आंखों से एक प्यार का नग़मा है, मैं ना भूलूंगा, मैं हूँ प्रेम रोगी तथा दिलीप कुमार पर फिल्माये गीत चना ज़ोर गरम, जिंदगी की न टूटे लड़ी, तथा तुम तुम तरारा जैसे सदाबहार गीतों के रचयिता गीत ऋषि संतोष आनंद ने कहे। उन्होंने आज ग्लोबलबिहारी.कॉम के साथ विशेष बातचीत में बताया कि दिलीप कुमार से उनकी पहली मुलाकात टीपी झुनझुनवाला के आवास पर हुई थी। दिलीप कुमार अक्सर वहां आते जाते थे।
“मैं तब तक फिल्मी दुनिया से बहुत दूर था। मैं उस समय उनकी एक्टिंग का बहुत बड़ा प्रशंसक था। पहली मुलाकात में भी उन्होंने ऐसा नही लगने दिया कि हम पहली बार मिले हैं,” संतोष आनंद ने कहा।
यह भी पढ़ें: RIP Dilip Kumar: India’s greatest thespian laid to rest with full state honours
आगे बातचीत में संतोष आनंद ने दिलीप कुमार के साथ दूसरी मुलाकात का जिक्र करते हुए बताया कि दिल्ली में एक कवि सम्मेलन की अध्यक्षता दिलीप कुमार कर रहे थे।”यह वह दौर था जब मैं कविता पढ़ने लगा था। सौभाग्य से उस मंच पर मुझे भी काव्य पाठ करने का अवसर मिला। इस दूसरी मुलाकात में ही उनके दिल में मेरे लिए एक विशेष जगह बन गई थी। उस समय यह सपनों में भी नही सोचा था कि मैं भविष्य में उनके लिए गीत भी लिखूंगा।”
फिल्मी दुनिया पर बात करते हुए संतोष आनंद ने बताया जब फिल्म क्रांति में उनके लिखे गीत जिंदगी की न टूटे लड़ी… व चना जोर गरम… की शूटिंग हो रही थी तो वह खुद भी सेट पर मौजूद थे। शूटिंग के दाैरान दिलीप कुमार शॉट देते ही उनके पास आते और बोलते…. कैसा शॉट दिया ? “और ऐसे महान अभिनेता के इस सवाल पर मेरे पर कोई जवाब नहीं होता था।”
“शूटिंग के दौरान दिलीप कुमार के लिए घर का बना खाना आता था। वह अक्सर अपनी टिफिन से मुझे भी खाना खिलाते थे क्योंकि उन्हें पता था की मुझे भी हमेशा से घर का खाना पसंद है। क्रांति फिल्म की शूटिंग के दौरान हम लोग काफी अच्छे दोस्त बन गए थे।”
सोशल मीडिया पर एक वायरल विडियो पर बोलते हुए संतोष आंनद ने बताया कि ये विडियो दिलीप कुमार द्वारा करवाए गए मुशायरे का है जिसमे उन्होंने मेरा परिचय देश के सबसे मशहूर शायर के रूप में कराते हुए मुझे आमंत्रित किया जिस पर पूरा सदन तालियों से गूंज उठा था।
“ऐ मेरे वतन के लोगों” की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में दिलीप कुमार ने मुझे भीड़ के बीच में भी पहचान लिया और आकर गले लगा लिया। यह उनके व्यक्तित्व व व्यवहार का ही कमाल था कि वह हर छोटे-बड़े व्यक्ति को नाम से पहचानते व पुकारते थे,” संतोष आनंद ने बताया।
दिलीप कुमार को अपनी श्रद्धांजलि देते हुए महान गीतकार ने कहा कि वह बहुत ही अलग तरह के इंसान थे उन जैसा कलाकार होना असंभव है।
*चंद्र मौली नयी दिल्ली स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं।