– अनिल शर्मा*
एक्सपायरी दवाओं तथा मरीजों को इलाज तथा तबादलों के मामले पर नाराज़ उपमुख्यमंत्री क्या अपर मुख्य सचिव और एनएचएम की सचिव के खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं ?
लखनऊ: स्वास्थ्य विभाग में तबादलों एवं एक्सपायरी डेट की दवाओं तथा मरीजों को अस्पताल में ही बेहतर इलाज ना मिलने के तमाम मामलों को लेकर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक, अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद तथा नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) की निदेशक अपर्णा यू उपाध्याय के बीच ठन गई है। अब नाराज़ उपमुख्यमंत्री बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई चाहते हैं लेकिन इससे मुख्यमंत्री सहमत नहीं हो पा रहे हैं। जिसके चलते यह मामला केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के दरबार में पहुंच गया है।
मालूम हो कि स्वास्थ्य विभाग के तबादलों को लेकर उप मुख्यमंत्री और चिकित्सा शिक्षा स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने नाराजगी जाहिर की है। श्री पाठक प्रदेश में मरीजों को बेहतर दवाएं उन्होंने प्रदेश में कई जगह छापे मारे थे। उनके सामने करोड़ों रुपये की एक्सपायरी डेट की दवाएं मिलने की बात सामने आई थी। उन्होंने इसकी खरीद पर भी सवाल उठाए थे। उन्होंने प्रदेश के सभी जिला अस्पताल में मेडिकल कॉलेज को स्पष्ट निर्देश दे दिए थे कि मरीजों को जांचों से लेकर दवा तक सारी सुविधा अस्पताल में ही मिलनी चाहिए।
इसके अलावा यह भी देखने को मिला कि चाहे लखनऊ के राममनोहर लोहिया हॉस्पिटल हो केजीएमसी हो, एसजीपीजीआई हो, इनमें बैड तो खाली रहते हैं लेकिन सामान्य मरीजों को उपलब्ध नहीं हो पाते हैं। जब इनके लिए विशेष सोर्स लगाया जाता है तब वह मरीज को बेड उपलब्ध हो पाते हैं। इस पर भी उपमुख्यमंत्री श्री पाठक ने नाराजगी दर्ज कराई थी। 30 जून तक विभाग में होने वाले छापे के दौरान जो डॉक्टर और स्टाफ दोषी पाए गए थे उनके उन्होंने स्थानांतरण करने के स्पष्ट आदेश दे दिए थे।
उपमुख्यमंत्री श्री पाठक के स्पष्ट आदेश के बावजूद भी सिर्फ डॉक्टर और तमाम कर्मचारियों के 30 जून तक स्थानांतरण तो कर दिए गए लेकिन स्थानांतरण पर कर्मचारी संगठनों ने भी सवाल उठाए हैं। उधर उपमुख्यमंत्री श्री पाठक ने पत्र लिखकर यह कहा है कि लखनऊ सहित कई जिलों के बड़े अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। कई जगह डाक्टरों का स्थानांतरण कर दिया गया है लेकिन वह दूसरे डॉक्टर की तैनाती नहीं की गई है। पूरे प्रदेश से गंभीर मरीजों को लखनऊ में बेहतर इलाज के लिए रेफर किया जाता है ताकि उनका बेहतर इलाज हो सके लेकिन उन स्थानों पर दूसरे डॉक्टर का तैनात न किए जाने से उन विद्यालयों में चिकित्सा व्यवस्था सुचारू रूप से चलाने के लिए क्या किया जा रहा है। इसका विवरण उपलब्ध कराया जाए।
उन्होंने यह भी कहा है कि जो एक्सपायरी डेट की दवाएं थी जिसके कारण ना तो समय पर मरीजों को दवा मिल पाए और इसके कारण सरकार के राजस्व का भी नुकसान हुआ। इसलिए इस मामले में जो लापरवाही जिसने बरती है उस अधिकारी के खिलाफ भी जांच होकर कार्रवाई होनी चाहिए।
उधर अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य मोहन प्रसाद ने कहा है कि जो भी तबादले हुए हैं वह नियमानुसार हुए और उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक जी के अनुमोदन पर ही हुए है। उधर उपमुख्यमंत्री श्री पाठक की नाराजगी अभी है कि उन्होंने छापे के दौरान विभिन्न जिलों में जो कमियां पाई थी तथा यह कहा था कि सारे इलाज और जाकर मरीजों की वही होना चाहिए और जो एक्सपायरी डेट की दवाई मिली थी उसके मामले में वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ भी जांच होनी चाहिए और जो भी दोषी पाए गए उसके खिलाफ कार्रवाई होना चाहिए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में मुख्य सचिव के माध्यम से डॉक्टरों के तबादले की सूची तलब कर ली है। लेकिन अभी तक उच्च अधिकारियों के खिलाफ कोई जांच नहीं हुई है। जिसके चलते डिप्टी सीएम बृजेश पाठक खासे नाराज बताए जाते हैं। तबादला मामले में डिप्टी सीएम व अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद के बीच में कथित तौर पे ठन जाने से मामले ने खासा तूल पकड़ लिया है। राजनीति के गलियारे में यह चर्चा जोरों पर है उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने इस प्रकरण की जानकारी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को दे दी है। इसके चलते चर्चा यह है अब यह लड़ाई अमित शाह के दरबार में पहुंच गई है। जिसके चलते उनकी मध्यस्ता में ही इस मामले में कोई हल निकलने की संभावना बताई जा रही है।
*वरिष्ठ पत्रकार