तरुण भारत संघ के 50वें वर्ष पर गांधी पीस फाउंडेशन, नई दिल्ली में 30 सितंबर 2024 को पानी पंचायत सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें देश भर से सामाजिक कार्यकर्ता, वैज्ञानिक, विशेषज्ञ, मंत्री, विधायक, सांसद, शोधार्थी, विचारक आदि शामिल हुए।
उद्घाटन सत्र में मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल, कर्नाटक सरकार के मंत्री बी.आर. पाटिल, जालौन के सांसद नारायण राव आदि मौजूद रहे। इन सभी ने तरुण भारत संघ की प्रसन्नता से प्रशंसा करते हुए कहा कि, तरुण भारत संघ के कामों से राज और समाज को सीख लेनी चाहिए। जिस तरह से कम संसाधनों में बिना किसी मदद के तरुण भारत संघ ने जल संरक्षण और जल साक्षरता के काम किये हैं; वैसे काम अब पूरे भारत में होने चाहिए। इस सामुदायिक विकेंद्रित जल पद्धति को आगे बढ़ाना चाहिए।
प्रह्लाद पटेल ने कहा कि मध्यप्रदेश में तरुण भारत संघ जैसे ही काम करने की कोशिश कर रहे हैं। “हम तरुण भारत संघ के साथ इस तरह को काम करने के लिए तैयार हैं,” उन्होंने कहा।
कर्नाटक के मंत्री बी.आर. पाटिल ने कहा कि तरुण भारत संघ के 50 साल पूरे होने का यह अवसर पूरे देश को धूम-धाम से मनाना चाहिए। पाटिल ने कहा कि यह इस संस्था के 50 वर्ष के अनुभव से सीखने-सिखाने और देश को आगे बढ़ाने का समय है। उनके अनुसार तरुण भारत संघ के कामों के अनुभवों का जिस तरह से संवाद शुरू हुआ है, उसे एक विमर्श में बदलकर सरकारों को नीति बनाने के निष्कर्ष पर लाने की जरूरत है। “तरुण भारत संघ सरकारों को व्यावहारिक नीति बनाने के लिए निष्कर्ष बता सकता है। तरुण भारत संघ के अनुभव जलपुरुष राजेंद्र सिंह पूरे देश में बांटें। तरुण भारत संघ को अब तरुण टीम चलाए, जल पुरुष राजेंद्र सिंह अब पूरे देश में जाकर लोगों को जल संरक्षण की सीख दें। यही अब आगे के काम की रीति-नीति बनती है। तरुण भारत संघ के इन कामों से यदि सरकारें सीख लेकर काम करेंगी तो, इसमें राज और समाज दोनों का भला है। हम जलपुरुष जी को कर्नाटक में बुला कर एक पानी पंचायत आयोजित करेंगे, जिससे कर्नाटक राज्य को सुखाड़-मुक्त करने के लिए जल संरक्षण का काम तेजी हो सके,” पाटिल ने कहा।
जालौन के सांसद नारायण राव ने कहा कि तरुण भारत संघ के काम से सीख कर परमार्थ संस्थान ने जालौन जिले में जो काम किया है, उससे वहां के लोगों ने पानी के संकट के समाधान के तरीके सीखे हैं।
तेलंगाना से आए भारत राष्ट्र समिति के वरिष्ठ नेता वी. प्रकाश राव ने कहा कि तरुण भारत संघ ने तेलंगाना में तालाबों के कामों को बढ़ाने में मदद की थी और सामुदायिक विकेंद्रित जल प्रबंधन को तेलंगाना में आगे बढ़ाने के लिए हमेशा उनकी सरकार को मदद की।उन्होंने कहा कितरुण भारत संघ के काम पर वे तेलंगाना में एक बड़ा पानी का पर्व आयोजित करेंगे।
कर्नाटक में धारवाड़ स्थित वाटर एंड लैंड मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट (वालमी) के निदेशक प्रो. राजेंद्र पोद्दार ने कहा कि तरुण भारत संघ ने हजारों लोगों को पानी का काम करने के लिए तैयार किया है। “हम सब पानी का काम करने वाले लोग पानी के रक्षण संरक्षण से आगे बढ़े हैं। मैंने कर्नाटक सरकार में रहते हुए बहुत से सरकारी इंजीनियरों को हर साल चंबल व अलवर में तरुण भारत संघ का काम देखने भेजा है, वे तरुण भारत संघ से सीखकर कर्नाटक जल संस्थान में अधिक ऊर्जा के साथ अच्छे काम कर रहे हैं। तरुण भारत संघ अब अपने अनुभवों से दूसरों को सिखाने वाला संस्थान बन गया है,” उन्होंने बताया।
यूनेस्को के पूर्व पूर्व प्रोग्राम स्पेशलिस्ट डॉ राम बूझ ने कहा कि तरुण भारत संघ के काम उन्होंने अलवर व चंबल क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर खुद जाकर देखे हैं। “ये काम केवल पानी के काम नहीं हैं। इन कामों से केवल आर्थिक समृद्धि आई, सिर्फ इतना नहीं है; ये काम तो प्रकृति और पर्यावरण की समझ को गहरा करने के काम हैं। इनसे जल, जंगल, जमीन और जानवर सबका संरक्षण होता है,” उन्होंने कहा।
पानी पंचायत सम्मेलन की शुरुआत विख्यात गाँधी साधक रमेश शर्मा के क्रांति गीत से हुई। उन्होंने कहा कि, जलवायु परिवर्तन के संकट का समाधान प्रकृति के साथ प्रेम व्यवहार से ही संभव है। प्रेम का व्यवहार किए बिना इस प्रकृति का रक्षण-संरक्षण नहीं हो सकता। देश को तरुण भारत संघ के 50 सालों के काम से सीख लेकर जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, उन्मूलन करना होगा।
तरुण भारत संघ ने वर्ष 1975 में जयपुर विश्वविद्यालय के आस-पास झुग्गी झोंपड़ियों में बसे अग्नि पीड़ित लोगों को राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास के काम से सामाजिक कार्य की शुरुआत की थी। इस राहत और सेवा कार्य के दौरान समझ में आया कि जयपुर शहर में हम जिन लोगों की सेवा कर रहे हैं, वे दर असल अपने-अपने गाँव में जमीन-जायदाद के मालिक थे; लेकिन सूखे और अकाल के कारण शहर में आकर मजदूर बन गये थे। मन में विचार आया कि, यदि इन्हें अपने गाँव में ही रोककर कुछ काम दिया जाये, तो ये शहर में आकर मज़दूरी नहीं करेंगे।
इस विचार से तरुण भारत संघ ने 1985 में जयपुर शहर से अलवर जिले की थानाग़ाज़ी तहसील के गोपालपुरा गाँव जाने हेतु प्रस्थान किया था। यह तरुण भारत संघ का बाल्यकाल से किशोर अवस्था का दौर था। उस समय गोपालपुरा गाँव बे-पानी और उजड़ा हुआ गाँव था। गांव के अधिकतर बूढ़े लोग रतौंधी रोग से ग्रस्त थे। इसलिए इनकी चिकित्सा सेवा और शिक्षा देने का काम शुरू किया। गांव के मांगू काका ने चिकित्सा के काम को रुकवा दिया और जल संरक्षण का काम सिखाकर अपने गाँव में पानी काम शुरू करवाया। पानी के काम से गोपालपुरा गाँव के कुँओं मे पानी आ गया, जिससे उजड़ा गाँव पुनः बसने लगा। पानी आते ही गाँव की जवानी गाँव में वापस लौट आयी और खेती का काम फिर से शुरू कर दिया।
जल का शोषण कर रही खदानों के खनन कार्य को रुकवाने के कारण खनन माफिया द्वारा मेरे ऊपर जान-लेवा हमला हुआ, जिसमें मैं गम्भीर हालत में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली में भर्ती रहा। फिर जयपुर के सवाई मानसिंह हॉस्पीटल में भी ईलाज हुआ। स्वस्थ होने के बाद फिर से काम करने लगा और त.भा.सं. उसी त्वरा से अपने काम में जुट गया।
तरुण भारत संघ पर सदैव भगवान (भूमि, गगन, वायू, अग्नि और नीर) की अति कृपा रही है। तरुण भारत संघ कभी भी विपरीत ताकतों के हमले से विचलित नहीं हुआ, क्योंकि वह अपने लाभ के लिए नहीं, बल्कि सभी के शुभ के लिए लोक चेतना निर्माण, सामुदायिक संगठन तथा सत्याग्रह के काम में लगा था। विपरीत ताकतों ने ऐसे ही पांच बार तरुण भारत संघ के साथ जानलेवा हमला किया, लेकिन यह अपने काम में रुका नहीं।
तरुण भारत संघ ने सदैव प्रकृति और मानवता दोनों के लिए शुभ कार्य किये। इसी शुभ कार्य का पुण्य-फल है कि तरुण भारत संघ का काम सदैव सतत् आगे ही बढ़ता जा रहा है।उस ने संयुक्त राष्ट्र संघ के सामने भी अपनी बात को रखा। पहला काम पृथ्वी शिखर सम्मेलन कोप-21, पेरिस में ‘‘ वाटर इज क्लाइमेट एंड क्लाइमेट इज वाटर’’ अर्थात् जल ही जलवायु है, जलवायु से ही जलवायु परिवर्तन होता है; इस बात को रखा। इस बात को स्वीकार करने हेतु कोप-21 को पेरिस में 2 दिन के लिए अतिरिक्त समय बढ़ाया गया। कोप ने इसे स्वीकार किया और इस दिशा में काम भी शुरू हुए। दुनिया की सभी सरकारों ने इस बात को एक सिद्धांत की तरह स्वीकार किया।
इस परिपक्व काल में जल साक्षरता अभियान बहुत जोरों से चलाया तथा सरकार से भी चलवाया। कोल खनन के विरुद्ध, पहाड़ों की हरियाली बचाने और नदियों की निर्मलता हेतु नदी कूच, नदी चेतना, गंगा सत्याग्रह, गंगा सेवा जैसे बहुत से काम समझदारी से किए।
चंबल नदी के 3000 से ज्यादा बागियों की बन्दुकें छुड़वाकर खेती/किसानी में लगा दिया। सैकड़ों बागियों को पानी के काम में लगा कर ‘‘विश्व शांति जलदूत सम्मान’’ से सम्मानित करके, दुनिया को शांति का संदेश दिया। इस काम पर, दुनिया में शांति के लिए काम करने वाले लोगों ने तथा भारतीय ने फिल्म बनाकर दुनिया को जल शांति का संदेश दिया।
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परिपक्वता काल में शांति के कामों को सरकारों को समझाने का प्रयास बहुत हुआ और इसमें सफलता भी मिली। वर्ष 2023-24 मार्च तक संयुक्त राष्ट्र संघ, न्यूयार्क कार्यालय में नीर-नारी-नदी को नारायण सम्मान दिया। इसका प्रभाव यह हुआ कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने 22 मार्च 2024 को विश्व शांति दिवस घोषित किया। इस काल में शांति के ज्यादा काम हुए। चंबल नदी की छोटी-छोटी 23 नदियों को पुनर्जीवित करने का बहुत बड़ा अभियान चलाया। चंबल नदी की सहायक सैरनी, तेवर, नेहरो, बद्दह, महेश्वरी, भवानी आदि 29 नदियां वर्ष 2023 से शुद्ध सदानीरा बनकर बहने लगी। नदियों के सदानीरा बनने से चंबल की सभ्यता और संस्कृति भी पुनर्जीवित हो उठी। तरुण भारत संघ की परिपक्वता काल में बहुत से नये तरुण युवा जुड़े। युवा परिपक्वता काल में तरुण भारत संघ ने प्रकृति प्रेम का वातावरण निर्माण किया। अब तरुण भारत संघ सारी मानवीय जीवन अवस्थाओं का योग बन गया है।
तरुण भारत संघ का योग काल 2015 में आरंभ 2025 तक बहुत से योगिक व प्राकृतिक प्रक्रिया का शुभारंभ करने वाला बन गया है। अब इस संगठन को किशोर, तरुण, युवा और प्रौढ़ ही मिलकर चला रहे हैं। अब यह दुनिया को बाढ़-सुखाड़ मुक्ति की युक्ति सिखाने लगा है।
पानी पंचायत सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में तभासं की उपाध्यक्ष डॉ. इंदिरा खुराना ने तरुण भारत संघ के अपने 50 सालों के काम के अनुभवों को एक पुस्तक के रूप में प्रस्तुत किया। इस पुस्तक में पानी के काम से महिलाओं की जिंदगी में कैसे समृद्धि आई और चंबल की हिंसक जीवन पद्धति कैसे अहिंसामय बन गई? इन सब बातों पर एक घंटे की प्रस्तुति की।
*जलपुरुष के नाम से विख्यात तरुण भारत संघ के अध्यक्ष एवं जल संरक्षक