श्रद्धांजलि: किशोर संत
किशोर संत की तरह के सामाजिक कार्यकर्ता अब इस दुनिया में बहुत कम है। उनके 15 अगस्त 2022 को नब्बे वर्ष की उम्र में देवलोक सिधार जाने का बहुत दुःख है। चंदकिशोर भाई को लोग किशोर संत के नाम से जानते थे। इन्होंने ’80, ’90 और 2000 के दशक में 30 साल तक अद्भुत काम किया था। सेवा मंदिर के साथ इन्होंने 70 के दशक में उदयपुर में काम किया और फिर 80 के दशक में उबेश्वर विकास मंडल जो आदिवासी ज्ञान तंत्र पर आधारित था, उसमें सामुदायिक ज्ञानतंत्र को उभारकर, अरावली पर्वत मालाओं को बचाने के लिए, पुनर्जीवित करने के लिए काम किए थे। इन्होंने आदिवासियों की टीम बनाई थी और उसी समय जगत मेहता, ओम जी, नंदकिशोर जी, डॉक्टर राजदान जी के साथ झील बचाने के काम से लेकर अरावली बचाने के काम में सदैव सक्रिय थे।
किशोर संत का विश्वास हमेशा उत्साहजनक रहता था। जब कर्नाटक, बेंगलुरु में हम सब ने मिलकर भारत की ऑक्शन इंडिया बनाई थी, तो उसमें भी उन्होंने रात-दिन काम करके, पानी और प्रकृति के कार्य में लोगों को लगाया।
जब हमने अरावली बचाओ यात्रा सम्पन्न करके, 7 मई 1992 कानून बनवाया था, उसको लागू कराने के लिए किशोर भाई रात-दिन एक किए थे। इन्होंने उदयपुर, अहमदाबाद हमारे साथ यात्रा की थी। उनका जीवन एक क्रांतिकारी प्रकृति प्रेमी के रूप में रहा है। वे बहुत अच्छे दूरदृष्टा गहरे विचारक थे। उनका प्रकृति और सामुदायिक ज्ञान तंत्र के प्रति बड़ा गहरा पक्का विश्वास था, यह उनको गांधीवादी विचारक और गांधीवादी कार्यकर्ता बना देता है। इन्होंने उदयपुर के उन सभी कार्यकर्ताओं और पुराने सर्वोदय साथियों को बड़े अच्छे ढंग से जोड़कर, साथ मिलकर शैक्षिक जीवन और स्वैच्छिक सेवा की दृष्टि से अद्भुत काम किए थे। उनके जीवन की यह स्वैच्छिक काम उन्हें कष्ट भी पैदा करता था, लेकिन वह कभी अपने रास्ते से विचलित नहीं हुए।
हम किशोर संत को नमन करते और भगवान से प्रार्थना करते है कि, किशोर भाई के परिवार को दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करे। बहुत दुख है लेकिन हम जानते हैं कि, सबको ही आना-जाना है, किशोर भाई जहां भी रहेंगे, वहाँ अच्छा काम ही करेंगे, भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।
*लेखक स्टॉकहोल्म वाटर प्राइज से सम्मानित और जलपुरुष के नाम से प्रख्यात पर्यावरणविद हैं।

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