11 अक्तूबर, 2023: प्रोफेसर जी डी अग्रवाल उर्फ सानंद स्वामी के छठे बलिदान दिवस पर विशेष
सानंद कैसे नमन करूं मैं,
मैं शब्दों का कोरा रखवाला,
तुम्हें चाहिए जुनून ज़मीनी,
मैं वेबनारों में हूँ मतवाला।
जिस गंगा ने सबको तारा,
उस माता के पोषण ख़ातिर,
तुम्हें भक्त परिषद, प्रवाह चाहिए,
ठोस क़ानूनी चाह चाहिए।
सानंद कैसे नमन करूं मैं….
दिवस पूजना ढोंग-दिखावा,
गंग – नमामि धन बहकावा।
माता बंधी, खुले हैं नाले,
सरोवर-अमृत महज छलावा.
सानंद कैसे नमन करूं मैं…
पांच बरस हो गए मृत्यु को,
जहां खड़े थे, वहीं खड़े हम।
सानंद कैसे नमन करूं मैं…
श्री अरुण तिवारी जी की यह बहुत सुंदर कविता स्वामी सानंद जी पर लिखी गई है। जो बहुत सटीक और आज के संदर्भ में बहुत जरूरी हो गई है। अरुण तिवारी जी ने स्वामी सानंद के विषय में बहुत कुछ लिखा है। वह आमजन के बीच पहुंच रहा है। स्वामी सानंद एक तपस्वी प्राणी है। आज चाहे हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी तपस्या हिमालय की नदियों को बचाने के काम आई है। लोग उनके बहुत आभारी है।