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December 3, 2024

5 thoughts on “रविवारीय: रूद्राक्ष का वृक्ष

  1. इसी धर्मशाला को अपनी हवेली बनाने की चाहत में मानव पता नहीं क्या –क्या करता चला जाता है, जिससे उसका जीवन तो दुरूह होता ही है औरों के जीवन में भी दुश्वारियां भर जाती हैं।” जियो और जीने दो ” , । काश! यह संदेश दिया और जिया जा सके, अपने आप को और सभी को।

  2. “अब हवायें ही करेंगी रोशनी का फैसला जिस दिये में जान होगी वह दिया जलता रहेगा।”
    जीवन का यही सिद्धांत है। पर जीने का आनन्द लेना है तो शरीर की नश्वरता का भी आत्मबोध होना आवश्यक है। श्री वर्मा जी की रुद्राक्ष के पेड़ की इस कहानी का मानवीकरण करें तो हम सबकी भी तो यही कहानी है।

  3. जीवन की नश्वरता एक शास्वत सत्य है और यह जगत के सभी जीवों पर समभाव से लागू होता है। परन्तु इस नश्वर जीवन को भी मानव अपने तुच्छ स्वार्थपूर्ति हेतु अन्य जीवधारी की तुलना में अधिक संवेदनहीनता से जीता है ।
    जैसा कि उपर्युक्त लेख में उसने प्रकृति की मार से ग्रसित रुद्राक्ष पर कुल्हाड़ी चलाकर उसके वजूद को खत्म करने का कुत्सित प्रयास किया। पर रुद्राक्ष की जिजीविषा उसपर भारी पड़ गयी ।
    अगर मानव को इस नश्वर जीवन को सार्थकता से जीना है और ईश्वर प्रदत्त नैसर्गिक संसाधनों का आनंद लेना है तो उसे इस जगत के सभी जीवधारी के साथ सह-अस्तित्व की विचारधारा के साथ जीना सीखना होगा ।

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