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4 thoughts on “रविवारीय: क्योंकि हम सभी ने इसे जीया है

  1. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है अपने सपनों और उन्हें हकीकत में प्राप्त कर लेने के बाद होनेवाले संतोष की।

  2. Waqai Manish der se hi sahi manzil tak pahunchne m kamyab to ho gaye waise bhi ant bhala to sab bhala career k akhri padaw m khawab ka Haqeeqat hona bahut hi Ananddayak hota hai tumne iss lekh m bahut acche se Haqeeqat beyan Kiya hai

  3. जीवन में कुछ भी हासिल करने की बुनियाद सपने ही होते हैं। सच्चे कर्मयोगी ही सपनों को हकीकत में बदल पाते हैं। यह भी सच है कि सपनों को साकार करने में अनुकूलता और प्रतिकूलता के अनेक पडावों से गुजरना पड़ता है। यही जीवन है।
    “अनुकूल और प्रतिकूल, जीवन सरिता के दो फूल”
    हम सबको समानुभूति कराने वाली श्री वर्मा जी की अनुभतियों की जीवन्त अभिव्यक्ति।

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