रविवारीय: वही चिलचिलाती गर्मी
घर से दफ्तर के लिए निकलते हुए फिर से वही चिलचिलाती गर्मी! घर के अंदर पता नहीं चलता है। गर्मी अपने प्रचंड पर शायद अब तक का रिकॉर्ड तोड़कर ही मानेगी। सूर्य ने भी कसमें खा ली है। कार के डैशबोर्ड के डिजिटल प्लेटफार्म पर बाहर का तापमान 44 बता रहा है। सहसा यकीन नहीं होता है। हमारे यहां का तापमान इतना ज्यादा भी हो सकता है!
कार का शीशा बंद और अंदर का तापमान लगभग 22 के आसपास। कार के अंदर धीरे-धीरे बजते हुए पुराने गानों के बीच मन पुरानी यादों में कहीं खो सा जाता है। उम्र ने हालांकि थोड़ा तेज खेलते हुए अर्धशतक पूरा कर लिया है। जी हां! कब बचपन बीता और कब कैसे कितनी तेजी से चलते हुए और सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए हम इस मुकाम पर आ पहुंचे पता ही नहीं चला। जब नववर्ष आता है तो अचानक से अहसास होता है, अच्छा एक साल और गुजर गया! देखते ही देखते उम्र के उस दौर में पहुंच गए हैं जहां पुरानी यादें बहुत सुकून पहुंचाती हैं। ऐसा लगता है मानो कल की बातें हों। वक्त अचानक से ठहर सा जाता है। हम पुरानी यादों को वहीं कुछ देर खड़े होकर, एल्बम में रखे फोटो की मानिंद आगे बढ़ा-बढ़ाकर देख रहे हैं। सब कुछ आंखों के सामने एक चलचित्र की तरह चलने लगता है।
अल्हड़, आवारा जिन्दगी थी अपनी। कोई चिंता कोई फिक्र नहीं। क्या पहनना है और क्या खाना है कोई खास च्वाइस नहीं। कुछ भी पहन लिया और कुछ भी खा लिया। पिताजी का होटल चल ही रहा था, चिंता किस बात की। आज थोड़ी नफासत सी आ गई है। पर, देखिए ना मन तो आज भी वही पुरानी यादों में खोया हुआ है।
गर्मी उस वक्त भी पड़ती थी। क्या खूब गरमी पड़ती। गर्म हवा जिन्हें हम ‘लू’ कहते हैं उस वक्त भी घातक हुआ करती थी। शरीर को भेदती हुई गर्म हवाएं। पर अपने पर विशेष फर्क नहीं पड़ता था। उम्र का असर था शायद। हां, हमारे मां-पिताजी को जरूर फर्क पड़ता था तापमान कितना रहता था पता नहीं चलता था। मौसम विभाग शायद उस वक्त उतना चुस्त दुरुस्त नहीं हुआ करता था। पल पल की खबर देनेवाले खबरिया चैनल भी नहीं थे उस वक्त जो वक्त बेल आकर बता जाते, भाई तापमान ने अब तक का सारा रिकॉर्ड तोड़ दिया है। ब्रेकिंग न्यूज नहीं बनता था।
गर्मी के मौसम की वह चिलचिलाती धूप उस वक्त भी सताती थी, आज भी सताती है। पर एक फर्क है। उस वक्त हम यह नहीं सोचते थे कि एसी में बैठना या सोना है। आज तो हम एसी के गुलाम बनकर रह गए हैं। हमारा शरीर उस वक्त अपने आप को शारीरिक और मानसिक तौर पर वायुमंडल के अनुकूल बना लिया करता था। याद है मुझे वो दिन जब गर्मी की तपती दुपहरिया में, जब पछुवा हवा अपने प्रचंड वेग से चल रही होती थी तो हम सभी दोस्त उसी चिलचिलाती धूप में मैदान में टेनिस बॉल क्रिकेट खेला करते थे। अमूमन टेनिस बॉल क्रिकेट गर्मी में ही खेली जाती थी। ठंड का मौसम तो लेदर बॉल क्रिकेट के लिए ही आरक्षित रहता था। मैदान के किसी कोने में अगर कोई पेड़ होता था तो यह हमारा सम्मिलित रूप में ‘डग आऊट ‘ हुआ करता था। कहां था वो बोतल बंद पानी, अमुल और सुधा का पैकटों में मिलता मसाला छाछ? उस वक्त तो नाम भी नहीं सुने थे। बस इधर उधर करके पानी का इंतजाम कर प्यास बुझा लिया करते थे। मैच के आयोजनकर्ता से भी ज्यादा उम्मीदें नहीं। बड़ी बेपरवाह और सरल जिंदगी थी हमारी।
कहीं जाना है तो जाना है। मौसम हमारा रास्ता नहीं रोक सकता था। साइकिल निकाले, किसी दोस्त को उसपर बिठाया और निकल पड़े। बाइक या स्कूटर अपने पास नहीं है कोई फर्क नहीं। स्कूटर तो पिताजी ने जिस दिन ग्रेजुएशन का रिजल्ट निकला था उस दिन बड़ी मशक्कत से बैंक से लोन लेकर मुझे बिना बताए खरीद कर दिया था। आज भी उस दिन को याद कर भावुक हो जाता हूँ। एक दिन वो भी था जब पिताजी मुझे बिना बताए एच एम टी घड़ी के शोरूम में ले जाकर मुझे बोले अपनी पसंद से एक घड़ी ले लो। कहां गए वो दिन? आज जब भी मैं चाहूं महंगी से महंगी घड़ी खरीद सकता हूँ पर वो दिन भुलाए नहीं भूलते हैं।
खैर! हम सभी गर्मी की चिलचिलाती धूप की बातें कर रहे थे। हर गर्मी के मौसम में हम बढ़ते तापमान की बातें करते ही हैं पर एयरकंडीशन में बैठकर। घर में एयरकंडीशन, कार में एयरकंडीशन और दफ्तर में एयरकंडीशन! परिणाम यह कि हल्का सा गर्मी में एक्सपोज हुए और गर्मी सताने लगी। शाम में घर पहुंचे, टी वी ऑन किए तभी ब्रेकिंग न्यूज “आज तापमान ने अपना पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया’ बस अब हो गए गर्मी से परेशान और हलकान। बातें करने लगे प्रचंड गरमी की!
फिर कभी उन मेहनतकश लोगों के बारे में भी बातें कर लीजिये जिन्हें हम और आप इसी चिलचिलाती गर्मी में पूरे आठ घंटे काम करने को कहते हैं। उन्हें तो करना ही है वरना उनके घरों में रात का चूल्हा नहीं जलेगा। उन लोगों के बारे में सोचिए जिन्हें अपनी नौकरी सड़कों पर निभानी है। कोई भी मौसम हो, कितना ही बेदर्द क्यों न हो। आखिर पेट का सवाल है वरना किसे अच्छा नहीं लगता है आराम से एयरकंडीशंड कमरे में बैठकर मौसम का मजा लेना।
44 degree??
Bilkul pahle garmi ka Kahan Ehsas thha sabhi prgrm Bina rukawat k ho Jaya karte thhe Aaj to hm Araam pasand ho gaye hain Ghar p AC /gadi m AC/office m AC yani garmi k thapede se hm safe rahte hain