स्टॉकहोम: मैंने 19 अगस्त 2023 को मैंने सुबह-सुबह स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में सोरदा राष्ट्रीय जंगल, नॉर्विकन लेक व इन सोलेन टोना, की यात्रा करी। यहां हमारी यात्रा हमें नोरा (नोर्थ जंगल) और सोरदा (साउथ) के जंगल में ले गई थी।
स्वीडन में 69 प्रतिशत जंगल है और 9 प्रतिशत लेक है। पिछले 100 सालों में इन्होंने दोगुना जंगल को बचाया है। यहां के 22 लेक 100 वर्ग किलोमीटर से भी ज्यादा के है। जंगल का 3280 किलोमीटर भाग स्वीडन का कोस्टल एरिया है। यहां 8 प्रतिशत जमीन पर खेती होती है। इस देश में 95700 लेक है।
आज यात्रा जिस नॉर्विकन लेक पर गयी थी, वह भी 100 किलोमीटर से भी ज्यादा बड़ी है। इसके आस-पास बहुत घना नोरा जंगल है। इस जंगल में 7 से 8 घंटे पैदल और वोट से यात्रा की। इस यात्रा के दौरान देखा कि, इस देश के जंगल बहुत तेजी से दो गुना हुए है। यहां शहरों ने भी अपने जंगल और लेक को बचा के रखा है। स्टॉकहोम की समृद्धि इस बात में है कि, यह राज्य अपने को बहुत ही सुरक्षित-संरक्षित ढंग से बचाएं रखा है। यहां के कानूनों का पालन बहुत सही ढंग से होता हैं। पानी बहुत साफ और जंगल घने है। जंगल के बाद यात्रा आर्मी और पुलिस के क्वार्टर में भी गई। इन्होंने बहुत अनुशासित तरिके से जंगल, जल और जमीन को बचाकर रखा है। यहां की अधिकतर जमीन पहाड़ियों में हैं। इस देश ने अपनी जमीनों को माइनिंग में बहुत बर्बाद नहीं किया है, क्योंकि बहुत सही ढंग सिर्फ कुछ लोगों को माइनिंग करने का अधिकार दिया है।
इस छोटे से देश ने दुनिया में बहुत प्रसिद्धि पायी है, वो बड़ी बात, इसलिए है क्योंकि प्राकृतिक संपदा से संपन्न देश है।
हमारी यात्रा से यह बात भी बहुत साफ हुई कि, जो देश अपनी प्रकृति की रक्षा, जल, जंगल, जमीन को बचा के सुरक्षित रखता है, वह देश गरीब नहीं होता। स्वीडन दुनिया का सबसे समृद्ध देशों में से एक माना जाता है। इसकी समृद्धि जल, जंगल और जमीन के संरक्षण से ही बनी रही है और समृद्धि बढ़ती जा रही है। हमें इस देश से सीख मिल सकती है की जल, जंगल और जंगली जानवरों को बचाने से समृद्धि आती है।
यह वह देश है जिसने धरती को बचाने का पहला सम्मेलन 1972 में पृथ्वी शिखर सम्मेलन आयोजित किया था। इस सम्मेलन में जो नीति इन्होने बनाई थी उसकी अक्षुण से पालन की थी। इस सम्मेलन में तय हुआ था कि, 70 पहाड़ी क्षेत्रों में 70% जंगल को रक्षित – संरक्षित करके रखना और जंगलों को हरे – भरे बनाकर रखना। इन्होंने उसे वक्त जब यह कानून को बात की थी तब उनके पास 30% जमीन पर भी जंगल नहीं था, अभी यह 70%के आसपास हो गया। यहां जल संरचनाओं का भी इन्होंने बहुत सुंदर ढंग से संरक्षण किया। इस छोटे से देश में छोटे बड़े लाखों तालाब और झील है। इनके किनारे पर पानी को शुद्ध करने वाले वनस्पति है और दूसरी कोई वनस्पति नहीं है । पानी को साफ सुथरा रखने वाली वनस्पति और झीलों के किनारे पर गंदगी ना हो ,उसके लिए सफाई का इंतजाम करने वाला यह देश अद्भुत है ।
इसके बाद हम स्टॉकहोम नदी पर पहुंचे। यहां नदी भी बहुत साफ है। इस नदी के एक तरफ महाराज का महल और दूसरी तरफ संसद व सब बड़ी जगह इस नदी के दोनों तरफ है लेकिन नदी में गंदगी बिल्कुल नहीं है। नदी में कोई गंदा नाला नहीं जाता। 1972 में जब भारत के प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी इस सम्मेलन में आई थी, तब उन्होंने उनकी स्टॉकहोम नदी की सफाई देखकर कहा था कि, हम भी अपने भारत की नदियों को इस तरह साफ रखेंगे और वह साफ रखने का काम उस जमाने में शुरू किया था। लंबा समय गुजर गया लेकिन हमारी नदियां तो साफ नहीं हुई
मैं समझता हूं कि, जब से मैं स्टॉकहोम आया हूं मैंने तीन दर्जन से ज्यादा झील और स्टॉकहोम नदी देखी है। यह सभी बहुत साफ होकर अविरल निर्मल बह रही है। हमे स्वीडन से सीख लेना चाहिए।1972 में जो सीख लेकर, गंगा और भारत की नदियों को शुद्ध करने के बारे में जो निर्णय हुआ, उसको कम से कम अब तो संचालित करना चाहिए। हमें हमें उम्मीद है कि,हम इनसे सीख लेकर अपनी नदियों को भी ,इनकी तरह साफ बनाएं।
*जलपुरुष के नाम से विख्यात जल विशेषज्ञ।