नीम – मृत्यु लोक का कल्पवृक्ष
नीम कॉरिडोर की कहानी ही कुछ अलग है। साइकिल पर अपनी भारत यात्रा के दौरान जवाई बांध रेलवे स्टेशन से सुमेरपुर रोड तक के मार्ग के दोनों तरफ मैंने हरे भरे नीम के पेड़ लगे हुए देखे जो तेज गर्मी से राहत दे रहे थे। इस मार्ग पर 960 पेड़ लगे हैं। लोगों ने बताया कि वर्ष 1910 में यहां अंग्रेजों ने इस मार्ग पर नीम के पौधे लगाए थे।
उस समय अंग्रेजों की फौजें शिवगंज के छावणी क्षेत्र में पड़ी रहती थी। यहां से युद्ध में जाने के लिए पैदल जवाई बांध रेलवे स्टेशन तक जाती थी, उसके बाद ट्रेन से आगे का सफर तय करती थी। उस समय रोड के किनारे पौधे नहीं थे। लेकिन अंग्रेजों ने अपनी दूरदर्शी सोच के साथ रोड के दोनों तरफ करीब 960 पौधे लगाए जिससे आज यह मार्ग हरियाली की चादर ओढ़े नजर आता है। कस्बे के कृषि मंडी गेट नंबर 2 से लेकर जवाई बांध तक करीब 8 किमी के रूट पर सड़क के दोनों तरफ पेड़ लगे हुए हैं। वहाँ कई लोगों ने यह भी बताया कि नीम के महत्व को समझते हुए अँगरेज़ इसे आपने साथ भी ले गये।
नीम का पेड़ यानि गाँव का डॉक्टर! कुछ पुराने लोग इसे सर्व रोग निवारण भी बोलते हैं। भारत में यह पेड़ घर में लगाना शुभ माना जाता है। नीम की पूजा तो भारत में हजारों साल से करते आये है और कई जगह आज भी पूजा होती है। माँ शीतला का वास मान कर ग्राम वासी इसकी पूजा करते है।
मैंने साइकिल पर अपने भारत यात्रा में ब्रश का इस्तेमाल बहुत कम किया है, और नीम के दातून का इस्तेमाल किया है।
नीम, जिसे हम लोग अवधि में दुवार बोलते हैं हमारे घर में इसके पांच पेड़ थे और हम लोग दातून बचपन से ही करते आये हैं। इस पेड़ के छाल का उपयोग बारिश के समय में करते थे और हम बच्चों को इतना पता था इसकी छाल लगाने से फुंसी में आराम होगा । हमारे घर में जो पांच नीम के पेड़ थे तो उनके पत्ते जो गिरते उन्हें रात में इकठ्ठा कर के जला देने से मच्छर नहीं आते थे। १२ वीं कक्षा तक तो हम सभी लोग घर के बाहर ही सोते आये थे और नीम के पत्तों का इतना तो उपयोग लगभग गाँव में सभी करते आये थे ।हमें बचपन में ही पता था कि यह पेड़ बहुत अच्छा होता है।
नीम का वानस्पतिक नाम इसके संस्कृत भाषा के निंब से व्युत्पन्न है। आयुर्वेद में नीम को बहुत ही उपयोगी पेड़ माना गया है। इसका स्वाद तो कड़वा होता है लेकिन इसके फायदे अनेक और बहुत प्रभावशाली हैं। गाँव में तो हम इस पेड़ का विभिन्न बिमारियों में इलाज के लिए इस्तेमाल करते थे।
१- इसकी छाल का लेप सभी प्रकार के चर्म रोगों और घावों के निवारण में सहायक है। घाव ठीक होता है और निशान भी नहीं छोड़ता है।
२- इस का दातुन करने से दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं। मुँह से बदबू भी कम होती और ख़त्म हो जाती है।
३- इस की पत्तियां चबाने से रक्त शोधन होता है और त्वचा विकार रहित और कांतिवान होती है। हां पत्तियां अवश्य कड़वी होती हैं, लेकिन कुछ पाने के लिये कुछ तो खोना पड़ता है मसलन स्वाद।
४- इसकी पत्तियों को पानी में उबाल उस पानी से नहाने से चर्म विकार दूर होते हैं और ये खासतौर से चेचक के उपचार में सहायक है और उसके विषाणु को फैलने न देने में सहायक हैं।
५- नींबोली (नीम का छोटा सा फल) और उसकी पत्तियों से निकाले गये तेल से मालिश की जाये तो शरीर के लिये अच्छा रहता है।
६- नीम के द्वारा बनाया गया लेप बालो में लगाने से बाल स्वस्थ रहते हैं और कम झड़ते हैं।
७- नीम की पत्तियों के रस को आंखों में डालने से आंख आने की बीमारी में लाभ मिलता है(नेत्रशोथ या कंजेक्टिवाइटिस)
८- नीम की पत्तियों के रस और शहद को २:१ के अनुपात में पीने से पीलिया में फायदा होता है और इसको कान में डालने से कान के विकारों में भी फायदा होता है।
९- नीम के तेल की ५-१० बूंदों को सोते समय दूध में डालकर पीने से ज़्यादा पसीना आने और जलन होने सम्बन्धी विकारों में बहुत फायदा होता है।
१०- नीम के बीजों के चूर्ण को खाली पेट गुनगुने पानी के साथ लेने से बवासीर में काफ़ी फ़ायदा होता है। यह मधुमेह में अत्यधिक लाभकारी है।इसका प्रयोग शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह जीवाणु नाशक, रक्त्शोधक एवं त्वचा विकारों में गुणकारी है यह बुखार में भी लाभकारी है।
नीम त्वचा के औषधीय कार्यों में उपयोग किया जाता है। इस के उपयोग से चेचक (गाँव में माता बोलते है) जैसी भयंकर बीमारियाँ नहीं होती तथा इससे रक्त शुद्ध होता है । ये स्वास्थ्यवर्धक एवं आरोग्यता प्रदान करने वाला है। ये सभी प्रकार की व्याधियों को हरने वाला है, इसे मृत्यु लोक का कल्पवृक्ष कहा जाता है। चर्म रोग में इसका विशेष महत्व है।
नीम एक ऐसा वनस्पति है जो की भारतीय पर्यावरण के अनुकूल है और भारत में बहुतायत में पाया जाता है। इस के आज के समय में बहुत सारे प्रोडक्ट उपलब्ध हैं जैसे कि नीम का साबुन, नीम ऑयल, नीम शैम्पू, टूथपेस्ट।
भारत में नीम का उपयोग एक औषधि के रूप में किया जाता है, आज के समय में बहुत-सी एलोपैथिक दवाइयाँ नीम की पत्ती व उसके छाल से बनती हैं।इस पेड़ का हर अंग फायदेमंद होता है, बहुत सी बीमारियों का उपचार इससे किया जाता है।
*पर्यावरण यात्री जो पर्यावरण के प्रति चेतना जगाने के लिए 2021 से देश भर में साइकिल से यात्रा कर रहे हैं।