– धर्मेंद्र मलिक/मांगेराम त्यागी/राजवीर सिंह*
नयी दिल्ली: किसानों की समस्याओं पर भारत सरकार को ध्यान देने की ज़रुरत है। भारत एक कृषि प्रधान देश है लेकिन भारत की कृषि किसान को उसके श्रम के अनुपात में लाभ नहीं देती। कृषि पर मौसम की मार, आवारा पशुओं के नुकसान, महंगे कर्ज, नकली खाद, बीज, कीटनाशक के कारण देश में किसान की आत्महत्या रुकने का नाम नहीं ले रही है। देश की कृषि को सबल एवं सशक्त बनाने के लिए कृषि क्षेत्र में छोटे बड़े हजारों कदम उठाने की जरूरत है।
सस्ते कृषि आयात को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने पर सरकार और किसानों के बीच सहमति बनी है और आज भारत के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हमसे एक भेंट में कि केंद्र सरकार किसानों की समस्याओं का समाधान करने के लिए व् किसानों की उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदकर उन्हें लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।
सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य को रिज़र्व प्राइस बनाने की ज़रुरत है। जिन फसलों (फल-सब्जी व् बागवानी) के एमएसपी तय नहीं होते, उनके गिरते बाजार से किसान को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए सरकार को बाजार हस्तक्षेप योजना में सुधार करना चाहिए।
फसल बीमा योजना में सुधार करना व लघु-सीमांत किसान का फसल बीमा जीरो प्रीमियम पर होना चाहिए। पीएम किसान सम्मान निधि को को भी बढ़ाने की आवश्यकता है।प्रामाणिक बीज, पर्याप्त सिंचाई, उत्पादित फसल की सही मार्केटिंग व भंडारण की सुविधा, गुड व खाँडसरी उद्योग को उन्नत करने के लिए सब्सिडी देने से किसानों की स्थिति में सुधार हो सकती है।
सरकार को किसानों की तरफ से प्रेषित इन निम्नलिखित सुझावों पर गहनता से गौर करना चाहिए:
- न्यूनतम समर्थन मूल्य में राज्यों से फसल की लागत के मिलने वाले लागत मूल्य के आँकड़े के आधार पर एमएसपी लागत सी2 का डेढ़ गुना तय किया जाए। क्योकि केंद्र सरकार का फसल की लागत का आधार राज्यों से मिलने वाले लागत मूल्य से कम रहता है।इसी तरह ए2+एफएल और सी2 के फ़ार्मूले के बीच भी व्यापक अंतर है। कृषि लागत व मूल्य आयोग के स्थान पर न्यायाधिकरण बनाया जाये।कृषि निर्यात को अनुमान के आधार पर न रोका जाये, क्योंकि कृषि निर्यात को रोकने से किसान की कृषि उपज का मूल्य गिर जाता है।
- सभी मुख्य फसलों के साथ ही मुख्य फल-सब्जी, दूध व शहद आदि को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में लाया जाना चाहिए। व जिन फसलों का एमएसपी तय नहीं होता है, उन फसलों के लिए बाजार हस्तक्षेप योजना को प्रभावी बनाया जाए। क्योकि केंद्र व राज्यों के बीच का विषय होने के कारण योजना लागू होने में विलम्ब होता है या योजना लागू ही नहीं होती है।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे मूल्य जाने पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित फसलों का न्यूनतम विक्रय मूल्य उसी तरह तय किया जाए, जिस तरह केंद्र सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 3 की उप धारा (2) के खंड (ग) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए चीनी मूल्य (नियंत्रण) आदेश, 2018 अधिसूचित कर चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य तय किया था।
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में छोटे किसानों के लिए बीमा प्रीमियम शून्य होनी चाहिए, ताकि वे बीमा योजना का लाभ ले सके। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में हर फसल में किसान को इकाई माना जाए व वास्तविक नुकसान का मुआवजा मिलना चाहिए।न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बीमा योजना के अंतर्गत लाया जाए, जिससे किसानों को एक मासिक आय उपलब्ध सुनिश्चित हो सके।
- देशभर में किसानों को भूमिअधिग्रहण कानून में पुनर्वास एवं स्थापन का लाभ नहीं दिया जा रहा है। किसानों को इसका लाभ दिया जाए।
- जलवायु परिवर्तन और अनियमित मौसम: अस्थिर मौसम के कारण फसलों की उत्पादकता और गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जलवायु परिवर्तन से कृषि को बचने हेतु वृहद कार्ययोजना लायी जाए।
- कृषि कारोबार से जुड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों को किसान की फसल उपजाने, उसकी खरीद, सप्लाई चेन, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग समेत कृषि की पूरी वैल्यू चेन में जोडा जाये। देश में कृषि आंकड़ों की प्रणाली को मजबूत किया जाए।
- किसानों के सभी क़र्ज़ माफ़ किये जाए।
- किसानों को सस्ते एवं प्रमाणिक बीज ,कीटनाशक उपलब्ध कराए जाय। नकली एवं महंगे खाद बीज कीटनाशक के कारण किसान पर कर्ज का भर बढ़ रहा है। कुछ कीटनाशी तैयार करने वाली कंपनिया कुछ रसायनों के मिश्रण मात्रा से पेटेंट हासिल कर किसानों को दस गुना रेट पर कीटनाशी बेच रही है। इस तरह से दिए जा रहे पेटेंट पर रोक लगाई जाए। कीटनाशक रसायन का वर्गीकरण फसल के आधार पर किया जाए, अनावश्यक रूप से निर्मित रसायन पर रोक लगायी जाए, साथ ही वर्गीकरण में आने वाले रसायन की संख्या भी सिमित की जाए, जिससे भ्रमित करने वाले रसायनों पर रोक लग सके।
- किसान सम्मान निधि में आधार कार्ड,बैंक खाता, नाम के संशोधन का अधिकार मण्डल स्तर पर दिया जाए। जिससे संशोधन प्रक्रिया आसान होगी। किसान सम्मान निधि को बढ़ाकर 12,000 सालाना किया जाए।
- किसान क्रेडिट कार्ड का पूर्ण भुगतान नवीनीकरण के समय ही लिया जाए। बीच में किसान से केवल ब्याज लिया जाए।
- कृषि मंत्रालय के कृषि विस्तार विभाग द्वारा अपना कार्य नही किया जा रहा है। कृषि विस्तार विभाग से किसानों को जागरूक एवं शिक्षित करने का अभियान चलाया जाए।
- देश में जरूरत से अधिक एवं असमय कृषि आयात पर प्रतिबंध लगाया जाय। जिससे किसानों को संरक्षित किया जा सके।
- कृषि उत्पादन के लिए खाद,बीज,कीटनाशक,कृषि यंत्र,ट्रेक्टर,पशु आहार आदि को जीएसटी से मुक्त किया जाए।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान व् किसान नेता इस बात पर सहमत हैं कि सरकार एवं किसान का संवाद समय समय पर जरूरी है।परन्तु साथ ही किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण और नीतिगत सुधारों की आवश्यकता है। नीति निर्माण में किसानों की वास्तविक समस्याओं को समझना और उनका समाधान ढूंढना अनिवार्य है।
*धर्मेंद्र मलिक भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं।मांगेराम त्यागी, एवं राजवीर सिंह यूनियन के उपाध्यक्ष हैं। प्रस्तुत लेख उनके केंद्रीय सरकार को दिए सुझावों पर आधारित है।
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