कटहल, जिसको आपने कभी सब्ज़ी के रूप में, फल के रूप में, या अचार के रूप में ज़रूर खाया होगा। इसे अंग्रेज़ी में जैक फ्रूट कहा जाता है।
कटहल को मैंने अपने देश भर की साइकिल यात्रा में अलग अलग रूप से खाया। अलग अलग प्रकार के व्यंजन। आमतौर पर उत्तर भारतीय घरों में इसकी स्वादिष्ट सब्ज़ी बनती है। कटहल की सब्ज़ी मसालेदार होती है और इसका स्वाद बहुत अद्भुत होता है।
कटहल दुनिया का सबसे वज़नी फल है तौर इसका वजन १ किलो से ३० किलो तक या उससे अधिक भी होता है । आप लोग अब सोच रहे होंगे अभी तक मैं इसको सब्ज़ी बोल रहा था अचानक फल कैसे बोलने लगा? वनस्पति शास्त्र के अनुसार इसको फल माना जाता है।
कटहल लगभग 3000 से 6000 हज़ार सालों से भारत में उगता आ रहा है। सबसे ख़ास बात मादा पेड़ से ही कटहल होता है और नर पेड़ से फूल खिलकर ज़मीन पर बिखर जाता है ।
चरक संहिता में पक्का कटहल खाने की सलाह दी गयी है और उसमें में विटामिन और तमाम औषधीय गुण भरपूर मात्रा में होते हैं जो हमारे शरीर के लिए लाभकारी होते हैं ।
अगर बात करें तो भारत से निकल कटहल बांग्लादेश और श्रीलंका का तो राष्ट्रीय फल बन गया। उत्तरीय ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राज़ील आदि में भी यह पाया जाता है।
कटहल में यह पोषक तत्व पाए जाते हैं – एनर्जी , कार्बोहाइड्रेट, फ़ाइबर , कैल्शियम , सोडियम , विटामिन सी , आयरन , फ़ॉस्फ़ोरस आदि, जिसका उपयोग कई बीमारियों से बचाव करता है। पाचन तंत्र के लिए उपयोगी फाइबर पेट में क़ब्ज़ की परेशानी को दूर करने के साथ साथ पेट साफ़ करने में मदद करता है शरीर को डिटॉक्सिक करने के साथ साथ आँत साफ़ करने में सहायक है । एंटीऑक्सीडेंट वज़न बढ़ने से रोकता है। फ़ाइबर लंबे समय तक पेट को भर के रखता है जिससे जल्दी भूख नहीं लगती है। विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है जो प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत करता है। मौसमी बीमारी को दूर करता है । कैल्शियम होने के कारण यह हड्डियाँ लिए फ़ायदेमंद होता है। एनीमिया में फ़ायदेमंद होता है । एनीमिया की शिकायत होती है कटहल खाने से आयरन की कमी दूर होती है।
इन औषधीय गुणों के बारे में गाँव में रहने वाले लोगों को एक परम्परा अनुसार पता है। मुझे याद है जून या जुलाई के महीने में गाँव में हम लोग एकत्रीतृत हो कर पका कटहल खाने का शर्त लगाया करते थे । पके कटहल की बात करूँ तो मैंने तो ख़ुद ६० कोया तक खाया है । किसान इसका फल के रूप में, मिठाई के रूप में, सब्ज़ी के रूप में उपयोग करते आ रहे है।
अगर बात करूँ मैं भारत की तो सबसे अधिक कटहल का उड़ीसा में उत्पादन होता है – पूरे भारत का 16.63 प्रतिशत। केरल दुसरे स्थान पर है – 14.01 प्रतिशत, और असम तीसरे स्थान पर – 11.3 प्रतिशत ।
मैं कटहल की इसलिए चर्चा कर रहा हूँ क्योंकि हमें तय करना होगा पर्यावरण संस्थान और सरकार को की किसानों की ज़रूरत और उपयोग के देखते हुए इसके पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करना होगा जिससे पर्यावरण के साथ साथ गाँव के किसान की हालात सुधर जाये ।
बात करें मार्केट क़ीमत की तो एक किलो कच्चे कटहल की क़ीमत ४० से ६० रुपया तक होता है । एक पेड़ से 6000 रुपये से 12000 तक का फल बिक जाता है । कटहल लगाने से पर्यावरण संरक्षण भी होगा किसान साथियों की आय भी बढ़ेगी।
*पर्यावरण यात्री जो पर्यावरण के प्रति चेतना जगाने के लिए 2021 से देश भर में साइकिल से यात्रा कर रहे हैं।