रांची: झारखण्ड विधानसभा में आज हुए फ्लोर टेस्ट में चंपई सोरेन के नेतृत्व में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और उसकी सहयोगी कांग्रेस पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल ने 47 मत प्राप्त कर बहुमत हासिल कर ली जबकि भारतीय जनता पार्टी और उसकी सहयोगियों को 29 मत मिले। मतदान में पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने भी भाग लिया।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन ने चंपई सरकार को फ्लोर टेस्ट में बहुमत दिलाने के लिए जी जान एक कर दी थी। बीती रात उन्होंने सबसे पहले अपनी बड़ी बहू और झामुमो की तीन बार की विधायक सीता सोरेन और अपने सबसे छोटे बेटे और विधायक बसंत सोरेन जो अपनी भाभी के साथ हेमंत सोरेन के खिलाफ विद्रोह कर रहे थे, उनको बुलाकर घर के मुखिया की तरह बात की और हर तरह से समझाया तथा उन्हें यह भी बताया कि आदिवासी समाज को यह सरकार गिरने पर क्या नुकसान हो सकता है। जब बहू और बेटा उनके समझाने पर मान गए तो उनके कहने पर इनके साथ दो अन्य विद्रोही साथी विधायक चमरा लिंडा तथा लोबिन हेम्ब्रोम को भी देर रात बुलाकर तरह तरह से समझाया और अंततः आदिवासी एकता और एकजुट के नाम पर उन्हें मना लिया।
शिबू सोरेन ने आधी लड़ाई उस समय ही जीत ली थी जब उन्होंने अपने वकीलों के माध्यम से कोर्ट से अपने मझले पुत्र और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए कोर्ट से यह अनुमति ले ली थी। आज जब तगड़ी सुरक्षा के बीच हेमंत सोरेन झारखंड विधानसभा में पहुंचे तो माहौल बदला हुआ था। वहां जो विरोध का सोच भी रहे थे उन विधायकों ने भी हेमंत सोरेन को देखते ही तत्काल अपना विचार बदल दिया।
राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन के अभिभाषण के बाद स्पीकर रविंद्र नाथ महतो ने सरकार के पक्ष और विपक्ष में विचार प्रकट करने के लिए जैसे ही हेमंत सोरेन को बोलने के लिए आमंत्रित किया पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने योजनाबद्ध तरीके से भाजपा की केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि उसने किस तरह से एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ईडी) के माध्यम से उनकी चुनी हुई सरकार को गिराने की साजिश की।उन्होंने कहा लोकतंत्र के इतिहास में यह पहली घटना है जब किसी मुख्यमंत्री को पद में रहते हुए गिरफ्तार किया गया हो। उन्होंने कहा यह आदिवासियों की मान प्रतिष्ठा और सम्मान पर हमला है।
इसके बाद हुए मतदान में सदस्यों ने खड़े होकर पक्ष और विपक्ष में मतदान किया इसके चलते जहां चंपई सोरेन सरकार के पक्ष में कुल 47 वोट पड़े वहीं भाजपा और उनके सहयोगी दल मात्र 29 मार्च मिले इस तरह से चंपई सोरेन सरकार 18 मतों के भारी अंतर से विश्वास का मत जीतने में सफल रही और चंपई सोरेन अपनी सरकार बचाने में सफल रहे।
चर्चा यह भी है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में पहले कांग्रेस और झामुमो में तोड़फोड़ की योजना बनाई थी लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने इस कदम से झारखंड सहित अन्य आदिवासी राज्यों में आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में आदिवासियों में गलत संदेश न जाए इसलिए ऐन वक्त पर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने ऐसा करने से मना कर दिया। लेकिन शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन उनके छोटे पुत्र बसंत सोरेन जो अपनी भाभी सीता सोरेन के साथ हैं तथा दो और अन्य विधायकों में विरोध की बात आज अभी समाप्त नहीं हुई है। शिबू सोरेन ने अपनी कुशल रणनीति के चलते फिलहाल अपने परिवार में हुए इस विद्रोह को भले ही दबा दिया हो लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा का शीर्ष नेतृत्व एक बार फिर से सीता सोरेन और बसंत तो सोरेन के माध्यम से सत्ता परिवर्तन की गोटी बिछाने का काम अवश्य करेगा।
*वरिष्ठ पत्रकार