जम्मू कश्मीर बोल रहा है, आपको बुला रहा है….
गांधी जी की जम्मू कश्मीर यात्रा के 75वें वर्ष अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में एक अमन यात्रा 24 अगस्त से 01 सितम्बर, 2022 तक वहां के 12 जिलों में गई।अनेक बार जम्मू कश्मीर जाने का अवसर मिला, हर बार कुछ नया अनुभव होता है। पहले अपने अनुभव साझा किए हैं। आगे भी प्रयास जारी रहेगा। जम्मू कश्मीर में अमन शांति सदभावना सौह्रार्द की तलाश जारी है।
उम्मीद की किरण, अमन की तलाश, साझापन समरसता की समझ, मेहमान नवाजी की मिसाल, प्यार का खजाना, प्राकृतिक सौंदर्य की देन, नदी नाले, झरने से भरपूर पानीदार, धार्मिक स्थलों का संगम, विविधता, अनेकता में एकता का दर्शन, फल फूल, हरियाली से भरपूर, शंकर का मंदिर, शंकराचार्य का मठ, हजरतबल, चरारे शरीफ, छठी पातशाही गुरुद्वारा, सूफी संतों पीर फकीरों की पवित्र धारा, सबका सहारा क्यों बन गया बेचारा, बेसहारा?
नागरिक स्तर से लेकर हर स्तर पर संवाद संपर्क के द्वार, खिड़की खुलनी चाहिए।खुद जम्मू कश्मीर जाएं तथा वहां के बच्चों, युवाओं, छात्र छात्राओं, नागरिकों को अपने यहां बुलाएं।
अमन के बोल, तू खुद भी बोल
भय, दहशत, भेद, नफरत, द्वैष, कड़वाहट, अलगाव, अविश्वास को समाप्त किया जाए। सहजता, सरलता, स्पष्टता, सक्रियता, एकजुटता, समझदारी, अपनापन, अमन, शांति, सदभावना, सौह्रार्द, साझापन, समरसता, प्यार, विश्वास, प्रेम का माहौल बनाया जाए। सुरक्षा बलों की उपस्थिति को सामान्य किया जाए। पंडितों को वापिस बसाया जाए।
खुद वहां जाए और उनको अपने यहां बुलाएं। शांति सदभावना चाहने वाले सतत प्रयास करें तथा बारंबार जम्मू कश्मीर जाएं।
जम्मू कश्मीर के वे जिले जिनमें यात्रा पहुंची संपर्क संवाद किया – जम्मू, उधमपुर, रामबन, सांबा, कठुवा, श्री नगर, बारामुला, पुलवामा, अनंतनाग, कुलगाम, बड़गाम, गंदरबल।
स्धान जहां यात्रा के कार्यक्रम आयोजित हुए – जम्मू, सिधरा, टिकरी, उधमपुर, रामबन, बनिहाल, अनंतनाग, पहलगाम, मट्टन, पाम्पोर, वायुपुर, श्रीनगर, गंदरबल, मानसबल, सोनमर्ग, बारामुला, टनमर्ग, वारिपुर, मगम, बिरवाह, चादूरा, चरार ए शरीफ, पुलवामा, विस्सु कालोनी, ठंडी कुई, विजयपुर, सांबा, राजबाग, कठुवा आदि।
शिक्षण संस्थानों में विद्यालय से लेकर महाविद्यालय तक कार्यक्रम आयोजित किए गए।
भाई बहन, रिश्ते नाते, परिवार के सदस्य दूर रहकर भी वही नाता बनाकर रख सकते हैं मगर पड़ोसी पड़ोस का नाता दूर होते ही बदल जाता है। पड़ोसी पन को मजबूत बनाने में मदद करें। पड़ोसी खुशहाल, पड़ोसी निहाल।आगे बढ़ें, फले फूले, मिलकर रहें, कश्मीरियत अपनाएं, देश दुनिया को सुदृढ़ बनाएं, अमन, शांति, सदभावना, सौह्रार्द, साझापन, एकजुटता समझदारी सहजता सरलता की बंशी बजाएं।
आओ मिलकर सोचें, विचारे, अमन की आवाज बुलंद करें।
*लेखक प्रख्यात गाँधी साधक हैं।