फोकस: भारत का सफल अंतरिक्ष अभियान
– प्रशांत सिन्हा
चंद्रयान – 3 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो ) और उसके वैज्ञानिकों की वजह से हर भारतीय का सिर गर्व से ऊंचा हो गया है। इसरो ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है और 140 करोड़ भारतीयों की महत्वाकांक्षाओं की उड़ान का साक्षी बना है ।इसरो का एलबीएम – 3 एम 4 रॉकेट श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से चंद्रयान – 3 को लेकर रवाना हुआ।
40 दिन के सफर के बाद 23 अगस्त को यान के साथ भेजा गया लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा। चंद्रयान – 3 के सफल प्रक्षेपण के रूप में अभी पहली सफलता प्राप्त हुई है। इस यान की आगे की यात्रा थोड़ी जटिल तो है क्योंकि चंद्रयान – 2 की लैंडिंग सफल नहीं रही थी लेकिन इस बार वैज्ञानिकों ने चंद्रयान – 2 के साथ हुई विफलता से सीख लेते हुए कुछ परिवर्तन जरुर किए होंगे जिससे अच्छे परिणाम मिलने की आशा प्रबल हो गईं है। हो भी क्यों नही कुछ ही महीने पहले इसरो ने लो अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट संचार कम्पनी वन वेब के साथ 36 उपग्रहों को सफलतापूर्वक लॉन्च कर इतिहास रच दिया था।
बीते एक दशक में भारत की अंतरिक्ष में मिली सफलता के कारण दूसरी एजेंसियां इसरो के साथ आने को तैयार हैं। एलवीएम – 3 इसरो के सबसे भारी प्रक्षेपण यान जीएसएलवीएम के – 3 का ही नया नाम है जो सबसे भारी उपग्रहों को निश्चित कक्षा में प्रक्षेपित करने की क्षमता रखता है।
एक दशक में विज्ञान प्रौद्योगिकी व अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इसरो की कामयाबी से भारत का सिर ऊंचा उठा है। चंद्रमा पर मानवरहित यान चंद्रयान के प्रक्षेपण के साथ खुद का नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम, एस्ट्रोसैट, स्वदेश में बने अंतरिक्ष यान आर एल वी टी डी से लेकर मंगलयान का सफल प्रक्षेपण इन कामयाबियों की बानगी है। इसरो ने इतिहास रचते हुए एक ऐसा केन्द्र तैयार कर लिया है जिसके जरिए अब भारत खुद अंतरिक्ष में मौजूद अपनी सम्पत्तियों की सुरक्षा कर पाएगा और अब भारत को अमेरिका पर निर्भर रहने की जरूरत नही होगी। इसरो ने अंतरिक्ष में अपने उपग्रहों की सुरक्षा के लिए ” इसरो सिस्टम फॉर सेफ एंड सस्टेनेबल स्पेस अपेरेशंस मैनेजमेंट ” का केन्द्र तैयार कर लिया है।
संचार सेवाओं के अतिरिक्त धरती के अवलोकन व मौसम पूर्वानुमान समेत अधिकांश व विभागों को अंतरिक्ष में इसरो के अनेक उपग्रह सक्रिय है। इसरो को अपने उपग्रहों के प्रक्षेपण के एवज में आमदनी भी हो रही है। भारत बहुत तेजी से अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में बड़ी ताकत बनकर उभर रहा है| इसरो और अर्न्स्ट एंड यंग की रिपोर्ट के अनुसार अगले दो साल यानी 2025 तक भारत की अंतरिक्षीय अर्थव्यवस्था 13 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकती है|
उपग्रह निर्माण को लेकर भारत अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में दूसरा सबसे तेजी से बढ़नेवाला देश हो गया है। भारत का स्पेस लांच सेगमेंट काफी तेजी से बढ़ रहा है और इसकी वार्षिक वृद्धि दर लगभग 13 फीसदी है| दो साल बाद देश का उपग्रह-निर्माम बढ़कर दो बिलियन डॉलर होने की उम्मीद है।
इसरो ने चंद्रयान – 3 के सफल प्रक्षेपण के साथ सफलता की नई गाथा लिख दी है। इसरो का ये कमाल गर्व करने लायक है।