कॉप28 शिखर सम्मेलन का मतलब पार्टियों का सम्मेलन है। अभी तक कुल 27 बैठकें हो चुकी है। पहला कॉप 1995 में बर्लिन में आयोजित किया गया था। पिछले कॉप 27 का आयोजन नवंबर 2012 में मिश्र के श्रम अल शेख में किया गया था। कॉप के तहत हर वर्ष एक बैठक आयोजित की जाती है जिसमें दुनिया के 200 से ज्यादा राष्ट्राध्यक्ष वैश्विक तापमान और जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए योजनाएं बनाते हैं।
2021 में ग्लासगो में आयोजित जलवायु वार्ता में हमारे प्रधानमंत्री ने शिरकत की थी जहां उन्होंने जलवायु परिर्वतन से निपटने के लिए भारत की रणनीति को उजागर किया था। प्रधानमंत्री ने पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली को अपनाने पर जोर दिया था।
संयुक्त अरब अमीरात के दुबई शहर में 30 नवंबर से 12 दिसंबर 2023 तक विश्व के 199 देश जलवायु परिर्वतन के खतरों से निपटने और पर्यावरण के रक्षा करने के लिए विचार विमर्श करके सर्वसम्मति अनुमति से योजनाएं बनाकर वैश्विक स्तर पर क्रियान्वन करने के लिए प्रस्ताव पारित करेंगे।
जलवायु परिर्वतन का मुद्दा आज के समय में वैश्विक समुदाय के समक्ष एक गंभीर चुनौती के रुप उभरा है। इस सम्मेलन का मुख्य लक्ष्य वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना है। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए विभिन्न देश अपने उत्सर्जन कटौती लक्ष्यों को मजबूत कर रहे हैं और स्वच्छ ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता और सतत परिर्वतन प्रणाली की ओर बढ़ रहे हैं। जलवायु वित्त एक महत्वपूर्ण विषय है जिसपर कॉप28 में जलवायु परिर्वतन के अनुकुलन पर भी जोर दिया जायेगा। यह विशेष रुप से उन देशों के लिए महत्वपूर्ण है जो जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों सामना कर रहे हैं। आपदा जोखिम में कमी, स्थाई कृषि प्रथाओं और जल संसाधन प्रबंधन इन प्रयासों के कुछ उदाहरण हैं।
कॉप28 सम्मेलन को एक ऐसे नये आख्यान के माध्यम से बहुपक्षीय जलवायु सहयोग को फिर से सुदृढ़ करने के उपायों को खोजना होगा, जो ग्लोबल नॉर्थ और साउथ के बीच भरोसे और विश्वास को पुनर्बहाल कर सके। संयोग से, इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है, जब विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर वैश्विक दक्षिणी देशों की अगुवाई में जलवायु परिवर्तन से संबंधित प्रयासों की गति बढ़ रही है।
भारत की भूमिका कॉप28 में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें शामिल होने आये। विकासशील देश होने के नाते, भारत स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग, ऊर्जा दक्षता, और सतत विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखा रहा है। इसके साथ-साथ, भारत जलवायु वित्त और तकनीकी सहायता के महत्व को भी उजागर करता है। जलवायु परिवर्तन एक ऐसा मुद्दा है जो सिर्फ एक देश या क्षेत्र की सीमाओं तक सीमित नहीं है। यह एक वैश्विक समस्या है जिसका सामना करने के लिए वैश्विक सहयोग और साझा प्रयास अनिवार्य हैं। कॉप 28 इसी सहयोग और साझा प्रयास का एक मंच है
अंत में, कॉप28 की सफलता न केवल इसमें किए गए समझौतों पर निर्भर करेगी, बल्कि इन समझौतों को लागू करने की प्रतिबद्धता और दृढ़ता पर भी निर्भर करेगी। यह सम्मेलन न सिर्फ वर्तमान पीढ़ी के लिए, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी एक स्थायी और हरित भविष्य की नींव रखने का एक अवसर है।