साओ पाउलो: ब्राज़ील प्राकृतिक पुनर्जनन का स्थायित्व विकास का प्रेरक देश है। ब्राज़ील वैसे तो 300 से ज्यादा राष्ट्रों से बना एक राष्ट्र है। यहाँ 300 से ज्यादा मूल आदिवासी, जनजातियों की अपनी-अपनी भाषाएं, बोली, कानून, सीमाएँ और अलग पहचान है। इन सब राष्ट्रों के मिलने से ब्राज़ील बना है।
दक्षिणी अमेरिका का ब्राज़ील यूरोप के देशों जैसा एक भाषा, संस्कार व व्यवहार वाला देश नहीं है। ब्राज़ील के संविधान में 250 से ज्यादा मान्यता प्राप्त भाषाएं हैं और 3 हजार से ज्यादा बोलियाँ है। इन सरकारी मान्यता प्राप्त भाषा और बोली वाले लोग अपनी-अपनी अलग विविधताओं के साथ, मूल ज्ञान से एक हैं। मूल ज्ञान में विविधता के होने के बावजूद जल, जंगल, जमीन और सम्पूर्ण प्राकृतिक चेतना में एकरूपता है। इस चेतना से 300 राष्ट्र का एक राष्ट्र बन गया है।
इस देश के बहुत सारे नाम यहाँ हो सकते थे, लेकिन यह सभी के सभी एक ही नाम से जाने जाते है। यहाँ के आदिवासियों का ज्ञान, खाने-पीने, रहने, बोलने का तरीका सब अलग-अलग है, लेकिन फिर भी प्रकृति में एक हैं। यह प्राकृतिक व्यवहार और प्रकृति के साथ आस्था, श्रद्धा, भक्तिभाव के कारण एक बने हैं। यह सब प्राकृतिक स्थायित्व (सस्टेनेबिलिटी) के कारणों को बहुत अच्छे से जानते हैं। इनकी सभी की अपनी-अपनी सांस्कृतिक, सामाजिक विविधताएं भी हैं। लेकिन उन विविधताओं में एकता रियो डी जनेरियो के दूसरे पृथ्वी शिखर सम्मेलन में जन्में शब्द “सस्टेनेबिलिटी“ में समाहित हो जाता हैं। इसलिए यह पूरी दुनिया में सस्टेनेबिलिटी वाला पहला देश है। इस शब्द ने पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनायी है। जैसे यहाँ एक टोकोपाई पेड़ की जड़ होती है, जिसमें जहर होता है लेकिन यहाँ के आदिवासी इस जड़ का मूल ज्ञान से जहर खत्म करके, खाते है। अब यह ज्ञान आधुनिक विकास वाले लोगों को भी सिखाना शुरू किया है। जिसके कारण इस पौधे की प्राकृतिक स्थायित्व खत्म हो रही है। आज सभी व्यवहार में उस जड़ को खाने में उपयोग करने लगे हैं। इसका सर्टिफिकेशन इन आदिवासियों के मूल ज्ञान से ही इन सबको मिला है। सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया से भी पौधे की सस्टेनेबिलिटी खत्म हो रही है। औद्योगिक घराने कहते हैं कि हम इसका बाजारू उत्पादन औद्योगिक श्रेणी में लाकर प्रबल बनायेंगे। तब इस पौधे का मूल गुण धर्म बदल जायेगा। आधुनिक विकास इसी तरह, आरंभ में अच्छी बातें व नारे कहकर पूरी प्रकृति के मूल धर्म को बदलने पर तुला है।
साओ पाउलो में पिछले तीन सप्ताह में बहुत बाढ़-सुखाड़ और गर्म हवाओं का बढ़ना दिख रहा है। इन गर्म हवाओं के प्रभाव से विनाश का दर्शन शहर और इस देश में भी जगह-जगह होता है।
ब्राज़ील देश 6 प्रकार के जंगलों से बना देश है। सबसे बड़ा अमेज़न जंगल, दूसरा माता अटलांटिक जंगल, सिहादी जंगल, पम्मा जंगल , पंतनाओ जंगल और काजिंगा जंगल हैं। यह जंगल ब्राजील के चारों तरफ फैले हुए हैं। ब्राज़ील जल-जंगल की दृष्टि से बहुत समृद्ध राष्ट्र है। लेकिन यहाँ आधुनिक विकास ने 2014 से जिस तरह से अमेज़न जंगल का विनाश किया है, उससे अमेज़न नदी की बहुत बुरी हालत हो गई है। नदी में मिट्टी का जमाव बहुत हो रहा है, प्रदूषित हो रही है। जंगल कटने से जंगली जानवरों पर बहुत बुरा असर हुआ है।
अमेज़न जंगल यहाँ की मिट्टी में स्पंज की तरह काम करके, इस पानी को रोकने, सहेजने का प्राकृतिक काम करता है। अब जंगल काटने से यहाँ के मूल आदिवासियों के सेहत पर बहुत बुरा असर होने लगा है। मूल आदिवासियों का जीवन मछलियों और जंगल के उत्पादों पर चलता था, वह भी बहुत संकट में आ गया है। अब यहाँ गैर कानूनी तरीके से औषधि, मेडिसिन और खनन हो रहा है। मूल आदिवासियों को पैसा देकर इन सब बीमारियों का शिकार बना दिया। इससे अब उनका जीवन बहुत कठिन हुआ और फिर उनके जीवन को नष्ट करने के लिए यहाँ एक नया कानून आ गया था। लेकिन अब इस नई सरकार ने उस प्रकृति, आदिवासी मानवता के लिए खतरनाक कानून को बदल के आदिवासियों के हित में कर दिया है।
अमेज़न जंगल को 2014 के बाद से बहुत तेजी से बिगड़ गया। उसको ठीक करने में उसे दो गुना ज्यादा समय लगेगा। विनाश तो जल्दी होता है लेकिन उसका पुनर्जनन करने में बहुत समय लगता है।
जंगल का मूल ज्ञान आदिवासियों के पास है और आज के विकास में आदिवासियों से दूर उसके विपरीत जा रहा है। हम अतिक्रमण, प्रदूषण और शोषण जैसे प्रकृति के विपरीत कामों में फंस रहे हैं । यहाँ पर विकास के नाम पर बहुत डैम बने हैं। ड्रग की सप्लाई भी बहुत अंदर तक चली गई है। इन सबको रोकने में और इन सबको ठीक करने में जो समय लग रहा है, उसमे थोड़ा ज्यादा हिम्मत और ज्यादा तेजी से काम करने की प्रेरणा देता है। इसलिए उस काम को ज्यादा हिम्मत और ज्यादा तेजी के साथ करने के लिए समर्पित हैं।
हम चाहते हैं कि अमेज़न नदी को नदी बनाए रखने के लिए, जल, जंगल, जमीन तीनों को संरक्षण करने की जरूरत है । ब्राज़ीलवासियों का कहना है कि दोनों को बचाने के लिए वे तैयार हैं।
एक जमाना था कि जब यह कहा गया नील नदी अमेज़न नदी से ज्यादा बड़ी है। लेकिन बाद में सच्चाई स्पष्ट हुई कि नील से भी बड़ी नदी अमेज़न नदी है। इसके किनारे पर होने वाली खेती भी विकास के नाम पर बिगाड़ कर रही है। लेकिन पर्यावरण मंत्री मरीना सिल्वा प्राकृतिक पुनर्जनन की प्रक्रिया ठीक करने के काम में लगी हुई है। उन्होंने इस बात की घोषणा की है कि जल, जंगल और जमीन बचाने के लिए पूरी सरकार जोरों से लगेगी।
अमेज़न जंगल से समुद्र को 50 प्रतिशत मीठा पानी मिलता था, जो जंगल कटने से कम हुआ है। इसलिए अब अपने जंगल को पुनर्जीवित करना है। यह एक बड़ा काम है लेकिन समाज और सरकार दोनों इस काम में लगेंगे।
बड़ी कंपनियां कोका-कोला, पेप्सी, भिवंडी, नेस्ले आदि सब भू-जल के भंडारों को शोषित कर रही है। इन्होंने 2018 के विश्व जल मंच सम्मेलन में भूजल भंडारों का मलिकाना प्राप्त कर लिया था। उस समय ब्राज़ील के पानी का पहली बार निजी कंपनियों और सरकारें के बीच जल के निजीकरण के लिए खतरनाक समझौते हुए थे। अब वर्तमान सरकार ने रद्द करने का प्रयास शुरू किया है। लेकिन पुरानी सरकार के संसदो ने उसका घोर विरोध किया है। यह कंपनियां जलवायु परिवर्तन में बिगाड़ कर रही हैं।
इस वातावरण को सुधारने के लिए वर्तमान सरकार और समाज अब जागरूक हो रहा है। ब्राजील के लोगों को जागरूक करके यहाँ के स्कूलों, विश्वविद्यालय, शिक्षण संस्थानों के साथ बैठकर, यह काम ज्यादा तेजी से करेंगे। ऐसा लगता है कि ब्राज़ील के लोग अपने साझे भविष्य को समझते हैं।
इस यात्रा के दौरान ब्राजील बहुत जगहों पर गया और बहुत सारे लोगों से मिला। सभी लोगों के मन में इस वक्त जलवायु परिवर्तन के कारण छटपटाहट है। यहाँ लोग बहुत खुले मन के लोग हैं और यहाँ की स्त्रियां बहुत समझदार हैं । यहाँ प्रदूषण, अतिक्रमण, शोषण करने वाली बड़ी कंपनियां के खिलाफ बराबर आंदोलन करते हैं। यहाँ के बेघर व बेजमीन लोगों का भी अपना एक बड़ा मजबूत संगठन है। इनकी भी पर्यावरण को बिगाड़ने वाली कंपनियां के खिलाफ लड़ने की काफी तैयारी है। यह पानी का निजीकरण नहीं चाहते। पानी के निजीकरण के स्थान पर समुदायीकरण करना चाहते है। पेरिस में जैसा सामुदायिक विकेंद्रित जल प्रबंधन का नया प्रयोग शुरू हुआ है, वैसा विकेंद्रित जल प्रबंधन करने में भी गहरी रूचि है।
मोटे तौर पर यह दिखता है कि यह देश सस्टेनेबिलिटी प्राकृतिक पुनर्जनन के लिए प्रेरणादायक देश है। यहाँ के लोग प्रदूषण के खिलाफ भी काफी हिम्मत के साथ लड़ रहे हैं। यहाँ की पर्यावरण मंत्री की बातें सुनकर यह लगाता है कि, यह देश न्यूजीलैंड की तर्ज पर अपने नदी, पानी, जंगली, आदिवासियों के अधिकारों के लिए बहुत सजग है। पिछली सरकार आदिवासियों के विरुद्ध कानून लेकर आई थी, उस कानून को 22 सितंबर 2023 को उच्चतम् न्यायालय ने रद्द किया, जिससे पर्यावरण मंत्री बहुत प्रसन्न हैं। जिस दिन यह कानून रद्द हुआ था, उसी दिन सुखाड़-बाढ़ विश्व जनआयोग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेकर स्वयं प्रसन्नता प्रकट की थी। उनके मन में है कि, यहाँ का जंगल और जल दोनों संरक्षित-सुरक्षित हो। जैसा अधिकार न्यजीलैंड देश ने अपनी नदी को दिया है, वैसा ही यहां की नदियों को दर्जा मिले। इस काम के यहां की सरकार में प्रति गहरी प्रतिबद्धता और समझ दिखाई देती है। इस काम को करने में समय लग रहा है ,लेकिन ऐसा लगता है कि, वह सफल होगी।
यहाँ के जलपूर्ति करने वाले पाइप बहुत पुराने है, इसलिए 40 प्रतिशत पानी लीकेज हो जाता है। पानी में क्लोरीन की मात्रा ज्यादा है। गरीब लोग बोतल खरीदकर नहीं पी सकते, इसलिए यह यही पाइप वाला पानी पीते हैं। ब्राज़ील में पीने वाला पानी बहुत महंगा है, इसकी स्थिति बहुत भयानक है। जबकि यहाँ का समाज प्रकृति के प्रति जागरूक है। यहाँ भारत जैसा शाकाहारी खाना भी आसानी से मिल जाता है। यह देश अभी जैविक खेती की तरफ बढ़ रहा है और लोग जागरूक हो रहे हैं।