-डॉ राजेंद्र सिंह*
भारत सरकार आजादी का अमृत महोत्सव को मना रही है। इस महोत्सव में हम दो तरह के अमृत को पहचानते और जानते हैं। एक है भारत की आजादी – आजादी दिलाने वाले हमारे नायक भारत के लोग और दूसरा अमृत भारत के लोगों के द्वारा तैयार हुआ भारत का संविधान। यह भारत के दो बड़े अमृत हैं।
हमें अब जो अमृत चाहिए वह हमारी धरती के पेट व धरती के ऊपर बहने वाला जल, अमृत के समान बनना चाहिए। भारत के पास अपने जल को अमृत की तरह रखने के लिए बहुत पुरानी ज्ञान परंपरा रही है। कुंभ की परंपरा, लोगों का व्यवहार और लोगों का संस्कार, आस्था और जल को लोग भगवान की तरह देखते और मानते हैं। लेकिन इसके ऊपर प्रभावित होने वाली आधुनिक शिक्षा और आधुनिक विकास ने नदियों को प्रदूषित नाला बना दिया है। जो हमारे लिए अमृत नहीं है। तो हमें अपने अमृत महोत्सव पर, अपनी नदियों को अमृतमय बनाना होगा। दुनिया में यह संदेश देना होगा कि हम अमृत बनाना जानते हैं।
अमृत बनाने का ये संदेश तब पूर्ण होगा, जब हम अपनी धरती पर बहने वाली नदियों को पुनर्जीवित करेंगे, और इस पुनर्जीवन के ज्ञान को दुनिया में जहां-जहां पानी का संकट है, उसके कारण तीसरा विश्व युद्ध हो सकता है, वहां बाँट सकेंगे। इस युद्ध से बचने का काम दुनिया में जल का ठीक से प्रबंधन करके, बाढ-सुखाड़ के प्रलय से मुक्त करने का काम करना चाहिए, तभी सबसे बड़ा अमृत महोत्सव होगा। इससे दुनिया जान सकेगी कि भारत ने अपने अमृत काल में नदियों को शुद्ध सदानीरा बनाने का बड़ा काम किया है। अपनी धरती व प्रकृति को अपने मूल ज्ञान तंत्र से ठीक कर लिया है।
यह ही सुखाड-बाढ़ विश्व जन आयोग का भी लक्ष्य है कि विज्ञान, समुदाय, प्रकृति सब काम मिलकर समग्र रूप से अपने आप को ठीक करने में जुट जाएं।
30 अगस्त 2023 को स्टॉकहोम, स्वीडन में सुखाड़-बाढ़ विश्व जन आयोग का एक वर्ष पूरा हुआ। इस अवसर पर वार्षिक स्थापना दिवस कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस अवसर पर साल भर के कामों की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए आयोग के महामंत्री डॉ आशुतोष तिवारी ने कहा कि पिछले एक साल में 544 कार्यक्रम हुए हैं। पूरे साल आयोग की गतिविधियां बहुत तेजी से आगे बढ़ी है। इन 544 कार्यक्रमों में लगभग तीन लाख लोगों के साथ सीधा संवाद और उनकी कुशलता- दक्षता बढ़ाने का काम हुआ। इस दौरान राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, चिंतन शिविर, कुशलता-दक्षता निर्माण शिविर आदि कार्यक्रमों को आयोजित किया गया। अगले वर्ष आयोग पांच अंतरराष्ट्रीय जल संस्थान, प्रत्येक महाद्वीप में एक संस्थान का निर्माण करेगा। अभी जोधपुर में एक अंतरराष्ट्रीय जल संस्थान का काम आरंभ हो गया है। इसी तरह से चीन, अमेरिका, ब्राजील और यूरोप में शुरू होंगे। अगले साल भी हम बहुत समझदारी और गहराई से काम करने वाले हैं ।
आयोग के काम की रिपोर्ट को जानकर बहुत आनंदित हूँ। आयोग के पिछले साल में रात – दिन एक कर कार्यक्रम आयोजित किए हैं । इससे सुखाड़ – बाढ़ आयोग के अनुकूल वातावरण निर्माण हुआ है। आयोग के आयुक्त, कमिश्नर भी काम को स्पष्टता के साथ समझने लगे हैं।यह हमारे लिए गौरव और सम्मान का दिन है। आज हमने जहां से आयोग की शुरुआत की थी, उसी स्थान पर आकर पूरे वर्ष के काम की जानकारी ली और दी तथा इस काम की खुशियां मनाए। यह साल आयोग के काम को खड़ा करने के लिए, आयुक्तों का चुनाव करना, सलाहकार समिति बनाना और धरती पर प्रत्यक्ष काम करने वालों को पूरी दुनिया में ढूंढकर, उन्हें इस आयोग के साथ जोड़ने का वातावरण निर्माण, संगठन खड़ा करने, काम के प्रचार-प्रसार और काम की दिशा व दशा तय करने का साल था।
आयोग के गठन के बाद आयोग के लोगों को शिक्षक-प्रशिक्षण देकर, उनके कामों की जिम्मेदारी दी है। पूरी दुनिया में बाढ़-सुखाड़ के काम का प्रचार-प्रसार हुआ है। पूरी दुनिया ने इस काम को जाना और समझा है।
हमने एक साल में जो कदम भरे हैं, वह हमें विश्वास दिलाते हैं, कि हम ठीक दिशा में जा रहे हैं। यह आयोग स्वीडन सरकार द्वारा पंजीकृत हुई है और और यूरोपीय यूनियन से इसे मान्यता प्राप्त हुआ है। संयुक्त राष्ट्र संघ में भी इसको मान्यता मिली। संयुक्त राष्ट्र संघ ने सुखाड़ – बाढ़ विश्व जन आयोग के संकल्पों को अपने दस्तावेज में शामिल किया है। यह काम बहुत ही उत्साह जनक है।
हमारे इस आयोग का काम है कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अभियांत्रिकी को प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाकर, वैज्ञानिक और पर्यावरणविद मिलकर काम कर सके ऐसा वातावरण निर्माण करना है।
*जल पुरुष के नाम से विश्व विख्यात जल संरक्षक एवं सुखाड़-बाढ़ विश्व जन आयोग के चेयरमैन।