भारतीय हिंदू समाज में जितने पर्व और उत्सव मनाए जाते हैं, उनमें नवरात्रि का विशिष्ट स्थान है। यह शक्ति की उपासना का पर्व है। शक्ति ही विश्व का सृजन करती है, शक्ति ही उसका संचालन करती है, शक्ति ही उसका संहार करती है। इस प्रकार शक्ति ही सब कुछ है। शक्ति ब्रह्मा की सक्रिय अवस्था है। ब्रह्मा की क्रिया का नाम ही शक्ति है। जिस प्रकार उष्णता अग्नि से सर्वथा अभिन्न है उसी प्रकार शक्ति से ब्रह्मा अभिन्न है।
नवरात्रि साधना का मुख्य उद्देश्य हमारे अंदर की पशुता को बिंदुरूप कर विराट देवत्व की प्रति स्थापना है। यह आध्यात्मिक चेतना और साधना का पर्व है। भारतीय गृहस्थ जीवन शक्तिपूजन, व्यक्तिव संवर्धन एवं अध्यात्मिक चेतना जागृत करने का एक विराट संकल्प है।
मां दुर्गा की पूजन से हमारे समाज में स्त्रियों को माता, देवी एवं पूज्य का स्थान प्राप्त होता है।असम और देश के कई अन्य भागों में तो इस अवसर पर भारत माता का भी पूजन किया जाता है।
भारत में नवरात्रि अलग-अलग राज्यों में विभिन्न तरीकों और विधियों के साथ मनाई जाती है।नौ दिन चलने वाले इस पर्व को पूरे भारत में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। जगह-जगह देवी दुर्गा जी की स्थापना कर जगराते किए जाते हैं। यह हिंदू धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह त्यौहार असत्य पर सत्य की जीत को दर्शाता है।
अश्विन नवरात्रि में देश के कोने कोने में लोग परम्परागत रूप से देवी की पूजा करते हैं , हिमालय तो वो स्थान है जहां देवी की उत्पत्ति हुई है, इसलिए देवी को शैलपुत्री आदि नाम से जाना जाता है। इसी हिमालय का हृदयस्थल ज्योतिर्मठ जो कि उत्तराखण्ड के चमोली में स्थित है जिसे जोशीमठ के नाम से जाना जाता है। यहां स्थित शंकराचार्य पीठ, तोटकाचार्य गुफा ज्योतिर्मठ में नवरात्र व्रत के अन्तराल में पूर्व की भांति आज से त्रिदिवसीय’ सहस्र सुवासिनी’ का आयोजन किया जाता है जिसमें आज पहले दिन क्षेत्र की माताओं की सविधि षोडशोपचार से पूजा की गई।
इस अवसर पर ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानंदः सरस्वती ‘१००८’ का सन्देश पढ़ते हुए ज्योतिर्मठ के प्रभारी मुकुन्दानन्द ब्रम्हचारी ने शक्ति उपासना का माहात्म्य सभी को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा शिव यदि शक्ति से शून्य हो जाएं तो शव के समान हो जाएंगे । भारत देश की ये परम्परा है कि हम स्त्रियों को माता के रूप में पूजते हैं , और इस तरह का आयोजन इस शाश्वत भावना को जनसामान्य तक पहुँचाता है। ज्योतिर्मठ के व्यवस्थापक विष्णुप्रियानन्द ब्रह्मचारी ने इस अवसर पर उपस्थित माताओं की प्रथम पूजा कर सबको श्रृंगार आदि उपहार समर्पित किए ।
दिल्ली में नवरात्रि के दौरान रामलीला का हर गली मोहल्ले में आयोजन किया जाता है और वहीं गुजरात में नौ रातों तक पुरुष, महिला, बच्चे और बुज़ुर्ग पारम्परिक पोशाकों में गरबा और डांडियां नृत्य करते हैं नवरात्रि के अंत में दशहरा पर्व मनाया जाता है और रावण दहन होता है। बिहार की राजधानी पटना में इस दौरान होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम में तो देश के कई नामी गिरामी कलाकारों को इंतज़ार रहता था। बंगाल में माँ दुर्गा के पंडालों की सजावट का कोई मुकाबला ही नहीं है। कोलकाता की दुर्गा पूजा को तो यूनेस्को ने 2021 में मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत घोषित किया है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि साल में दो बार मनाया जाता है। हिन्दी महीनों के मुताबिक पहला नवरात्रि चैत्र महीने में मनाया जाता है और दूसरी बार अश्विन महीने में मनाया जाता है। नवरात्रि यानी नौ दिनों के पूजा के पश्चात फिर दसवें दिन दशहरा धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्रि में नौ दिनों तक निरंतर देवी माँ के अलग-अलग स्वरूपों की लोग भक्ति और निष्ठा के साथ पूजा करते हैं।