हमारा देश स्वच्छ भारत मिशन की दसवीं वर्षगांठ मना रहा है। 2 अक्टूबर 2014 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन की घोषणा की, तब इसका मुख्य लक्ष्य देश को खुले में शौच मुक्त बनाना और स्वच्छता की संस्कृति को जन-जन तक पहुँचाना था। मिशन के पहले चरण का उद्देश्य शौचालय निर्माण और स्वच्छता के प्रति जागरूकता लाने का काम था। इसके बाद मिशन का दूसरा चरण कचरा प्रबंधन और सस्टेनेबल स्वच्छता पर केंद्रित है। इस मिशन का उद्देश्य एक ऐसा रोडमैप तैयार करना था जो पर्यावरणीय चुनौतियों का हल निकाले और कचरा प्रबंधन को न केवल सरकारी जिम्मेदारी बल्कि हर नागरिक का दायित्व बनाए।
पर आज भी भारत के शहर और गांव कचरे के ढेर से जूझ रहे हैं।कचरा प्रबंधन की समस्या शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के साथ और भी गंभीर होती जा रही है। तेजी से बढ़ते शहरों में जनसंख्या और कचरे का उत्पादन दोनों ही बढ़े हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर दिन लगभग 1.5 लाख टन ठोस कचरा उत्पन्न होता है, जिसमें से केवल 70-75% ही एकत्रित हो पाता है और लगभग 20-25% ही पुनः चक्रित (रीसाइकल) किया जाता है। शेष कचरा लैंडफिल्स में चला जाता है या अव्यवस्थित ढंग से नष्ट कर दिया जाता है, जिससे पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। शहरी क्षेत्रों में बढ़ते प्लास्टिक, इलेक्ट्रॉनिक और बायोमेडिकल कचरे की मात्रा ने प्रबंधन को कठिन बना दिया है। सिंगल यूज़ प्लास्टिक का उपयोग और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बढ़ती खपत के कारण कचरे का स्वरूप भी जटिल हो गया है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस कचरे के साथ-साथ जैविक कचरे का भी प्रबंधन चुनौतीपूर्ण है। उचित कचरा निस्तारण की कमी के कारण खेतों में और जल स्रोतों में कचरा फेंका जा रहा है, जिससे भूमि और जल प्रदूषण बढ़ रहा है।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत कचरा प्रबंधन को कारगर बनाने के लिए एक व्यापक ब्लू प्रिंट तैयार किया गया है। इस ब्लू प्रिंट के तीन मुख्य स्तंभ हैं – जागरूकता, पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) और प्रौद्योगिकी का उपयोग।
कचरा प्रबंधन की सफलता के लिए जागरूकता सबसे महत्वपूर्ण है। सोर्स सेग्रीगेशन (कचरे का स्रोत पर ही वर्गीकरण) : यह सुनिश्चित करने पर जोर है कि लोग कचरे को घरों, कार्यालयों और संस्थानों में ही अलग-अलग करें – जैविक कचरा (गीला कचरा) और अजैविक कचरा (सूखा कचरा)। हरे और नीले रंग के डस्टबिन के माध्यम से कचरे के वर्गीकरण की प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया जा रहा है। स्कूली बच्चों, महिलाओं और सामुदायिक समूहों के माध्यम से “स्वच्छता ही सेवा” जैसे अभियानों को बढ़ावा दिया जा रहा है। समाज के प्रभावशाली लोगों और सेलिब्रिटीज़ के माध्यम से जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है।
स्वच्छ भारत मिशन का एक मुख्य उद्देश्य “कचरे को संसाधन” में बदलना है। शहरों और कस्बों में ठोस कचरा प्रबंधन संयंत्रों की स्थापना की जा रही है, जहाँ कचरे को रीसाइकिल किया जा सके। गीले कचरे को खाद बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। “कम्पोस्टिंग एट होम” जैसे अभियानों के माध्यम से लोगों को अपने घरों में ही कचरे से जैविक खाद तैयार करने की शिक्षा दी जा रही है। इलेक्ट्रॉनिक कचरे (ई-वेस्ट) के प्रबंधन के लिए भी विशेष योजनाएँ बनाई गई हैं। निर्माता कंपनियों को “विस्तारित निर्माता जिम्मेदारी” के तहत जिम्मेदार बनाया जा रहा है।
कचरा प्रबंधन में आधुनिक तकनीक का उपयोग गेम-चेंजर साबित हो रहा है।कई शहरों में स्मार्ट डस्टबिन लगाए जा रहे हैं, जो भरे जाने पर स्वचालित रूप से सफाई कर्मियों को सूचित करते हैं। इसके अलावा, मोबाइल ऐप्स के माध्यम से शिकायत दर्ज करने और कचरा संग्रहण की निगरानी को आसान बनाया गया है। ठोस कचरे से ऊर्जा उत्पन्न करने वाले संयंत्रों की स्थापना की जा रही है। ये प्लांट कचरे का निस्तारण करने के साथ-साथ ऊर्जा उत्पादन में भी योगदान देते हैं। पुराने कचरा ढेरों (लैंडफिल्स) को वैज्ञानिक तरीके से नष्ट किया जा रहा है।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत हालांकि कई सफलताएँ मिली हैं। कई शहर खुले में शौच से मुक्त घोषित किए गए हैं। कचरा वर्गीकरण का प्रतिशत बढ़ा है। स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के तहत कई शहरों में कचरा प्रबंधन तकनीकों का विकास हुआ है। हालांकि, अभी भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं । जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण के कारण कचरे का बढ़ता उत्पादन। ग्रामीण इलाकों में अव्यवस्थित कचरा निस्तारण। सिंगल यूज प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग।
सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। स्वच्छ भारत मिशन की संकल्पना भारत की जनता के सामने न केवल एक स्वच्छ और सुंदर भारत का सपना प्रस्तुत करती है, बल्कि यह हमें कचरा प्रबंधन जैसे बुनियादी मुद्दों की ओर भी सोचने पर मजबूर करती है। कचरा प्रबंधन को लेकर स्वच्छ भारत मिशन के ब्लू प्रिंट को सफल बनाने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। सरकार, स्थानीय निकायों और आम जनता को एक साथ आना होगा। कचरा प्रबंधन को लेकर सख्त नियम लागू करने की आवश्यकता है। निजी कंपनियों और स्टार्टअप्स को इस क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। स्वच्छ भारत 2.0 मिशन के दूसरे चरण में ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में कचरा प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
इसका निष्कर्ष है स्वच्छ भारत मिशन केवल एक अभियान न होकर बल्कि यह एक जनांदोलन बने। यह न केवल स्वच्छता को बढ़ावा देता है, बल्कि स्वास्थ्य, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। कचरा प्रबंधन का यह ब्लू प्रिंट यदि सही तरीके से लागू किया जाए, तो भारत एक स्वच्छ और स्वस्थ देश बनने की ओर अग्रसर होगा। आइए, हम सभी इस मिशन में भागीदार बनें और कचरा मुक्त भारत के सपने को साकार करें। स्वच्छता की यह यात्रा तभी पूरी होगी जब हर नागरिक इस जिम्मेदारी को समझेगा और स्वच्छ भारत का सिपाही बनेगा।