करौली (राजस्थान): 2024 संयुक्त राष्ट्र के जल शांति का वर्ष है, जब जल की मदद से हथियारों से लड़ने वाले हिंसक समुदायों के लोग को अहिंसक कृषक में बदलने की आवश्यकता है।इसके लिए आज दीपावली के शुभ अवसर पर तीर्थ बचाओ अभियान (डिफेंड द सेक्रेड) के 12 देशों और 6 महाद्वीपों के कुल 25 सदस्यों ने महावीर जी के प्राचीन मंदिर, करौली राजस्थान में निम्नलिखित प्रतिज्ञा की :
1. जल ही जीवन और प्रेम है, हम इसके संरक्षण का संकल्प लेते हैं।
2. अहिंसा प्रेम की शक्ति है, यही जल की शक्ति है।
3. जल एक अनुभव है, हमारा लक्ष्य इस दिव्य माध्यम के भौतिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक स्वरूप को उजागर करना है।
5. जब पानी होगा स्वच्छ और मुक्त तब ही नई दुनिया का जन्म होगा।
6. नदियों, झीलों और सभी जल निकायों के अविच्छेद्य अधिकार हैं, हमें उनके लिए कानूनी और सामाजिक अधिकारों की वकालत करनी होगी।
7. जल ईश्वर द्वारा प्रदत्त संसाधन है जिसका का निजीकरण करना प्रकृति नियम के खिलाफ है।
8. जल शांति का अनुभव करने, ईश्वर के अवतार प्रकृति पर अपने अहंकार और मानवीय अधिकार को समर्पित करने का आध्यात्मिक साधन है।
9. जल हमारे सभी दुःख को दूर कर हल्का करने और प्रेम में मुक्त होने वाली पहली औषधि है।
10. जल हमारे सपनों और आशाओं के इंद्रधनुष को बनाए रखने के लिए सबसे आवश्यक पोषण का वाहक है।
इससे पहले कल 19 देशों से आए पर्यावरण संरक्षण पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं ने राजस्थान के तरुण भारत संघ द्वारा किये गये करौली-धौलपुर के जल संरक्षण कार्यों को देखा और सैरनी नदी पुनर्जीवन को समझा। इन लोगों ने क्षेत्र के लोगों से बातचीत की और गाँवों की जल संरचनाओं को भ्रमण करते हुए जाना कि, जब जल नहीं था, तब लोग कैसा जीवन जीते थे? अब जो बदलाव आया, वो कैसे संभव हुआ? भावी पीढ़ी का जीवन कैसा बनायेंगे? उक्त सभी सवालों के जवाब अलग-अलग व्यक्तियों ने अलग-अलग वक्तव्य दिये। लेकिन अन्ततः सभी का जबाव एक जैसा ही था। सभी ने कहा ‘‘बिन पानी हम बेघर, लाचार-बेकार होकर बीमारों जैसा जीवन जीते थे। डरते थे और डराकर लूटपाट करते थे। ना ही ठीक से खाना होता था और ना ही सोना होता था। पति-पत्नी का जोड़ा सदैव नहीं बनता था। केवल बंदूकों से परिवार बनता था।’’
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पानी आ जाने से अब तो घर में माँ-बाप, पति-पत्नी, भाई-बहिन सभी रिश्तों के साथ जीवन है। सुख-शांति स्नेह-समृद्धि चैन की नींद है। गाय, भैंस, बकरी सभी सुख चैन से भरपेट खाती-पीती और घी-दूध देती हैं। लच्छू, भुङ्खेडा ने कहा कि, मेरे ऊपर 42 केस थे। अब सब खत्म हो गये है। मै भी अपने गाँव में अच्छी कमाई करता हूँ। बहुत सुख चैन से रहता हूँ। पहले दिन-रात डरा ही रहता था।
इसके बाद दोपहर को ‘‘जियो और जीने दो’’ सम्मेलन का शुभारंभ महावीर जी जैन धर्म सभा प्रवचन हाल, करौली में आरंभ हुआ। इस सम्मेलन में जैन मंदिर महावीर जी की प्रबंधक समिति की तरफ से विकास पाटनी और प्रवीण जैन ने सबका स्वागत किया। उसके बाद जलपुरुष ने सबका स्वागत करते हुए कहा कि, दुनिया की 19 देशों से जो लोग इस सम्मेलन में शामिल हुए हैं, उससे पवित्र तीर्थस्थान जैन मंदिर दुनिया को जिओ और जीने दो का संदेश देगा।
यहां इजराइल के ग्रैबियल मियर ने कहा कि चंबल की सहायक नदी सैरनी-पार्बती के काम को देखकर बहुत ही आश्चर्यचकित हैं कि समुदाय स्वयं भी अपनी बिगड़ी हुई हालत को संगठित होकर सुधार सकता है। यह बिगड़े हुए हालात को सुधारने का यह आदर्श मॉडल है। पेरू से आए मिगल ने कहा कि, मैंने 2015 में टमेरा पुर्तगाल में जलपुरुष का भाषण सुना था, तो मुझे विश्वास नहीं था कि जो यह बोल रहे हैं, उतना बड़ा काम हो सकता है और पानी के काम से कोई हिंसा छोड़कर अहिंसा के रास्ते पर आ सकता है। लेकिन अब दो दिनों में गांव के लोगों से बात करके, साथ रहकर अपनी आंखों से नदी, कुआं, तालाब का पानी देखकर, हमारी आंखों में भी पानी आ गया। पुर्तगाल से आयी आइदा शिवली ने कहा कि यह बड़ा काम है। इस बड़े काम से हमें बेपानी होते पेलिस्तीन ,जॉर्डन जैसे देशों को सीख लेना चाहिए। कोलंबिया से आए एंडोमर और नाबेत ने कहा कि, हम भारत से सामुदायिक विकेंद्रित जल प्रबंधन का काम सीखकर, अपने देश के समुदायों को भी तैयार करके, इस तरह के काम करेंगे।
अमेरिका से आए नोवा विलियम डकोटा कम्युनिटी के नेता हैं। इन्होंने कहा कि हमारे समुदाय अब इस तरह के काम नहीं करते हैं, जो भारत के लोग अभी भी अपने आप इतना बड़ा काम कर लेते हैं। अमेरिका की सूटीनामेरी ने कहा, “मैं कोलंबिया, कैलिफोर्निया में जाकर ऐसा काम करने के लिए लोगों को बताऊंगी। इसलिए एक फिल्म भी तैयार कर रही हूँ, जो अपने इलाके के लोगों को दिखाकर, इस तरह के काम में लगाऊंगी”।
जर्मनी से आयरी बारबरा ने कहा कि जो काम तरुण भारत संघ कर रहा है, वो पूरी दुनिया में हो सकता है। यह काम बहुत सरल और सादगी से होने वाला काम है। सलीम दारा बैनिंग अफ्रीकन रिपब्लिक से आए हैं। इन्होंने कहा कि यह काम दुनिया को सीखने लायक है। दुनिया में आज हिंसा बढ़ रही है। यह प्राकृतिक संसाधनों की लूट के कारण जो लोग त्रस्त हुए हैं, वहीं पर इस हिंसा का ज्यादा प्रभाव है। इसलिए उस हिंसा को अहिंसा में बदलने का काम यहां जो तरुण भारत संघ ने किया है, उससे सीखा जा सकता है। पुर्तगाल के मेघुल हेमलेट ने कहा कि इस काम को देखकर हमारी ऊर्जा बढ़ी है और अब वे ज्यादा ऊर्जा के साथ लोगों को ऐसा काम करने के लिए तैयार करेंगे। कोनकोह जशुवा ने कहा कि उन्हें यहां बहुत सीख मिली है। उन्होंने कहा, “जब मैं राजेंद्र सिंह को टमेरा 2015 में सुना था, तब मुझे यकीन नहीं था। पर इन्होंने जितना बोला था, उससे भी ज्यादा बड़ा काम है। यह दुनिया को सीखने के लायक है। इससे हम सब सीखकर अपने देश में अच्छा काम कर सकते हैं,”। सिवानो रिज़्जो ने कहा कि, यह काम सिर्फ मानवता के लिए नहीं, बल्कि यह तो पूरी प्रकृति के कल्याण का काम है। इस काम से पूरी प्रकृति पुष्ट होती है। इसलिए 21वीं शताब्दी में इसी तरह के काम करने से दुनिया स्वस्थ और समृद्ध होगी। पुर्तगाल की नोरा ने कहा कि, राजेंद्र भाई ने 2010 में पहली बार जब मैं पुर्तगाल में लैंड स्केप मैनेजमेंट का काम कर रही थी, तब इन बातों को मुझे बताया था। आज जब हमने पुनर्जीवित की हुए नदियों में स्नान किया तब हमारी आत्मा, मन, मस्तिष्क, शरीर इस काम से पोषित हो गया।
पत्रकार इंद्र शेखर सिंह ने कहा कि वे भी आश्चर्य चकित हैं कि इतना साधारण काम लोगों का दिल-दिमाग कैसे बदल सकता है। हथियारों से लड़ने वाले लोग प्रकृति और प्रेम के रास्ते पर कैसे आसानी से चल देते हैं। यह देखना जानना अद्भुत उदाहरण है। राजस्थान में तो हमेशा आता रहा हूं कि, लेकिन जो चंबल में अहिंसक तंत्र विकसित हुआ है। यह उदाहरण मेरे जीवन में नया अध्याय है।
गाँधी के आदर्शों पर चलने वाले रमेश शर्मा ने कहा कि वे तो राजेंद्र सिंह और तरुण भारत संघ के साथ शुरू से ही जुड़े हैं । “मैं भली भांति जनता हूं कि, राजेंद्र सिंह जिस काम को ठान लेते है, तो उसे पूरा करते है। इन्होंने जहां भी पानी का काम किया है, वहां यह क्रांति आई है,” उन्होंने कहा।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो