राज्यों से
– अनिल शर्मा*
क्या उत्तर प्रदेश की राजनीति जातीय समीकरण से ऊपर उठ पायेगी?
लखनऊ: उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के प्रदेश में जल शक्ति मंत्री बनते ही उत्तर प्रदेश में भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए नामों को लेकर द्वंद मच गया है| केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की पसंद जहां केंद्रीय राज्य मंत्री बीएल वर्मा लोध राजपूत हैं और ओबीसी से हैं, तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहली पसंद उनके मंत्रिमंडल में समाज कल्याण मंत्री स्वतंत्र प्रभार असीम अरुण हैं जो दलित समाज कि जाटव बिरादरी से आते हैं| पूर्व मुख्यमंत्री तथा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती जाटव बिरादरी की है और भाजपा और संघ नेतृत्व 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले जाटव बिरादरी को भाजपा में बड़ी संख्या में लाना चाहता है|
उधर भाजपा के दिल्ली के पुष्ट सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय राज्यमंत्री बीएल वर्मा राजपूत बिरादरी के हैं और राजपूत बिरादरी को भाजपा से गहराई से जोड़ने का काम पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष स्वर्गीय कल्याण सिंह ने किया था और उसमें कुछ बढ़ावा पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने किया था| उमा भारती क्योंकि मोदी मंत्रिमंडल से इस समय बाहर हैं और पार्टी में अपनी नई भूमिका तलाश रही हैं इसके चलते भाजपा और संघ नेतृत्व यह चाहता है कि यदि बीएल वर्मा राजपूत को उत्तर प्रदेश भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया तो यह पूर्व मुख्यमंत्री और राजपूत समाज के सिरमौर स्वर्गीय कल्याण सिंह को एक अनुपम श्रद्धांजलि होगी |
वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके सलाहकारों का मानना है जिस तरह से वर्ष 2022 के पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को दलित समाज का आशा से कहीं ज्यादा वोट मिला है इसलिए पार्टी का भी है कर्तव्य है कि वह इस समाज को भाजपा में सम्मान के साथ जोड़े रहे| वैसे पिछले कई महीनों से दलित समाज के केंद्रीय राज्य मंत्री भानु प्रताप वर्मा का भी नाम तेजी से प्रदेश अध्यक्ष के लिए चल रहा था| वह दलित समाज में कोरी बिरादरी से आते हैं| वह भी केंद्रीय राज्य मंत्री हैं और जालौन गरौठा भोगनीपुर सुरक्षित संसदीय सीट से 5 बार सांसद चुने जा चुके हैं ,और एक बार जालौन जिले की कोच सुरक्षित सीट से विधायक भी रह चुके हैं|
उधर भाजपा और संघ के शीर्ष नेतृत्व का मानना है भानु प्रताप वर्मा भी बहुत उपयोगी रहेंगे लेकिन दलित समाज में कोरी बिरादरी वर्ष 1952 के लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव से ही उत्तर प्रदेश में भाजपा के साथ रही है| और उसके आगे भी भाजपा से ही जुड़े रहने की पूरी संभावना है| इसलिए दलित समाज के नेता वा केंद्रीय राज्यमंत्री भानु प्रताप वर्मा को यदि इस बार भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष ना भी बनाया गया तो भी उन्हें कोई न कोई महत्वपूर्ण पद दिया ही जाता रहेगा| वहीँ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके सलाहकारों का मानना है यदि असीम अरुण को जो योगी मंत्रिमंडल में समाज कल्याण विभाग के स्वतंत्र प्रभार मंत्री हैं इसके अलावा वे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी भी रहे हैं वे एडीजी के पद से वीआरएस लेकर भाजपा में शामिल हुए थे और समाजवादी पार्टी (सपा) के गढ़ माने जाने वाले कन्नौज से विधानसभा का चुनाव जीत कर आए हैं| दूसरी बात यह है कि वे एसपी से लेकर एडीजी तक विभिन्न जिलों और मंडलों में महत्वपूर्ण पदों में रहे हैं इस नाते उनका उन जनपदों में अपनी जाति बिरादरी के साथ साथ अन्य बिरादरी के लोगों से भी गहरा और व्यापक संपर्क रहा है| मंत्री असीम अरुण के पक्ष में सबसे बड़ी बात यह है कि वह दलित समाज की जाटव बिरादरी के हैं और भाजपा में 1952 से लेकर अभी तक जाटव बिरादरी का कोई कद्दावर नेता भाजपा के पास नही रहा है|
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व संभालने के बाद पिछड़ी बिरादरी का साथ तो एक बड़ी संख्या में मिल रहा है और दलित बिरादरी में कोरी , धानुक धोबी , पासवान और बाल्मीक समाज का वोट भी वर्ष 2014 और वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में तो मिला ही है| इसके अलावा वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में और सबसे ज्यादा वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में दलित समाज जाटव अहिरवार दोहरे सहित दलित समाज की सभी जातियों और उप जातियों का भारी संख्या में वोट मिला है| सवर्ण, पिछड़ा वर्ग और दलित समाज का वोट अधिक मात्रा में मिलने के कारण योगी आदित्यनाथ दूसरी बार शानदार ढंग से विजयश्री हासिल करने के बाद तीन दशक से ज्यादा समय के बाद दूसरी बार लगातार मुख्यमंत्री बने हैं| इसलिए भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व और संघ का शीर्ष नेतृत्व भी उनकी राय को अनसुना करने की स्थिति में नहीं है| बहराल इतना तय है कि भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष शीघ्र बनेगा और उसमें भी दलित या राजपूत मे से कोई एक नेता भाजपा की प्रदेश की कमान को संभालेगा यह अटकलें चल रही हैं हालांकि ब्राह्मण नेता सुब्रत पाठक का नाम भी चर्चा में है।
*वरिष्ठ पत्रकार