– प्रशांत सिन्हा
दिल्ली में वायु प्रदुषण खतरे की निशान से ऊपर है। हर साल की भांति इस साल भी प्रदुषण की यथास्थिति बनी हुई है। दिल्ली के नज़दीक राज्यों में जैसे हरियाणा, पंजाब एवं राजस्थान में पराली जलाए जाने से दिल्ली एनसीआर में प्रदुषण स्तर में बढ़ोतरी हो रही है। लिहाजा दिल्ली एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचनांक 999 पहुंचा हुआ है। उल्लेखनीय है कि 0 और 50 के बीच एयर क्वालिटी इंडेक्स को अच्छा, 51 और 100 के बीच संतोषजनक, 101 और 200 के बीच मध्यम, 201 और 300 के बीच खराब 401 से 500 के बीच बेहद खराब और 500 के ऊपर गंभीर माना जाता है।
पंजाब में 21 सितंबर से 2 नवंबर तक पराली जलाए जाने से पिछ्ले साल की इस अवधि की तुलना में 49 फीसदी अधिक घटनाएं हुई। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार यह सामने जानकारी आई है। पंजाब सुदूर संवेदन केंद्र के आंकड़ों के अनुसार इस धान के मौसम में राज्यों में अब तक 21 सितंबर से 2 नवंबर तक पराली जलाने की 36,755 घटनाएं हुई हैं जबकि 2019 मे इसी अवधि में ऐसी घटनाओं की संख्या 24,726 थी।
विडंबना यह है कि कोई भी राजनीतिक दल इसके प्रति गंभीरता नहीं दिखाती। तभी तो यह समस्या वर्षों से खड़ी है। केवल वे आपस में आरोप प्रत्यारोप लगाते रहते हैं। प्रदुषण खत्म करने के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करते हैं लेकिन परिणाम कुछ नही निकलता। सभी राजनीतिक दलों को यह समझना होगा कि हवा धर्म, जाति, सीमा आदि नही देखती। यह जहरीली हवा सबके लिए खतरनाक है।
वायु प्रदूषण जहर का काम कर रहा है जो धीरे धीरे मनुष्य के शरीर को क्षति पहुंचाता हुआ उम्र को कम करता जा रहा है। गंदी हवा गैसों और कणों का जटिल मिश्रण है। पी एम 2.5 कण जिनमे से कुछ इतने छोटे होते हैं कि वे रक्त प्रवाह मे चले जाते है जो बहुत घातक होते हैं। 2019 मे वायु प्रदूषण घर के अंदर और बाहर, दुनिया भर मे लगभग सात करोड़ मौतों मे यौगदान देने अनुमान है जो वैश्विक मृत्यु दर का लगभग 12 प्रतिशत है।
इसका असर शरीर के विभिन्न प्रणाली को प्रभावित करता है। ये कण प्रदुषण डालता है। सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के लंबे समय तक सम्पर्क में रहने से संज्ञात्मक गिरावट हो सकती है। मस्तिस्क की संरचना मे परिवर्तन से अल्जाइमर रोग का खतरा बढ़ जाता है।
तंत्रिका प्रणाली : प्रदूषण न्यूरो डेवलपमेंटल विकारों और पार्किनसन्स से होने वाली मौतों से जुड़ा हुआ है। कण केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र की यात्रा कर सकते हैं और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सक्रिय कर सकते हैं।
- हृदय प्रणाली : संसर्ग हृदय रोगों से मृत्यु के बढ़ते जोखिम से जुड़ा है जिसमें कोरोनरी धमनी रोग, दिल का दौरा, आघात और रक्त के थक्के शामिल हैं।
- श्वसन प्रणाली : प्रदूषण वायु मार्गों को परेशान कर सकता है और सांसों की तकलीफ, खांसी, अस्थमा और फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकता है। यह क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज में खतरे को बढ़ा सकता है।
- अंतः स्त्रावि तंत्र : कण प्रदूषण एक अंत स्त्रावी अवरोधक है जो मोटापा और मधुमेह जैसे रोग होते हैं। दोनों हृदय रोग के लिए जोखिम है।
- गुर्दे की प्रणाली : लम्बे समय तक सूक्ष्म कणों में वायु प्रदूषण के संपर्क मे रहने से क्रॉनिक किडनी रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। शहरी क्षेत्रों में गुर्दे की बीमारी की दर सबसे अधिक है।
- प्रजनन प्रणाली : प्रदुषण कम, प्रजनन क्षमता और असफल गर्भधारण से जुड़ा हुआ है। प्रसव पूर्व संसर्ग से समय से पहले जन्म, जन्म के समय वजन और सांस की बीमारियां हो सकती हैं।
प्रदूषण के कारण सांस की बीमारियां तेजी से बढ़ रही है। 1919 मेडिकल जर्नल लॉसेंट मे प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक़ तीन दशक में सांस की बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या देश में करीब 4.2 % व 2.9% लोग अस्थमा से पीड़ित हैं। इसका सबसे बड़ा कारण प्रदूषण को माना गया है। प्रदूषण के कारण कम उम्र के लोगों में भी फेफड़े का कैंसर देखा जा रहा है। जो लोग धुम्रपान नही करते वे भी फेफड़े के कैंसर का शिकार हो रहे हैं।
इस प्रदूषण से जान का नुकसान ही नहीं हो रहा है, माल का भी नुकसान हो रहा है। देश भर में वायु प्रदूषण से अर्थव्यवस्था पर भारी बोझ पड़ रहा है। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर और ग्रीन पीस द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार हर साल भारतीय अर्थव्यवस्था को पंद्रह हजार डॉलर (1.05 लाख करोड़ रुपए ) का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ रहा है। यदि सकल घरेलू उत्पाद के रूप मे देखे तो यह नुकसान कुल जीडीपी के 5.4 फ़ीसदी के बराबर है। इसके अलावा इस प्रदुषण से हुए बीमारी के कारण देश में हर साल 49 करोड़ काम के दिनों का नुकसान हो रहा है।
वायु प्रदूषण एवं पर्यावरण सम्बन्धित समास्याओं को समझने , विश्लेषण करने और समाधान के लिए सरकारों और जनता दोनों में जागरूकता की आवश्यकता है अन्यथा भावी पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी।