संस्मरण
– डॉ. राजेंद्र सिंह*
मेसोपोटामिया सभ्यता से सम्बद्ध होने के कारण युफ्रेटस एक ऐतिहासिक महत्व की नदी है
इराक़ मध्य-पूर्व एशिया में स्थित एक जनतांत्रिक देश है। जिसकी मुख्य नदी युफ्रेटस है। मैं जब अक्टूबर 2015 में अंकारा शहर टर्की गया तो वहाँ से यूफ्रेटस नदी की यात्रा शुरू की थी। यह पश्चिम एशिया की सबसे लम्बी नदी है। मेसोपोटामिया सभ्यता से सम्बद्ध होने के कारण, यह एक ऐतिहासिक महत्व की नदी भी है। मैंने, युफ्रेटस नदी के टर्की स्थित स्रोत से यात्रा शुरू की थी। देखा कि टर्की ने युफ्रेटस नदी पर अतातुर्क नाम का 6 बहुत बड़ा बाँध बनाया है। इस बाँध ने युफ्रेटस के पानी को पूरी तरह बाँध रखा था। अतातुर्क बाँध के आगे युफ्रेटस नदी, एक तरह से खत्म ही दिखाई देती है।
गौर करने की बात है कि विस्थापित आबादी, सबसे ज्यादा यूरोप के नगरों में ही पहुँची है। इससे नगरों में बेचैनी बढ़ी है। मैंने जब पता किया कि, विस्थापितों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर भटकने के क्या कारण हैं? तो पता चला कि स्थानीय नागरिकों से तालमेल न बैठ पाना अथवा भूख मिटाने का इन्तजाम न हो पाना तो था ही; रिफ्यूजी का दर्जा मिलने में होने वाली देरी और मुश्किल भी इसका एक अलग प्रमुख कारण था।
यूफ्रेटस के प्रवाह में सीरिया का योगदान 11.3 प्रतिशत और इराक का शून्य है, जबकि पानी की कमी वाले देश होने के कारण सीरिया, यूफ्रेटस के पानी में 22 प्रतिशत और इराक 43 प्रतिशत हिस्सेदारी चाहता है। इराक में पानी की कमी का कारण तो आखिरकार टर्की द्वारा यूफ्रेटस और टिग्रिस पर बनाये बांध ही हैं। किंतु टर्की इस तथ्य की उपेक्षा करता है। वह इराक की माँग को अनुचित बताकर उसे हमेशा अस्वीकार करता रहा है।
सीरिया की तरह इराक में भी जब तक यूफ्रेटस का प्रवाह कायम था, तो रेगिस्तान के फैलाव की गति उतनी नहीं थी। यूफ्रेटस के सूखने के बाद रेत उड़कर खेतों पर बैठनी ही थी, सो बैठी। नतीजा, तेजी से फैलते रेगिस्तान के रूप में सामने आया। सीरिया-इराक का पानी रोकते वक्त, टर्की ने यह नहीं सोचा होगा कि यह आफत पलटकर उसके माथे भी आयेगी। रेगिस्तान के फैलाव ने खुद संयुक्त राष्ट्र संघ को इतना चिंतित किया कि उसने रेगिस्तान रोकने की उच्च स्तरीय मशविरा बैठक को टर्की के अंकारा शहर में ही युएनसीसीडी-12 में ही आयोजित किया।
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दरअसल, टर्की यह समझने में असमर्थ रहा कि जब तक लोगों को अपनी धरती और राष्ट्र से प्रेम रहता है, संकट चाहे जलवायु परिवर्तन का हो, आजीविका का हो अथवा आतंकवाद का हो, वह ज्यादा समय टिक नहीं सकता। कोई दूसरा-तीसरा बाहर से आकर किसी देश में आतंक पैदा नहीं कर सकता। आतंक, सदैव राष्ट्रप्रेम की कमी के कारण ही पैर फैला पाता हैं।
आतंकवाद से दुष्प्रभावित सभी क्षेत्रों में यही हुआ है, ईराक में भी। यूफ्रेटस नदी के तीनों देशोंं में सत्ता ने जिस तरह प्रकृति और इंसान को नियंत्रित करने की कोशिश की, उसका दुष्परिणाम तो आना ही था। वह प्रकृति और मानव के विद्रोह के रूप में सामने आया।
यदि हम यूफ्रेटस में 17.3 अरब क्यूबिक मीटर जल की उपलब्धता के आँकडे़ देखे तो संबंधित तीन देशोंं की माँग की पूर्ति संभव नहीं दिखती। इस माँग-आपूर्ति के असंतुलन से तीनों देशोंं के भीतर तनाव बढ़ना ही था, सो बढ़ा। दूसरी ओर सीरिया विस्थापितों द्वारा वाया टर्की, जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन जाने की प्रक्रिया ने पूरे रास्ते को खटास से भर दिया। टर्की और ईराक के लोगों द्वारा सीरिया के विस्थापितों के घरों और ज़मीनों पर कब्जे की हवस ने पूरा माहौल ही तनाव और हिंसा से भर दिया। इस हवस ने हिंसा को टर्की में भी पैर पसारने का मौका दिया। जिन्हें उजाड़ा था, वे ही सिर पर आकर बैठ गये।
टर्की के प्रो. सांधी ने एक सभा में कहा – ’’हम तो रिफ्यूजी होस्ट कन्ट्री हैं, बजट का बहुत बड़ा हिस्सा तो शरणार्थिंयों की खातिर खर्च हो जाता हैं।’’
(एक व्यक्ति को प्रति दिन कितना पानी चाहिए? इसके आकलन के अलग-अलग आधार होते हैं। आप गाँव में रहते हैं या शहर मेंं? आपका शहर सीवेज पाइप वाला है या बिना सीवेज पाइप वाला? यदि आप बिना सीवेज पाइप वाले छोटे शहर के बाशिंदे हैं, तो भारत में आपका काम 70 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन में भी चल सकता है। सीवेज वाले शहरों में न्यूनतम ज़रूरत 135 से 150 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन की उपलब्धता होनी चाहिए। भारत सरकार का ऐसा कायदा है। आप किसी महानगर में कार और किचन गार्डन और बाथ टैंक के साथ रहते हैं, तो यह ज़रूरत और भी अधिक हो सकती है। )
इस देश में मुख्यतः मुस्लिम लोग हैं। इराक के दक्षिण में सऊदी अरब और कुवैत, पश्चिम में जोर्डन और सीरिया, उत्तर में तुर्की और पूर्व में ईरान (कुर्दिस्तान प्रांत (ईरान)) अवस्थित है। दक्षिण पश्चिम की दिशा में यह फ़ारस की खाड़ी से भी जुड़ा है। दजला नदी(यूफ्रेटस) और फरात(टिग्रिस) इसकी दो प्रमुख नदियाँ हैं जो इसके इतिहास को 5000 साल पीछे ले जाती हैं। इसके दोआबे में ही मेसोपोटामिया की सभ्यता का उदय हुआ था।
*लेखक जलपुरुष के नाम से विख्यात जल संरक्षक हैं। प्रकाशित लेख उनके निजी विचार हैं।