सुप्रीम कोर्ट कल किसानों की ट्रैक्टर परेड पर अपना निर्णय सुनाने वाला है
नयी दिल्ली: पूर्व घोषित “किसान गणतंत्र परेड” पर स्पष्टीकरण देते हुए आज आंदोलनकारी संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि आगामी गणतंत्र दिवस की परेड में कोई विघ्न नही डाला जाएगा पर किसान धरना स्थल पर ही गांव की मिट्टी व एक चम्मच घी से अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित करेंगे और गण की संप्रभुता का उत्सव मनाया जाएगा।
“हम दिल्ली की जनता को भी किसान परेड देखने के लिए आमंत्रित करते हैं,” मोर्चा ने आज एक ज्ञापन ज़ारी कर के कहा और बताया कि परेड में शहीद किसान परिवार की झांकी सहित 29 राज्यों के किसानों की झांकी भी शामिल रहेगी।
मोर्चा ने कहा कि किसान राजधानी दिल्ली के बाहरी रिंग रोड की परिक्रमा करेंगे। “पहली बार किसी आंदोलन को रोकने के लिए पुलिस सर्वोच्च न्यायालय से आदेश मांग रही है,’ मोर्चा ने कहा और आश्वासन दिया कि परेड शांति पूर्ण रहेगी और वहां हिंसा, भड़काऊ भाषण पर पाबंदी रहेगी। अपने कार्यक्रम का विस्तृत ब्यौरा देते हुए उसने कहा कि परेड में शामिल हर वाहन पर राष्ट्रीय झंडा व किसान संगठन का झंडा होगा पर राजनैतिक झंडे पर पूर्ण मनाही होगी।
दूर के राज्यों में भी किसान राजधानी व जिला स्तर पर परेड का आयोजन करेंगे। मोर्चा ने कहा परेड का निर्णय किसान का है। “हम अपनी परेड करेंगे। सरकार अगर चाहती है तो बातचीत कर रास्ता तय करे,” उसने कहा और बताया कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस में किसानों की सहभागिता, सावधानी पर कल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कल निर्णय करेंगे। सुप्रीम कोर्ट कल किसानों की ट्रैक्टर परेड पर अपना निर्णय सुनाने वाला है और साथ ही कोर्ट द्वारा गठित समिति से एक सदस्य के अलग होने की रिपोर्ट का भी संज्ञान लेगा।
मोर्चा ने स्पष्ट किया कि आज राजनैतिक दलों की बैठक में जो किसान शामिल हुए थे, उनके इस कार्यक्रम से संयुक्त किसान मोर्चा से कोई संबंध नही था ।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के आज दिए एक बयान पर आपत्ति जताते हुए मोर्चा ने कहा कि कृषि मंत्री का आज का बयान सरकार की नीयत को स्पष्ट करता है। “19 जनवरी को किसानों के साथ तय बैठक से पहले सरकार के मंत्री के बयान का मतलब किसानों को आक्रोशित करना है। हम इसकी निंदा करते है, लेकिन 19 जनवरी को हम इसका जबाब सरकार से लेंगे।” तोमर ने बयान में कहा था कि “हमने लगातार किसान यूनियन के प्रतिनिधियों से वार्ता कर आग्रह किया कि वे कानून के एक-एक क्लॉज पर चर्चा करें व जहां आपत्ति है वो बताएं। सरकार उस पर विचार व संशोधन करने को तैयार है। किसान कानूनों को रद्द करने के अलावा क्या विकल्प चाहते हैं सरकार के सामने रखें।”
मोर्चा ने आरोप लगाया कि बस भेजने, लंगर लगाने, शहीद किसानों के परिवार को मदद करने पर नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी मुकदमे दर्ज कर रही है। “नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी के माध्यम से सरकार दमन कर रही है। इसका किसान मोर्चा विरोध करता है व इसके खिलाफ हम आंदोलन भी करेंगे,” मोर्चा ने कहा और दोहराया कि अडानी,अम्बानी के उत्पादों का बहिष्कार जारी रहेगा।
“किसान परेड के बाद अगले कार्यक्रम बताये जायेंगे,” उसने कहा।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो