नयी दिल्ली: तीनों कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर स्टे लगाने के सुप्रीम कोर्ट के आज का आदेश, आंदोलनकारी संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार , उनकी इस मान्यता को पुष्ट करता है कि यह तीनों कानून असंवैधानिक है। “क्यूंकि यह स्थगन आदेश अस्थाई है जिसे कभी भी पलटा जा सकता है, इसलिए केवल इस स्टे के आधार पर वे अपने कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं कर सकते। “हमारा आंदोलन इन तीन कानूनों के स्थगन नहीं इन्हें रद्द करने के लिए चलाया जा रहा है,” मोर्चा के नेता डॉ. दर्शन पाल ने एक प्रेस वक्तव्य में कहा।
डॉ. पाल ने दोहराया कि संयुक्त किसान मोर्चा अपने कल के बयान में किसी भी कमेटी के प्रस्ताव को खारिज कर चुका है। “हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं लेकिन हमने इस मामले में मध्यस्थता के लिए सुप्रीम कोर्ट से प्रार्थना नहीं की है और ऐसी किसी कमेटी से हमारा कोई संबंध नहीं है। चाहे यह कमेटी कोर्ट को तकनीकी राय देने के लिए बनी है या फिर किसानों और सरकार में मध्यस्थता के लिए, किसानों का इस कमेटी से कोई लेना देना नहीं है,” उन्होंने कहा। उनके अनुसार आज कोर्ट ने जो चार सदस्य कमेटी घोषित की है उसके सभी सदस्य इन तीनों कानूनों के पैरोकार रहे हैं और पिछले कई महीनों से खुलकर इन कानूनों के पक्ष में माहौल बनाने की असफल कोशिश करते रहे हैं।
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मोर्चा ने अफ़सोस जताया कि देश के सुप्रीम कोर्ट ने अपनी मदद के लिए बनाई इस कमेटी में एक भी निष्पक्ष व्यक्ति को नहीं रखा है, और कहा कि तीनों किसान विरोधी कानूनों को रद्द करवाने और एमएसपी की कानूनी गारंटी हासिल करने के लिए किसानों का “शांति पूर्वक एवं लोकतांत्रिक” संघर्ष जारी रहेगा।
“हमें संतोष है कि सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के लोकतांत्रिक और शांतिपूर्वक विरोध करने के अधिकार को मान्यता दी है। कोर्ट ने किसान आंदोलन के खिलाफ दायर की गई बेबुनियाद और शरारत पूर्ण याचिकाओं पर कान नहीं दिया जिन्होंने किसानों के मोर्चे को उखाड़ने की मांग की थी। इसलिए हम एक बात फिर स्पष्ट करते हैं कि संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा घोषित आंदोलन के कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं है,” डॉ. पाल ने कहा।
अब मोर्चा के सभी पूर्व घोषित कार्यक्रम यानी 13 जनवरी लोहड़ी पर तीनों कानूनों को जलाने का कार्यक्रम, 18 जनवरी को महिला किसान दिवस मनाने, 20 जनवरी को श्री गुरु गोविंद सिंह की याद में शपथ लेने और 23 जनवरी को आज़ाद हिंद किसान दिवस पर देश भर में राजभवन का घेराव करने का कार्यक्रम जारी रहेंगे। मोर्चा ने घोषणा की कि अब गणतंत्र दिवस 26 जनवरी के दिन देशभर के किसान दिल्ली पहुंचकर शांतिपूर्ण तरीके से “किसान गणतंत्र परेड” आयोजित करेंगे और “गणतंत्र का गौरव बढ़ाएंगे”। इसके साथ साथ अदानी अंबानी के उत्पादों का बहिष्कार करने और भाजपा के समर्थक दलों पर दबाव डालने के मोर्चा के कार्यक्रम बदस्तूर जारी रहेंगे।
आज आंदोलन के 49वे दिन भी दिल्ली की सभी सीमाओं पर, जिन पर किसानों के धरने लगे हुए है, किसान कल लोहड़ी पर्व को मनाने की तैयारियां कर रहे है। मोर्चा ने कहा कि इस बार लोहड़ी का त्यौहार तीन केंद्रीय कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर मनाया जाएगा। डॉ पाल ने बताया कि ग़ाज़ियाबाद के ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में किसान इस आंदोलन में शामिल हो रहे है। टीकरी मंच पर दिल्ली के कलाकारों द्वारा नाटक भी प्रस्तुत किये गए। दिनों-दिन पुस्तकालय में आने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। सिंघु बॉर्डर पर वकीलों और कलाकारों ने पहुंच कर किसानों का समर्थन दिया और उनको कुछ ज़रूरी सामान भी मुहैया करवाया।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो