गाजियाबाद: भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव युद्घवीर सिंह रविवार को गाजीपुर बार्डर पर मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार के जिस प्रस्ताव को हम वार्ता में ही ठुकरा चुके हैं उस पर कोई बात नहीं होगी। “सरकार की ओर से यदि ऐसी कोई बात कही जा रही है कि किसान अपने प्रस्ताव पर बात करें, तो यह सरासर झूठ है। प्रधानमंत्री ने जब कहा कि था कि कृषि मंत्री किसानों से एक फोन कॉल की दूरी पर हैं, तब उन्होंने यह भी कहा था कि हम किसानों के सामने प्रस्ताव रख चुके हैं, हमारी ओर यह वह प्रस्ताव अभी भी कायम है। प्रधानमंत्री डेढ़ वर्ष तक कृषि कानूनों को स्थगित रखने के प्रस्ताव की ओर से इशारा कर रहे थे। वह प्रस्ताव न हमें तक मंजूर था और न अब मंजूर है,” “उन्होंने कहा।
इस बीच पूर्व घोषित कार्यक्रम के अंतर्गत दिल्ली से सटे गाजियाबाद स्थित गाजीपुर बार्डर पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के नेतृत्व में किसानों ने नए कृषि कानूनों की होली जलाई। इस मौके पर चौधरी टिकैत ने कहा कि यह काले कानून हैं और देश का किसान इन कानूनों को नहीं मानता। उन्होंने कहा पूरे देश का किसान नए कृषि कानूनों से आहत है, लेकिन सरकार आंखों पर ठीकरा रखे बैठी है। सरकार को चार माह से सड़कों पर पड़े किसान का दर्द नहीं दिखता। इस मौके पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव युद्घवीर सिंह, भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन, प्रदेश उपाध्यक्ष राजवीर सिंह, रमेश मलिक, भाकियू के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक, भाकियू (युवा) अध्यक्ष गौरव टिकैत, हरनाम सिंह, बिजेंद्र सिंह के अलावा जगतार सिंह बाजवा आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।
भाकियू प्रवक्ता चौधरी टिकैत ने कहा कि किसानों ने काले कृषि कानूनों की प्रतियां होली में जलाकर प्रार्थना की है कि इन इनका नामोंनिशां भी न रहे, इसी में भारत के किसान की भलाई है। “यह कानून कारपोरेट के दबाव में किसान को गुलामी की बेड़ियों में जकड़ने के लिए लाए गए हैं, ऐसा हम होने नहीं देंगे,” उन्होंने कहा और बताया कि किसानों ने काले कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर सरकार को यह संदेश देने का प्रयास किया है किसान इन कानूनों को नहीं मानता। टिकैत अपने सिर पर कानून की प्रतियों से भरी गत्ते की पेटी लेकर होलिका के पास पहुंचे और उसे होलिका के हवाले कर दिया।
टिकैत ने कहा कि सरकार इस गलतफहमी में न रहे कि आंदोलन स्थल पर सुविधाएं बंद करने से किसान यहां से चला जाएगा। किसान अपनी मांगें मनवाकर ही घर लौटने का मन बना चुका है, इसके लिए चाहें उसे कभी तक भी आंदोलन चलाना पड़े।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो