गाजियाबाद: तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे राष्ट्रीय किसान मोर्चा के घटक भारतीय किसान यूनियन ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार आंदोलनकारी किसानों को हिंसा की तरफ धकेलने की कोशिश कर रही है। उसने चेतावनी दी कि सरकार किसानों को हल्के में लेने की भूल न करे। “हम अहिंसक होकर ही आंदोलन चलाते रहेंगे चाहे सरकार कोई भी हथकंडा क्यों न अपनाए लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि किसान कमजोर है। किसानों के धैर्य की परीक्षा सरकार लेना बंद करे। आखिर केंद्र सरकार किसान आंदोलन को हिंसा की ओर क्यों धकेलना चाहती है ? अलवर में भारतीय जनता पार्टी के छात्र संगठन एबीवीपी के कार्यकर्ताओं से हमला कराया गया। बच्चों के हाथों में भी ये हथियार थमाना चाहते हैं। हमने तो उन्हें भी माफ किया,” भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने रविवार को यूपी गेट (गाजीपुर बॉर्डर) पर किसान पंचायत के दौरान कहा । उन्होंने कहा अलवर में राकेश टिकैत के काफिले पर हुए हमले में नामजद हुए छात्रों पर कोई कार्रवाई वे नहीं चाहते। “वे थोड़ी-थोड़ी उम्र के बच्चे हैं उन्हें आंदोलन और दूसरी बातों से क्या लेना। हमने राजस्थान सरकार से भी कहा है कि उन बच्चों को माफ करो।हम कह रहे बच्चों के पढ़ने का समय उन्हें पढ़ने दो। मुकदमे बाजी में फंसकर उनका भविष्य खराब हो जाएगा, बच्चों के साथ ऐसा न करो।”
ज्ञात हो कि 2 अप्रैल को अलवर में नरेश टिकैत के भाई राकेश टिकैत के काफिले पर हमला हुआ था। भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि सरकार खामखां बात का बतंगड़ बना रही है। “सरकार का मकसद आंदोलन को दूसरी राह पर ले जाने का है। किसान को नक्सलवाद की ओर क्यों धकेलना चाहती है सरकार। हम टकराव नहीं चाहते। जब सरकार साफ मन से वार्ता करना चाहे तो हम हमेशा वार्ता के लिए तैयार हैं। किसान की समस्या इतनी बड़ी बात नहीं है, ये किसान को कम आंक रहे, सरकार ऐसी भूल न करे। एमएसपी पर कानून बनाने और तीन कृषि कानूनों की वापसी की ही तो बात है। सरकार इतनी बड़ी-बड़ी समस्याएं हल करती है, इसमें क्या है,” उन्होंने कहा।
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नरेश ने बार बार दोहराया कि सरकार के इशारे पर किसान आंदोलन को हिंसक बनाने की लगातार कोशिशें हो रही हैं। उन्होंने बताया कि आंदोलन में अभी तक 300 किसान शहीद हो चुके हैं पर सरकार एक शब्द भी नहीं बोली। “लेकिन आप बहुत सहन करने वाले हो। इनका पाप का घड़ा भर लिया। हम हिंसा के कतई पक्षधर नहीं हैं। जितनी मदद हमने इस सरकार की करी, इतनी किसी का ना करी। अब या सरकार ही सामने आ रही है। हम टकराव नहीं चाहते। गुमराह मत होना। हमारी पूरी जत्थेबंदी एकदम मजबूत है,” उन्होंने किसान पंचायत को सम्बोधित करते हुए कहा ।
उन्होंने कहा आंदोलन से सरकार की भी किरकिरी हो रही है। भाजपा के सांसद और विधायक गांवों में जाते हुए डर रहे हैं। “ऐसा नहीं नहीं है कि हमने सांसदो और विधायकों का विरोध करने का कोई आवाहन किया हो, लेकिन वे गांवों में जाएंगे तो गांव वाले सवाल तो पूछेंगे ही, वही हो रहा है। भाजपा के सांसद खुद ही फंसा महसूस कर रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि सरकार ने गलत किया है।”
उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि इस समय किसानों का काम धंधे का समय है, और सरकार किसानों की और परीक्षा न ले। “अप्रैल के महीने में जब किसान के पास रिश्तेदारी में भी जाने का समय नहीं होता, तब वे किसान गाजीपुर बार्डर पर पड़े हैं, सिंघू बार्डर पर पड़े हैं, टीकरी बार्डर पर पड़े हैं। 15 मई तक किसानों का समय बड़ा व्यस्त होता है, जब कोई घर बाहर निकलने को तैयार नहीं है तब किसान सड़कों पर पड़े हैं, इससे बड़ा त्याग और क्या होगा?” उन्होंने पूछा। उन्होंने कहा कि सरकार ने 11-12 बार किसानों को वार्ता के नाम पर बुलाकर मजाक करती रही। जब सरकार को पता चल गया कि किसान यह समझ रहे हैं कि वार्ता के नाम पर उनके साथ मजाक हो रहा है, सरकार ने वार्ता बंद कर दी। सरकार साफ मन से बात करे तो ऐसी कोई बात नहीं है जिसका हल ना हो।
नरेश ने कहा कि किसानों ने सबसे ज्यादा इस सरकार को बनाने में अपना सहयोग दिया था और सरकार अब किसानों के साथ ऐसा कर रही है। “किसानों में सरकार और भाजपा के प्रति घृणा पैदा हो रही है। अब कौन वोट देगा इन्हें। बड़ी दिक्कत यह है कि यह सरकार किसी की सुनना ही नहीं चाहती। सरकार नू चाह कोई बोलै ना इसके आगे, थारे सामने कोई बोल्लै ही ना, भई क्यों न बोल्लै, ऐसा थोड़ा होता है। हम शांतिपूर्वक 35 वर्षों से संगठन के जरिए किसानों की आवाज उठा रहे हैं और ये हमले करा रहे। किसान के मन में घृणा पैदा हो रही है तो चुनाव में इसका नुकसान को भाजपा को होगा ही,” उन्होंने कहा।
– ग्लोबल बिहारी ब्यूरो