विश्व नदी दिवस 2021 पर विशेष
– प्रशांत सिन्हा
नदियों का भारत के आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में प्राचीन काल से महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सिंधु तथा गंगा नदी की घाटी में ही विश्व की सर्वाधिक प्राचीन सभ्यताओं – सिंधु घाटी तथा आर्य सभ्यता – का आविर्भाव हुआ। आज भी देश की सर्वाधिक जनसंख्या एवं कृषि का सकेंद्रन नदी घाटी क्षेत्रों में है। प्राचीन काल में व्यापार एवं यातायात की सुविधा के कारण देश के अधिकांश नगर नदियों के किनारे विकसित हुए थे।
तेजी से बढ़ते शहरीकरण और औद्योगिक विकास नदियों की बिगड़ती स्थिती के लिए जिम्मेदार हैं। पिछ्ले कुछ दशकों में भारत के शहरों का जो विकास हुआ है वह आसपास के गांवों से भारी जनसंख्या आकर्षित करता है। नदियों के किनारे बसे यह शहर अपनी जरूरतों के हिसाब से नदी किनारे अतिक्रमण करते हैं। फिर बढ़ती जनसंख्या, औद्योगिक प्रदूषण और अतिक्रमण, नदियों के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं, उन्हे गंदे नाले में तब्दील करने लगते हैं। गंगा और यमुना जैसी नदियों का हाल ऐसा कर दिया गया है कि पीने के लायक क्या नहाने के लायक नही रहीं।
ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी कमोबेश ऐसी ही है। ऐसे में नदियों का संरक्षण करना अति आवश्यक हो गया है। वर्ष 2005 में हमारे जल संसाधनों की देखभाल की आवश्यकता के लिए जागरूकता फैलाने के उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र ने ” वाटर फॉर लाइफ डिकेड ” लॉन्च किया। इसके जवाब में ” मार्क एंजेलो ” के द्वारा वर्ल्ड रिवर डे ” का प्रस्ताव रखा गया। बाद में संयुक्त राष्ट ने आधिकारिक तौर पर हर साल सितंबर के चौथे रविवार को ” वर्ल्ड रिवर डे ” मनाने की घोषणा कर दी।
इसके बावजूद भारत में इसका असर दिखता नज़र नही आ रहा है। मैली नदियां अस्तित्व बचाने के लिए कराह रही हैं। हम उनका हरण, हनन इस कदर कर रहे हैं कि जल धरातल में समाता जा रहा है। मैली होती नदियां हर रोज़ गवाही देती हैं कि उनके हित में जो कुछ भी किया जा रहा है वह मात्र दिखावा है। नदियों को प्रदुषण मुक्त करने के लिए सरकार के तरफ़ से कई योजनाएं चलाई गईं लेकिन सभी फाइलों में ही गवाही दे रही हैं। न गंगा यमुना निर्मल हुईं और न दुसरी नदियां।
सरकारें दोषी हैं लेकिन हम भी कम दोषी नही हैं। अक्सर देखा जाता है कि लोग नदियों में पूजा का समान व कूड़ा डालते हैं जो कि गलत है। लोगों को समझना होगा कि नदी है तभी तक हम भी हैं । नदियों में भू जल स्तर संतुलित रहेगा। इसलिए इन्हें साफ और निर्मल बनाने में अहम भुमिका निभानी होगी।
विश्व नदी दिवस हमें आसपास प्राकृतिक जल की महत्व याद दिलाता रहेगा और इसके लिए जागरूकता प्रदान करेगा।