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राज्यों से : राजस्थान
– साक्षी पटवाल
जयपुर: राजस्थान में तंबाकू की निरंतर बढ़ती खपत और युवाओं का इस ओर बढ़ता झुकाव एक चिंता का विषय बना हुआ है। पिछले साल ही जयपुर को तंबाकू नियंत्रण के प्रयास में योगदान के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ द्वारा सम्मानित किया गया था इसके बावजूद भी राजस्थान में तंबाकू के केसों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।
राज्य सरकार जनहित उत्पादों की बिक्री के लिए किसी भी प्रकार का लाइसेंस प्रणाली लागू नहीं करती, जिसके कारण छोटी-बड़ी हर दुकानों पर तंबाकू उत्पाद आसानी से मिल जाता है। राजस्थान में तंबाकू जनित पदार्थों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं होने के कारण तंबाकू उत्पाद खरीदने के लिए ग्राहक लाकड़ाउन तोड़कर गली मोहल्ले की दुकानों पर ख़रीदी करने जा रहे थे। राज्य में गत सप्ताह में 70 केस अलग-अलग जिले से आए थे परंतु तंबाकू उत्पादों की काला बजारी की खबरें भी लगातार आ रही थी।
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राजस्थान में तंबाकू उत्पादों का उपयोग अन्य राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश की तरह ही होता है। प्रदेश में जितना तंबाकू उत्पाद जीएसटी देकर एक नंबर में बिकता है, उतना ही टैक्स चोरी के साथ दो नंबर में भी बिकता है। पहले, अशोक गहलोत की कांग्रेसी सरकार ने प्रदेश में गुटखे पर पाबंदी लगाई थी लेकिन जर्दा और खैनी पर पाबंदी स्पष्ट न होने के कारण गुटखा अभी भी बिक रहा है। इससे पहले 3 अक्टूबर 2019 को राजस्थान सरकार ने राज्य में मैग्नीशियम, कार्बोनेट, निकोटिन, तंबाकू, खनिज तेल और स्वाद वाली सुपारी पान मसाले पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी, इसी के साथ उसने यह भी तय किया था कि ऐसे सभी उत्पादों को अब खाद सुरक्षा अधिनियम के तहत राज्य में प्रति बंद कर दिया जाएगा। वाग्धार के एडवोकेसी टीम लीडर सुदीप शर्मा ने बताया पिछले 2 साल में विभिन्न राजकीय संस्थानों, कॉलेज, स्कूल, सार्वजनिक स्थलों पर तंबाकू मुफ्त के लिए मुहिम चलाई गई और साथ ही इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को इसी भावना से कार्य करते रहने को कहा।
इस वर्ष तो कोविड-19 संक्रमण महामारी के तहत राज्य सरकार ने सभी सार्वजनिक स्थलों पर जैसे सड़क, गली, सरकारी-गैर सरकारी कार्यालय परिसर, शैक्षणिक संस्थान तथा सभी कोर्ट और थाना परिसरों में किसी भी प्रकार के तंबाकू पदार्थ यथा सिगरेट, बीड़ी, गुटखा, पान मसाला, जर्दा, और खैनी का उपयोग कर यत्र तत्र थूकने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। साथ ही उल्लंघन करने वाले पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत दंडात्मक कार्यवाही करने एवं छह माह की सजा व ₹200 का आर्थिक दंड का प्रावधान दिया गया।
इस बार भी इसी विषय पर गंभीर विचार करते हुए मौजूदा राज्य सरकार ने राज्य में ई-सिगरेट के ऑनलाइन या ऑफलाइन बिक्री, उत्पादन, ज्ञापन और वितरण पर प्रतिबंध लगा दी है। पिछली सरकार ने भी राजस्थान को तंबाकू मुक्त बनाने के लिए तंबाकू उत्पाद शुल्क पर 20% से 40% तक कर बढ़ा दिया था, इस प्रकार मूल्य में 16.7% की वृद्धि हुई थी। यही कारण है कि बिक्री में 38.8% की कमी और तंबाकू की खपत में 20.7% की कमी हर 10% कीमत वर्दी पर। वहीँ तम्बाकू विरोधी कार्यकर्ता राज्य सरकार के माध्यम से सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा), 2003 के तहत नियमों के निर्धारण के साथ विक्रेता लाइसेंसिंग तंत्र के प्रर्वतन के लिए भी दबाव डाल रहे है। हाल ही में युवाओं में नशे की लत को रोकने के लिए राज्य ने इन उत्पादों के उत्पादन भंडार वितरण और बिक्री प्रतिबंधित कर दी है।
राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आदेश की पालन सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य और गृह विभाग के कार्मिकों को निर्देशित किया तो गया है, परन्तु पुलिस की कथित सख्ती के बावजूद सीओटीपीए के विभिन्न भागों और प्रत्येक के उल्लंघन लगातार हो रहे है । यही वजह है कि पुलिस ने सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद (विज्ञापन निषेध और व्यापार एवं वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण) अधिनियम, 2003 (सीओटीपीए 2003) के उल्लंघन के 450 चालान दर्ज किए गए और ₹86,000 वसूल किया गया। प्रशासन का आभार जताते हुए वाग्धारा संस्था के सचिव जयेश जोशी ने कहा कि “वर्तमान और भावी पीढ़ियों को, तंबाकू से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों, समाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक परिणामों से अवगत कराकर इस ज़हर से बचने के लिए यह प्रयास सराहनीय है। राज्य के सरकारी अस्पतालों के 30 प्रतिशत संसाधन खर्च करने होते हैं तंबाकू जन्नत बीमारियों के मरीजों पर वही राज्य सरकार करीब 5 गुना खर्च करती है तंबाकू जनित बीमारियों के इलाज में जो उन्हें रिजर्व से प्राप्त होता है। वाग्धारा संस्थान के अनुसार तंबाकू खाने से राजस्थान में सालाना 70,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो जाती है।
कितने लोग अभी तक तंबाकू से प्रभावित हैं
तंबाकू का उपयोग एक प्रमुख वैश्विक रोग है जो बीमार स्वास्थ्य और विकलांगता का अंतर निहित कारण है। दुनिया भर में हर साल तंबाकू पान करने से 7 मिलियन से अधिक लोगों के मरने वालों का अनुमान है, प्रत्येक वर्ष एचआईवी/ एड्स, तपेदिक और मलेरिया की तुलना में यह अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार है। यदि मौजूदा रुझान जारी रहता है, तो 2030 तक दुनिया भर में तंबाकू हर साल 8 मिलियन से अधिक लोगों की मौतों के लिए जिम्मेदार होगा, जिसमें से 80 परसेंट असामयिक मौतें होंगी विकसित देशों में। तंबाकू से होने वाली मौतें ना केवल रोकी जाने वाली त्रासदी है, बल्कि एक महत्वपूर्ण आर्थिक लागत भी है। दुनिया भर में धूम्रपान का कुल आर्थिक नुकसान ( मृत्यु और विकलांगता से चिकित्सा लागत और उत्पादकता नुकसान सहित) प्रतिवर्ष यूएस $1.4 ट्रिलियन से अधिक अनुमानित किया गया है, जो दुनिया के वार्षिक सर्कल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 1.8 प्रतिशत के बराबर है।
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