विरासत स्वराज यात्रा
– डॉ. राजेंद्र सिंह*
दिल्ली में आज यमुना की जो भी भूमि बची हुई है, वह 2005 से 2009 तक चले ‘यमुना की जमीन-यमुना के लिए छोड़ने’ के आंदोलन का परिणाम है। उस पर दिल्ली के लोग, यमुना के बेटा और बेटियाँ इकट्ठा होकर यमुना की सेहत और समृद्धि के भविष्य पर विचार कर सकते है। इसलिए मुझे यह बताते हुए खुशी है कि, 2005 से लेकर 2009 तक मेरा ज्यादा से ज्यादा समय दिल्ली में ‘यमुना की जमीन-यमुना को बचाने के लिए’ पर खर्च हुआ। उस समय 100-100 दिनों तक यमुना सत्याग्रह पर बैठकर, यमुना की जो जमीन कम्पनियों को दे दी गई थी, उन कम्पनियों की लीज खत्म करवायी थी।
उस समय की मुख्यमंत्री स्व. शीला दीक्षित जी एवं तेजेन्द्र खन्ना जी ने कई बार मीटिंग करके, बैठकर, बातचीत करके कम्पनियों की लीज रदद् की थी। जिसका परिणाम है कि आज ‘यमुना की जमीन, यमुना के लिए’ दिल्ली में बच गई है। यह बात अलग है कि, हरियाणा में दिल्ली की जमीन पर और उत्तर प्रदेश में यमुना की जमीन पर बहुत तेजी से अतिक्रमण हो रहा है। हमारे सारे औद्योगिक गंदे नाले यमुना में पड़कर, यमुना का प्रदूषण बढ़ा रहे है। यमुना का जल हथनी कुंड पर ही शोषित कर लिया जाता है। इसलिए जो जल नदियों के रूप में बहना चाहिए, वह आज नहरों में बह रहा है। हमारी यमुना पर अतिक्रमण, प्रदूषण और शोषण का ही परिणाम है कि, आज यमुना मर रही है।
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यमुना को बचाने के लिए हमें यमुना को समझना होगा, सहेजना होगा और सहेजने के लिए संगठित रूप से काम करना होगा। यमुना की सफाई केवल जलकुंभी को बाहर निकालने से नहीं होगी। हमें यह जानना होगा कि यमुना की असली बीमारी क्या है? इसके लिए यमुना में कहाँ, किन कम्पनियों का प्रदूषण आ रहा है? यमुना जी को कितना पर्यावरणीय प्रवाह चाहिए ? हमें यह देखना होगा कि, यमुना के किनारों पर किस तरह की सफाई और हरियाली बढ़ाई जानी चाहिए। इसके लिए एक समूह बनाना आवश्यक है। यमुना को पैसा नहीं चाहिए, यमुना को तो ऐसे पुत्र और पुत्रियां चाहिए जो यमुना को सच्ची माँ मानकर चिकित्सा करा सके और यमुना की चिकित्सा के लिए समर्पित हो सके। इसलिए आज यमुना जी समर्पित बेटा और बेटियों को बुला रही है। इसके लिए बड़े बजट की जरूरत नहीं है। बड़े बजट से यमुना जी स्वस्थ नहीं होगी। इसे स्वस्थ करने के लिए हम सभी को एक साथ जुटना होगा।
दिल्ली प्रशासन द्वारा शुक्रवार 8 अक्टूबर, 2021 को आयोजित एक यमुना स्वच्छता कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिला। हजारों लोग शामिल हुए थे। यहाँ पर नागरिकों का बड़ा समूह था, जो गृह स्वच्छता के काम से जुड़ा हुआ है। यहाँ के जिला प्रशासन ने अपने उन सभी साथियों को बुलाकर, यमुना जी की सेवा के लिए, यमुना के स्वास्थ्य के लिए काम करने का संकल्प दिलाया। इस सभा में यहाँ के पर्यावरण सचिव श्री संजीव गहरवार और यहाँ के कलेक्टर विश्वेन्द्र जी और यहाँ के एडीएम तिवारी जी, नेहरू युवा केन्द्र के डॉयरेक्टर और बहुत लोग थे।
मुझे इस बात की खुशी है कि दिल्ली के लोगों ने यमुना की सफाई को अपना लक्ष्य बनाया है। इन्होंने 21 दिनों का कार्यक्रम बनाया है। इस कार्यक्रम में एक तरफ नित्य श्रमदान हो, दूसरी तरफ एक यमुना संवाद भी चले और उसी के अनुरूप आगे बढ़े। यमुना संवाद यमुना के स्वस्थ्य के लिए, प्रवाह के लिए, यमुना की समृद्धि पर विचार करने के लिए नित्य काम हो और यमुना पर जो प्रत्यक्ष काम चाहिए, वह प्रत्यक्ष काम तत्काल प्रभाव से कायम हो। यमुना को समझे बिना, टुकड़ों में काम करना व छोटे-छोटे काम करना, चेतना जगाने के लिए तो ठीक हो सकता है, लेकिन वह पर्याप्त नहीं है, जब तक हम यमुना जी के लिए एक विधिवत् समग्र कार्यक्रम चलाने के लिए यमुना की स्थिति को समझ कर, उसे ठीक करने के लिए हम संकल्पित हों। यमुना जी को ठीक करने लिए जब हम संकल्पित होंगे तो यमुना जी स्वस्थ होगी।
यमुना के स्वास्थ्य का सीधा संबंध दिल्ली के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। यदि दिल्ली की जनता को अपना स्वास्थ्य अच्छा चाहिए तो हम सभी को मिलकर यमुना जी को स्वस्थ बनाना होगा। यमुना में प्रदूषित जल बहेगा तो वैसे ही दिल्ली का समाज बीमार रहेगा। इसलिए हमें पहले यमुना की बीमारी का इलाज ढूंढना होगा।
दिल्ली के स्कूलों में, कॉलेजों में और यमुना के आस-पास रहने वाले तरुणों में इस बात का एहसास हो और वह इस बात का एहसास करके कुछ करने का आभास अपने अंदर पैदा कर सकें, वैसी स्थिति तक हमें इस यमुना स्वच्छता के अभियान को लम्बा लेकर चलना होगा। यमुना जी के लिए सतत् चलने वाला गहन चिंतन करने वाली, गहन काम करने वाली एक सघन इकाई चाहिए, जो यमुना का सघन उपचार कर सके।
यह सम्मेलन चेतना जगाने की दृष्टि से अच्छा रहा। यमुना की चेतना हेतु इस तरह के सम्मेलनों की अत्यंत आवश्यकता है। यमुना जी भारत की राजनैतिक राजधानी की केवल विरासत नहीं हैं, यह पूरे भारत की विरासत हैं। यह गंगा जी की बहन हैं। इसलिए हम सब यमुना जी को अपनी एक बड़ी विरासत मानते है। यह दिल्ली के समाज को यमुना के समाज से जोड़ने का एक सुअवसर है।
*लेखक जलपुरुष के नाम से विख्यात पर्यावरणविद हैं। प्रस्तुत लेख उनके निजी विचार हैं।