विरासत स्वराज यात्रा
– डॉ राजेन्द्र सिंह*
आज हम सबसे पहले पालीताना से निकलकर शेतरुंजी डैम पहुंचे । यह यहाँ का बड़ा सिचाई प्रोजेक्ट है। यह 4332 वर्ग किमी. कैचमेन्ट एरिया में फैला हुआ है। इसके नीचे बहुत सुन्दर एक नदी बहती है। यहां के लोगों ने बताया कि, इस साल इसमें 5 फिट तक की ओवर फ्लो चली है अर्थात् इसके कैचमेन्ट एरिया में पर्याप्त मात्रा में चैक डैम बने हुए है। फिर भी इस डैम में पर्याप्त जल है और यह जल इस इलाके को हरा-भरा रखने में बहुत मदद करता है। इस क्षेत्र का रैनफॉल 552 एम.एम है। एक तरह से यह इलाका अलवर से ज्यादा रैनफॉल वाला है। यह इस इलाके का जीवन, जीविका और जमीर है। यहाँ के सरकारी विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की।
इसके बाद हम शेतरुंजी डैम के नीचे, पानीयाली गाँव में स्थित ‘उत्तर बुनियादी विद्यालय’ में पहुंचे । इस विद्यालय में महात्मा गांधी के विचारों के अनुरुप शिक्षण दिया जाता है। यहाँ 8वीं से 12वीं कक्षा तक पढ़ने वाले लड़के-लडकियाँ एक साथ पढ़ते-बैठते-खेलते है। इस विद्यालय की विशेषता है कि सभी एक साथ, बराबरी के साथ पढ़ते और रहते है। इन सभी बच्चों को प्रकृति का रक्षण, शिक्षण, पोषण पढ़ाया जाता है। यहाँ के विद्यार्थी गाय के दूध निकालने से लेकर खेती करने तक की पढ़ाई पढ़ते है। यह भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के जलवायु परिवर्तन संकट से भी रुबरू होते है। इस प्रकार इन विद्यार्थियों की शिक्षा, जीवन की साम्रगता की शिक्षा है। इन बच्चों के चहरे पर आनंद और उत्सव दिखता है। उत्तर बुनियादी विद्यालय में वहाँ के संचालकों, शिक्षकों के साथ करीब दो घंटे बातचीत चली।
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मुझे खुशी है, हमारा भविष्य गांधी की पद्धति व सिद्धांत के अनुरूप बहुत अच्छे से बन रहा है। यही हमें बतलाता है कि, ‘गांधी की बुनियादी शिक्षा’ भारत की शिक्षा विरासत है। इस विरासत को ठीक से समझना और जानना, तथा इसमें नयी तालीम और क्या जोड़ी जा सकती है, यह शिक्षा सिर्फ उत्तर बुनियादी न रहे, उत्तम बुनियादी बन जाए, सम्रग शिक्षा बन जाए, ऐसा भाव मेरे मन में आ रहा है। मैं मानता हूँ कि, इस विद्यालय को गुजरात के इस प्रकार के सभी विद्यालयों के साथ मिलकर, ‘विरासत की शिक्षा’ की चेतना जगाने का काम करना चाहिए। उत्तम विद्यालय की गौशाला, खेती देखने के बाद सीहोर के लिए रवाना हुए । फिर भावनगर पहुँचे ।
चैम्बर ऑफ कॉमर्स की बैठक में भावनगर को पानीदार बनाये रखने के लिए क्या काम करना चाहिए, कैसे काम करना, कैसे जल संरक्षण करना चाहिए, भू-जल की बनावट को इंजीनियरिंग के साथ समझना क्यों जरुरी है? इन विषयों को बताया और बातचीत की।भावनगर भारत का लड़ला बेटा है, क्योंकि इसके चारों तरफ समुद्र का अच्छा पानी, मिट्टी और हरियाली है। लेकिन यदि यहाँ के लेगों ने जल का ठीक से प्रबंधन नहीं किया, तो चैन्नई की तरह भावनगर भी बेपानी हो जायेगा।
भावनगर में पिछले 20-25 सालों में बहुत अच्छे पानी के काम हुए है। यहाँ के मुख्यमंत्री जब केशु भाई पटेल थे, तब उन्होंने बहुत अच्छे से पानी के काम को 60 सरकार और 40 प्रतिशत समाज के हिसाब से करवाना शुरु किया था। यहाँ की संस्थाओं ने भी बहुत काम किए है। लेकिन अब इस बात को देखना होगा कि, यहाँ जल उपयोग दक्षता को कैसे बढ़ाया जा सकता है? इस क्षेत्र में जल उपयोग दक्षता की बहुत जरुरत है। यह एक बड़ी चुनैति है। शिक्षण संस्थाओं, चैम्बर ऑफ कमर्स, रॉटरी क्लब को मिलकर भावनगर में जल साक्षरता अभियान चलाना चाहिए। जिससे जल के उपयोग की दक्षता बढ़ सके।
* लेखक जलपुरुष के नाम से विख्यात पर्यावरणविद हैं। प्रस्तुत लेख उनके निजी विचार हैं।