दुनिया की नदियां – 8
– डॉ. राजेंद्र सिंह
नाइजर नदी पश्चिम अफ्रीका की प्रमुख नदी है। नील और कांगो नदी के बाद यह अफ्रीका की तीसरी सबसे लंबी नदी है। नाइजर नदी सिएरा लियोन में स्थित लोमा पर्वत के पहाड़ी क्षेत्र से निकलकर समुद्र से विमुख होकर दक्षिणी सहारा मरुस्थल में 2,600 मील बहने के पश्चात दक्षिण की ओर मुड़कर गिन्नी की खाड़ी में गिरती है। इस नदी की पुरानी धारा के चिह्न मरुस्थल में बहुत दूर उत्तर तक मिलते हैं। नाइजर की सबसे महत्त्वपूर्ण सहायक नदी ’बेन्ययू’, इसके मुहाने से 250 मील ऊपर मिलती है।
समुद्र में मिलने से पहले नाइजर कई धाराओं में बँटकर 1,400 वर्ग मील क्षेत्र में डेल्टा बनाती है। डेल्टा में, जो समुद्र के किनारे 120 मील लंबा है, धान , गन्ना तथा कपास की अच्छी उपज होती है। नाइजर में 5,84,000 वर्ग मील क्षेत्र का जल आता है। यद्यपि इसकी धारा में अनगिनत चट्टानें तथा झरने पड़ते हैं, तथापि इसका मध्य भाग छोटी नौकाओं के परिवहन को काम देता है। इस नदी में मछलियाँ , मगर तथा दरियाई घोड़े अधिक मिलते हैं।
नाइजर नदी अपेक्षाकृत एक “सीधी“ नदी है, जिसमें नील नदी के जितना तलछट का केवल दसवां हिस्सा है, क्योंकि नाइजर के हेडवाटर प्राचीन चट्टानों में स्थित हैं, जो थोड़ी गाद प्रदान करते हैं। नील नदी की तरह, नाइजर में हर साल बाढ़ आती है; यह सितंबर में शुरू होता है, नवंबर में चरम पर होता है और मई तक समाप्त हो जाता है। नदी की एक असामान्य विशेषता इनर नाइजर डेल्टा है, जो वहाँ बनती है, जहाँ इसकी ढाल अचानक कम हो जाता है। परिणाम लट में धाराओं, दलदल और बड़ी झीलों का एक क्षेत्र है; मौसमी बाढ़ डेल्टा को मछली पकड़ने और कृषि दोनों के लिए अत्यधिक उत्पादक बनाती है।
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नदी का अपने संभावित प्रवाह का लगभग दो-तिहाई भाग सेगौ और टिम्बकटू के बीच इनर डेल्टा में रिसाव और वाष्पीकृत हो जाता है। बानी नदी का सारा पानी, जो मोप्ती में डेल्टा में बहता है, ’नुकसान’ की भरपाई नहीं करता है। औसत ’नुकसान’ का अनुमान 31 घनमीटर वार्षिक है लेकिन वर्षों के बीच काफी भिन्न होता है। नदी तब विभिन्न सहायक नदियों से जुड़ जाती है, लेकिन वाष्पीकरण के लिए अधिक पानी भी खो देती है। योला में मापा गया नाइजीरिया में प्रवेश करने वाले पानी की मात्रा का अनुमान 1980 के दशक से पहले 25 घनमीटर वार्षिक और 1980 के दशक के दौरान 13.5 घनमीटर वार्षिक था। सबसे महत्वपूर्ण सहायक नदी बेन्यू नदी है जो नाइजीरिया में लोकोजा में नाइजर के साथ विलीन हो जाती है। नाइजीरिया में सहायक नदियों की कुल मात्रा नाइजीरिया में प्रवाह की तुलना में छह गुना अधिक है, 1980 के दशक से पहले नदी के मुहाने के पास एक प्रवाह 177.0 किमी वार्षिक और 1980 के दशक के दौरान 147.3 घनमीटर वार्षिक था।
नाइजर नदी बेसिन के देश -नाईजीरिया, माली आदि अब सभी विकासशील बनने की चाह में आगे बढ़ रहे है। नाईजीरिया संघीय गणराज्य पश्चिम अफ्रीका का एक देश है। इसकी सीमाएँ पश्चिमी में बेनीन, पूर्व में चाड़, उत्तर में कैमरून और दक्षिण में गुयाना की खाड़ी से लगती है। इस देश की राजधानी अबुजा है जो इस देश का बड़ा शहर है। इस देश का कुल क्षेत्रफल 923768 वर्ग किमी है और 2016 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या 185989640 है। नाइजीरिया के दक्षिणपूर्व में पहाड़ है, जबकि उत्तर मुख्य में रूप से मैदानी इलाके होते है। नाइजीरिया का वातावरण भी भिन्न होता हैं, लेकिन भूमध्य रेखा के निकट स्थानों के कारण केन्द्र और दक्षिण उष्णकटिबंधीय है, जबकि उत्तर शुष्क है।
इस देश की मुख्य चाड़ झील नाइजीरिया के बोर्नो प्रांत में स्थित है। योजना पूर्वक बनाई गई यह झील न केवल इस प्रांत की आवश्यकता की पूर्ति करती है, बल्कि नाइजीरिया के तीन पड़ोसी देशों में नाइजर, कैमरून और चाड की आवश्यकताओं को भी पूरा करती है।
नाइजीरिया के प्राचीन इतिहास को देखने पर पता चलता है कि, यहाँ सभ्यता की शुरुआत ईसा पूर्व 9000 में हुई थी। 1885 ईस्वी में अंग्रेजों ने नाइजीरिया पर प्रभाव का एक क्षे़त्र का दावा किया और 1886 में रॉयल नाइजर कंपनी की स्थापना हुई। 1963 ईस्वी में नाइजीरिया ने खुद को एक संघीय गणराज्य घोषित किया और नया संविधान तैयार किया लेकिन 1960 में सरकार अस्थिर थी, इसके प्रधानमंत्री की हत्या के बाद गृहयुद्ध शुरू हुआ। गृह युद्ध के बाद नाइजीरिया ने आर्थिक विकास पर ध्यान केन्द्रित किया और 1977 में सरकारी अस्थिरता के कई वर्षों बाद, देश ने नया संविधान बनाया।
आधिकारिक तौर पर माली गणराज्य पश्चिमी अफ्रीका में स्थित एक स्थल-रुद्ध देश है। अफ्रीका के सातवें सबसे बड़े देश माली की सीमा उत्तर में अल्जीरिया, पूर्व में नाइजर, दक्षिण में बुर्किना फ़ासो और कोड द आइवोर, दक्षिण-पश्चिम में गिनी और पश्चिम में सेनेगल और मारितुआना से मिलती है। 12,40,000 वर्ग कि॰मी॰ से कुछ बड़े इस देश की जनसंख्या करीबन 1,30,00,000 है। इसकी राजधानी बमाका है।
आठ क्षेत्रों में बंटे माली की उत्तरी सीमा सहारा के मध्य तक जाती है, वहीं देश का दक्षिणी क्षेत्र, जहाँ अधिकांश आबादी निवास करती है, की विशेषता नाइजर और सेनेगल नदी है। देश की अर्थव्यवस्था खेती और मत्स्य पालन पर निर्भर है। माली के कुछ प्राकृतिक संसाधनों में सोना, यूरेनियम और नमक शामिल है। माली दुनिया के सबसे निर्धनतम देशों में शुमार किया जाता है।
आज का माली कभी ट्राँस-सहारा व्यापार पर नियंत्रण रखने वाले तीन साम्राज्यों, घाना साम्राज्य, माली साम्राज्य (जिससे माली नाम लिया गया है) और सोनघाई साम्राज्य का एक हिस्सा था। 1800 के अंत में यह फ्रांसीसी नियंत्रण में आ गया और फ्रांसीसी सूडान का एक हिस्सा बन गया। 1959 में माली से सेनेगल से माली संघ के नाम से स्वतंत्र हो गया। एक साल बाद माली संघ स्वतंत्र राष्ट्र माली बन गया। एक दलीय शासन के लंबे दौर के बाद 1991 में हुए तख्तापलट के बाद गणतंत्र और बहु-दलीय राज्य के रूप में नए संविधान और सत्ता का गठन किया गया। देश की तकरीबन आधी आबादी अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा, 1.25 अमेरिकी डालर से प्रतिदिन कम आमदनी, पर गुजर-बसर करती है।
देश में उष्णकटिबंधीय सवाना वाला जलवायु क्षेत्र है। देश के अधिकांश भाग में बहुत कम वर्षा होती है। सूखा पड़ना एक आम बात है। मई के अंत से या जून के शुरूआत में वर्षा शुरू हो जाती है, जो अक्टूबर के अंत तक या नवम्बर से शुरुआत तक रहती है।
नाइजर नदी बेसिन में पानी आंशिक रूप से बांधों के माध्यम से नियंत्रित होता है। माली में संकरानी नदी पर सेलिंगुए बांध मुख्य रूप से जल विद्युत के लिए उपयोग किया जाता है, लेकिन सिंचाई की भी अनुमति देता है। दो डायवर्जन बांध, एक बामाको के ठीक नीचे सोतुबा में, और एक मरकला में, सेगौ के ठीक नीचे की ओर, लगभग 54,000 हैक्टेयर में सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है। नाइजीरिया में कांजी बांध, शिरोरो बांध, जुंगरू बांध और जेबा बांध का उपयोग जल विद्युत उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। सिंचाई के लिए पानी की कमी बढ़ने के कारण नाइजर नदी के जल संसाधन दबाव में हैं। नाइजर बेसिन के देशों में बिजली की पुरानी कमी को दूर करने के लिए जलविद्युत उत्पादन के लिए बांधों का निर्माण चल रहा है या परिकल्पित है। एफएओ ने नाइजर नदी बेसिन में 2.8 मिलियन हैक्टेयर में सभी देशों की सिंचाई क्षमता का अनुमान लगाया है। 1980 के दशक के अंत में केवल 0.93 हैक्टेयर सिंचाई के अधीन था। नाइजीरिया में सिंचाई क्षमता का अनुमान 1.68 मिलियन हैक्टेयर माली में 0.56 मिलियन हैक्टेयर था, और वास्तविक सिंचित क्षेत्र 0.६७ मिलियन और 0.१९ मिलियन था।
नाइजर नदी भी लालची विकास, जल विद्युत की मार से मरेगी। इसके बेसिन के सभी देश अपने को विकासशील कहते हैं। विकासशील की परिभाषा है, विस्थापन करने की सम्पूर्ण तैयारी है। देश में बिगाड़, सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक विषमता हिंसक प्राकृतिक मानवीयवृत्ति का निर्माण करके भौतिक, आर्थिक ढाँचे को विस्तार देना। यह ढाँचा देश के प्राकृतिक और मानवीय स्वास्थ्य को बिगाड़कर बाढ़-सुखाड़ जैसा विनाश बढ़ाता है।
विकासशील के लक्षण- प्राकृतिक और मानवता का शोषण तेज होना है। जिस देश में प्राकृतिक दोहन के स्थान पर शोषण होने लगता है, तो वह विकासशील कहलाने लगता है।
शोषण में प्रदूषण और अतिक्रमण शामिल होता ही है। जिस देश की नदियाँ जितनी अधिक ,अधिक शोषित, समाज और सत्ता द्वारा अतिक्रमित होने लगें अर्थात् ये तीनों कार्य जितनी तेजी से होने लगे, वह देश उतना ही तेज विकास की गति वाले विकासशील देशों की श्रेणी में गिने जाते है। अस्पताल में जाकर इलाज कराना, अधिक दवाईयाँ खरीदना जीडीपी को बढ़ाता है। जीडीपी बढ़ाने वाले देश विकासशील देशों की श्रेणी में आ जाते है। जिस देश की नदी जितनी ज्यादा गंदी होती है, वह उतना ही अधिक विकासशील बनता है। वह ज्यादा बीमार होकर ईलाज पर ज्यादा खर्च करने लगता है।
नाइजर नदी बेसिन के सभी देश विकासशील बनकर एक-दूसरे से आगे निकलना चाहते है। ये सभी आर्थिक विकासशील बनने की प्रतियोगिता में सफल बनने में जुटे हैं। इनकी सफलता का परिणाम ही विस्थापन है। मुझे नाइजर नदी बेसिन के देशों से उजड़कर आने वाले लोग बड़ी संख्या में स्वीडन के स्टोकहोम, फ्रांस के पेरिस, जर्मनी के हनोवर, हमवर्ग, यू.के. के लंदन , ऑस्ट्रिया के वियाना, डेनमार्क आदि में मिले हैं। इन देशों में ये होटल, टैक्सी ड्राइवर तथा शरणार्थी शिविरों में मिले है।
जलवायु शरणार्थी की श्रेणी में नाइजर नदी बेसिन के देश भी पहुँच रहे है। विकासशीलता का अंत जलवायु परिवर्तन का शरणार्थी बनकर विस्थापित होना है। इस नाइजर नदी के बेसिन के देश अब जलवायु परिवर्तन शरणार्थी बनने लगे हैं। नदी सूखने से भूजल भंडार पुनर्भरण होना समाप्त हो जाता है। खेती, उद्योगों में जल की कमी से बेराजगारी बढ़ती है। फिर इंसान भूखा मरता, विस्थापित हो जाता है। ऐसी स्थिति में विस्थापित इंसान, जलवायु शरणार्थी बनता है।
शरणार्थी कई प्रकार के होते हैं, कोई युद्ध से विस्थापित होता है, कोई आर्थिक लालच से विस्थापित होता है। वह अभी भारत में है। आज ज्यादातर लोग प्राकृतिक आपदाओं से विस्थापित हो रहे है। ये प्राकृतिक आपदाएँ आधुनिक विकास जनित है। विकास जनित आपदाओं को जलवायु परिवर्तन आपदा कहते हैं। अब ये आपदाएँ विकासशील और विकेन्द्रित कहलाने वाले देशों में घटित हो रही हैं। नाइजर नदी भी इसी विकास जनित विस्थापन, विकृति और विनाश का शिकार बन रही है।
*लेखक स्टॉकहोल्म वाटर प्राइज से सम्मानित और जलपुरुष के नाम से प्रख्यात पर्यावरणविद हैं। यहां प्रकाशित आलेख उनके निजी विचार हैं।