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राज्यों से : महाराष्ट्र
– खुशबू
मुंबई: महाराष्ट्र में कोरोना से पनपे हालातों को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने नॉन प्रोफेशनल और प्रोफेशनल कोर्स के फाइनल ईयर या फाइनल सेमेस्टर की परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को अपने ट्विटर हैंडल के जरिए इस बात की जानकारी दी है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “महाराष्ट्र सरकार ने प्रोफेशनल और नॉन- प्रोफेशनल कोर्सेस के लिए फाइनल ईयर और फाइनल सेमेस्टर की परीक्षाएं न कराने का निर्णय लिया है, क्योंकि मौजूदा स्थिति किसी भी तरह की परीक्षा या कक्षाओं का संचालन करने के लिए अनुकूल नहीं है।”
वहीं साथ ही आज महाराष्ट्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। इसमें राष्ट्रीय स्तर के शीर्ष अधिकारियों जैसे अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) , सर्टिफिकेट ऑफ एनालिसिस( सीओए) , पेरीफेरल कॉम्पोनेन्ट इंटरकनेक्ट( पीसीआई ) , बार काउंसिल ऑफ इंडिया ( बीसीआई) , नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई ) और नेशनल काउंसिल फॉर होटल मैनेजमेंट और कैटरिंग टेक्नोलॉजी को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है ताकि व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को लेकर वे राज्य सरकार के फैसले का समर्थन करें और विश्वविद्यालयों को दिशा निर्देश जारी करें। इससे पहले गुरुवार को सीबीएसई बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि 10वीं और 12वीं की एक से 15 जुलाई तक होने वाली परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं। दिल्ली, महाराष्ट्र और तमिलनाडु ने भी परीक्षा आयोजित करने में असमर्थता जताई थी।
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ज्ञात हो कि गुरुवार को भी महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना महामारी को देखते हुए केंद्र सरकार से अनुरोध किया था कि चिकित्सा के परास्नातक छात्रों की परीक्षा टाल दी जाए। राज्य के जन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री राजेश टोपे ने बृहस्पतिवार को कहा था कि चिकित्सा के परास्नातक छात्रों को राज्य में कोविड-19 के मरीजों और मामलों को देखना होता है। उन्होंने कहा कि या तो उनकी परीक्षाएं टाल दी जाएं या जो छात्र परीक्षा दे रहे हैं उन्हें उत्तीर्ण घोषित कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में राज्य ने केंद्र को अपनी स्थिति से अवगत करा दिया था। राजेश टोपे ने कहा, “ज्यादातर परीक्षाएं अगस्त में होती हैं और छात्र तैयारियों में व्यस्त रहते हैं, लेकिन वर्तमान संकट को देखते हुए कोविड-19 मरीजों का उपचार करने और मानसून जनित अन्य रोगों के मरीजों को देखने के लिए हमें इन डॉक्टरों की जरूरत है।” उन्होंने कहा, “इसीलिए हमने केंद्र से अनुरोध किया है कि इन डॉक्टरों की परीक्षाएं या तो टाल दी जाएं या उन्हें उत्तीर्ण घोषित कर दिया जाए। जो भी करें लेकिन उन्हें स्वास्थ्य सेवा में तैनात रखा जाए।
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